जिनके आदिपुरुष ही दादा कोंडके हैं, उनके रूप को नहीं, सार को निहारिये!!
आलेख : बादल सरोज पिछले शुक्रवार 16 जून को रिलीज हुयी 600 करोड़ की फिल्म “आदि पुरुष” के टपोरी संवादों पर हिंदी भाषी भारत में हुयी चर्चा, उन पर आई प्रतिक्रियाओं के दो आयाम हैं। एक आयाम आश्वस्ति देता है और वह यह कि अभी, बावजूद सब कुछ के, भाषा के प्रति संवेदनशीलता और विवेक […]
Continue Reading