5 फरबरी 2022 को दूरदर्शन पर प्रसारित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डा॰ गिरीश का चुनावी भाषण
भारतीय लोकतन्त्र के इस महान पर्व पर मैं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश का राज्य सचिव डा॰ गिरीश उत्तर प्रदेश की समस्त जनता एवं सभी मतदाता भाइयों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
उत्तर प्रदेश के प्यारे मतदाता भाइयो और बहिनो,
चन्द दिन शेष हैं जब आप उत्तर प्रदेश की नई विधानसभा में अपना प्रतिनिधि भेजने के लिये मतदान करेंगे। आपके जीवन को सुखमय और सम्रध्द बनाने को आपके पास सबसे ताकतवर हथियार आपका मत है, अतएव आपको अपने मत का प्रयोग पूरी तरह सोच समझ कर करना है।
हम और आप अच्छी तरह से जानते हैं कि गत पांच सालों में उत्तर प्रदेश की जनता को अनगिनत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। इस अवधि में देश और उत्तर प्रदेश के किसानों को केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा बुरी तरह छला गया है। उनके ऊपर तीन काले क्रषी कानून थोपे गए, जिनके खिलाफ उन्हें खराब मौसम, सरकारी दमन और गोदी मीडिया द्वारा लगाए गए लांच्छनों के बीच लम्बा और पीड़ादायक संघर्ष करना पड़ा। उनके ऊपर शारीरिक हमले हुये और लखीमपुर खीरी में पांच किसान शहीद होगये। आंदोलन के दौरान कुल 700 किसान शहीद हुये हैं। अब चुनावों के डर से सरकार ने इन काले कानूनों की वापसी का ऐलान किया है, लेकिन आशंका जताई जारही है कि 5 राज्यों के चुनावों के बाद सरकार बदले रूप में इन कानूनों को फिर थोपेगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून बनाने, विद्युत बिल 2020 को वापस लेने, खाद बीज डीजल कीटनाशक बिजली और क्रषी उपकरणों के दाम घटाने और गन्ना मूल्य दिये जाने की किसानों की मांगों को सरकार निर्ममता से ठुकराती रही है। किसानों की आर्थिक हालत बेहद खराब होचुकी है और वे कर्ज के बोझ से दबे हुये हैं। कर्ज में डूबे किसानों और मजदूरों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें आये दिन मिलती रहती हैं। सरकार में बैठे लोगों की सनक के चलते आवारा पशुओं की तादात में भारी व्रध्दी हुयी है। वे किसानों की फसल को उजाड़ रहे हैं और पीड़ित किसान रात रात भर जाग कर फसलों की रखवाली कर रहे हैं। आवारा पशुओं के हमलों से प्रदेश में हजारों किसान जान गंवा चुके हैं तथा अन्य हजारों गंभीर रूप से घायल हुये हैं। प्राक्रतिक आपदाओं ने भी किसानों पर अनेक कहर ढाये हैं। फसल बीमा में भ्रष्टाचार और सरकार की उपेक्षा ने किसानों की तकलीफ़ों को और भी बढ़ाया है। किसान आजादी के बाद के सबसे गहरे संकट को झेल रहे हैं।
ये ही हाल मजदूरों का भी है। श्रम कानूनों में उनके हितों की रक्षा करने वाले प्राविधानों को हटा दिया गया है। इससे वे बेहद असुरक्षित और लाचार बना दिये गए हैं। वे बाजार के हाथों कम कीमत पर बिकने वाली वस्तु बन कर रह गए हैं। बड़ी संख्या में फैली बेरोजगारी ने मजदूरों और बेरोजगार नौजवानों को असुरक्षा और भुखमरी की अन्धी गली में धकेल दिया है। सरकारी नौकरियों में भर्ती को लगातार टाला जारहा है। विरोध करने पर युवाओं को लाठी डंडों से पीटा जाता रहा है। अभी हाल में इलाहाबाद में गणतन्त्र दिवस के दिन रोजगार मांग रहे युवाओं को पुलिस ने जिस तरह पीट पीट कर लहूलुहान किया उससे सभी का सिर शर्म से झुक गया है। पुरानी पेंशन बहाली से भी सरकार मुकर रही है।
आप सभी जानते हैं कि कोरोना काल में जनता को पूरी तरह असहाय स्थिति में छोड़ दिया गया। रोजगार छिनने से तमाम लोगों को पलायन करना पड़ा और पुलिस की यातनाओं को झेलना पड़ा। अस्पतालों में पलंग दवाएं आक्सीजन और चिकित्सकीय सुविधाएं न मिल पाने से तमाम नागरिक मौत के मुंह में चले गये। डेंगू टायफाइड और अन्य बीमारियों से भी तमाम लोगों की जानें गयीं हैं। प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली छिन्न भिन्न पड़ी है और प्रायवेट अस्पताल लूट के अड्डे बने हुये हैं। आम जनता हर तरह से लुटने पिटने और जान गँवाने को अभिशप्त है।
