अमृतकाल है भाई, अमृतकाल है!

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा देखा, देखा, कैसे सत्यपाल मलिक दिल्ली में पुलिस थाने में पहुंच गए। वह भी तब, जबकि पुलिस ने न तो उन्हें पकड़ा था और न बुलाया था। पुलिस ने सिर्फ उनको समर्थन देने पहुंचे खाप पंचायतियों को बिना परमीशन के मलिक के घर पर जमा होने के लिए, थाने ले जाकर […]

Continue Reading

इस अँधेरे को चीरना ही होगा!!

आलेख : बादल सरोज 15 अप्रैल की रात करीब साढ़े दस बजे जिसे इन दिनों प्रयागराज कहा जाता है, उस इलाहाबाद में तड़-तड़ चली गोलियों की गूँज सहज ही मंद पड़ने वाली नहीं है। इसलिए नहीं कि ये 22 सेकंड्स तक चली गोलियां लाइव वीडियो में दर्ज हो चुकी है और अनेक डिजिटल माध्यमों से […]

Continue Reading

ना किसी ने मारा है, ना कोई मरा है…!

व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा देख लीजिए, मोदी जी का विरोध करते-करते ये विरोधी, न्यायपालिका का भी विरोध करने तक चले गए हैं। गुजरात के नरोडा गाम में 2002 के तूफान में 11 मौतों के मामले में, अदालत ने सड़सठ के सड़सठ आरोपियों को बाइज्जत बरी क्या कर दिया, विरोधी अदालत पर ही सवाल उठाने लग […]

Continue Reading

पुलवामा त्रासदी और उसका चुनावी एडवांटेज

आलेख : राजेंद्र शर्मा पुलवामा की त्रासदी का भूत, चार साल बाद एक बार फिर परेशान करने के लिए, मोदी सरकार के सामने आ खड़ा हुआ है। पुलवामा की त्रासदी और उसके साल भर बाद, जम्मू-कश्मीर के विभाजन, उसका दर्जा घटाए जाने तथा धारा-370 के पूरी तरह से इकतरफा तरीके से खत्म किए जाने के […]

Continue Reading

दिन दहाड़े घर मे घुसते अंधेरे!!

आलेख : बादल सरोज अतीक अशरफ वृतांत पर बाद में कभी। अभी उनके बारे में, जो न माफिया हैं, न उनका नाम इनसे मिलता-जुलता है। जून 2020 में इंदौर के अखबार में एक अत्यंत डरावनी खबर छपी थी। खबर यह थी कि एक स्कूल में परीक्षाओं के लिए मुस्लिम समुदाय से जुड़े छात्रों को बाकी […]

Continue Reading

बुलडोजर बड़ा या एन्काउंटर?

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा योगी जी ने छ: साल में यूपी को सचमुच पहले उत्तम और अब उत्सव प्रदेश बना दिया है। अगर थोड़ी-बहुत कसर रह भी गयी हो तो उसे, ‘‘मिट्टी में मिला देंगे’’ उत्सव ने पूरा कर दिया होगा। मर्डर के गवाह के, मर्डर के आरोपियों के मर्डर का जो उत्सव योगी राज […]

Continue Reading

बाघ फिर भी नहीं आया

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा एक बादशाह था। छोटा-मोटा नहीं, बहुत बड्डा वाला बादशाह था। बादशाह था, तो जाहिर है कि उसका राज भी होगा। छोटा-मोटा नहीं, बड्डा वाला राज था। इतना बड़ा कि लोग इज्जत से उसे देश कहते थे। बादशाह था, उसका राज भी था, तो जाहिर है कि प्रजा भी होगी। थोड़ी-मोड़ी नहीं, […]

Continue Reading

बाबा साहेब को पूजिये मत ; पढ़िये, समझिए और अमल कीजिये

आलेख : बादल सरोज ? सिर्फ संविधान निर्माता नहीं थे डॉ. अम्बेडकर : डॉ अम्बेडकर संविधान निर्माता माने जाते हैं। निस्संदेह वे ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे और विराट बहुमत से चुने गए थे। संविधान में उनकी विजन – नजरिये – का महत्वपूर्ण योगदान है। किन्तु उन्हें यहीं तक सीमित रखना उनके वास्तविक रूप को […]

Continue Reading

इतिहास पर सांप्रदायिक बुलडोजर

आलेख : राजेंद्र शर्मा निजी टीवी चैनलों के विस्फोट से पहले के दौर का भारतीय टेलीविजन जिसे भी याद होगा, उसे ‘‘टीपू सुल्तान’’ (वास्तव में टीपू सुल्तान की तलवार) सीरियल जरूर याद होगा। अकबर खान और संजय खान द्वारा निर्देशित यह धारावाहिक, 1990 की फरवरी से, 1991 के अप्रैल तक, उस समय के तरीके के […]

Continue Reading

पंडित दीनदयाल से मोदी तक : एकात्म मानववाद से एकमात्र महामानव-वाद की गत को प्राप्त 43 की भाजपा

आलेख : बादल सरोज) कहते हैं कि कई बार विशद विवरणों से ज्यादा सटीकता के साथ कुछ दृश्य असलियत बयाँ कर जाते हैं। 6 अप्रैल को हुआ भारतीय जनता पार्टी का 43वें स्थापना दिवस के समारोह का नजारा ऐसा ही था। यह उस पार्टी का स्थापना दिवस था, जो इन दिनों दुनिया की दूसरी सबसे […]

Continue Reading