वही तो मजदूर है!
द्वारा : अकरम आजाद पावों के छाले, आँखों के झालेहाथ में धोती,एक लकुटी संभालेराजपथ की सड़कों की पहुँच से दूर हैवही तो मजदूर है! गली के नालों में,सर्दी के पालों मेंलोहे के चद्दर,बर्तन की ढालों मेंजो सुबह से शाम नित कर्मों में चूर हैवही तो मजदूर है! जो खाता हो श्रम का,न कि दैरो-हरम कामेहनत […]
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