केन्द्र और राज्य सरकार की पूंजीपरस्त नीतियों के चलते महंगाई सातवें आसमान पर है। डीजल पेट्रोल रसोई गैस की रिकार्ड तोड़ कीमतों के चलते जरूरत की हर चीज के दाम बढ़े हैं। आमदनी घटने और और महंगाई बढ़ने से लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं।
निजीकरण और व्यापारीकरण के चलते शिक्षा पहले ही आम लोगों की पहुँच से दूर होगयी थी। अब कोरोना काल में आन लाइन पढ़ाई के चलते वह गरीबों की पहुँच से बाहर होगयी है। गरीब बच्चों पर न स्मार्टफोन है न लैपटॉप और वे पढ़ाई से वंचित होगये हैं।
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था भी बद से बदतर बनी रही और सरकार सुशासन का ढिंढोरा पीटती रही। हर दिन महिलाओं और किशोरियों से बलात्कार और यातना देकर उनकी हत्याएं होती रहीं। हाथरस कांड ने तो पूरे देश को हिला दिया। जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला आज तक नहीं थम रहा है। हत्या लूट राहजनी मकानों और ज़मीनों पर दबंगों के द्वारा कब्जे होते रहे और इन सब पर पर्दा डालने को सरकार एक समाज विशेष को प्रताड़ित करती रही है।
विकास का ढिंढोरा बहुत पीटा जा रहा है। पर यह चन्द सड़कों हाइवेज और संपर्क मार्गों तक सिमट कर रह गया है। 5 साल में प्रदेश में एक भी पावर हाउस नहीं बना। उद्योगों के उदघाटन तो हुये हैं पर वे बने नहीं। तमाम सरकारी उद्योगों और उपक्रमों को चहेते धनपतियों को बेच दिया गया। असफलताओं को सफलताओं के रूप में प्रचारित करने को जनता की गाड़े पसीने की कमाई को विज्ञापनों पर खर्च कर डाला गया। सरकारी दफ्तरों से लेकर कथित विकास कार्यों में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है।
अपने इन जनविरोधी कार्यों से जनता का ध्यान हटाने को शासक दल सांप्रदायिक और जातीय विभाजन में जुटा रहा है। सामाजिक न्याय को रौंदने की गरज से आरक्षण व्यवस्था को पलटने के प्रयास किए जाते रहे। जातीय जनगणना कराने से भी सरकार भाग रही है।
जहां तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का सवाल है, वह गरीबों किसानों मजदूरों युवाओं छात्रों दलितों महिलाओं अल्पसंख्यकों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिये हमेशा सड़कों पर उतर कर संघर्ष करती रही है। यहाँ तक कि कोरोना काल में जब तमाम पार्टियां खामोश बैठी थीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आम लोगों को राहत पहुंचाने के काम में मुस्तैदी से जुटी रही। आम आदमी के जीवन से जुड़े हर सवाल पर हम लगातार आंदोलन करते रहे हैं। ये बात अलग है कि कार्पोरेटपरस्त और गोदी मीडिया ने हमारी आवाज को दबाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
आज यदि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी चुनाव मैदान में है तो इसलिए है कि वह विधानसभा के भीतर प्रदेश की जनता की आवाज को उसी तरह उठा सके जिस तरह वह उसे सड़कों पर उठाती रही है। इतिहास गवाह है और आप सभी जानते हैं कि कम्युनिस्ट सत्ता सुख भोगने के लिये नहीं जनता के हितों की रक्षा करने को ही राजनीति में हैं। वे एक ऐसा समाजवादी समाज बनाने को संघर्ष कर रहे हैं जिसमें हर हाथ को काम और काम के पूरे दाम मिलें। वे एक ऐसा शोषणविहीन समाज बनाना चाहते हैं जिसमें सभी को मुफ्त इलाज तथा पढ़ाई मिले। सभी नागरिकों को शानदार आवास परिवहन पेयजल और आवोहवा की वे गारंटी करना चाहते हैं। इसके लिये वे आपसी भाईचारे और सामुदायिक एकता पर बल देते रहे हैं। फासीवादी आलोकतांत्रिक और विभाजनकारी ताकतों से संविधान और लोकतन्त्र और जनता के हकों की रक्षा के लिये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उसका एक एक कार्यकर्ता संघर्ष करते रहे हैं।
अतएव हम आपसे निवेदन कर रहे हैं कि आप उत्तर प्रदेश विधानसभा के इन चुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों को उनके चुनाव निशान हंसिया बाली वाला बटन दबा कर वोट दें। अन्य वामदलों के प्रत्याशियों के पक्ष में भी मतदान करें। जहां इन दलों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं हैं वहाँ भाजपा को हराने को अन्य लोकतान्त्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष शक्तियों के पक्ष में मतदान करें।
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव