तीनों एमसीडी को एक करना चुनाव टालने का बहाना- आप
- तीनों एमसीडी को मिलाने का का बिल सामने आ जाए, उसके अध्ध्यन के बाद ही आम आदमी पार्टी आगे कोई निर्णय लेगी- गोपाल राय
- पंजाब चुनाव के बाद केजरीवाल से मोदीजी बहुत डरे हुए हैं, खुद को इतनी बड़ी पार्टी कहने वाली भाजपा एमसीडी जैसे छोटे चुनाव से भाग रही है- आतिशी
- यदि एमसीडी के तीन हिस्से करने से शासन में समस्या आ रही थी तो एकीकरण का ख्याल पहले क्यों नहीं आया- आतिशी
- यदि दिल्ली इलेक्शन कमिश्नर भ्रष्ट नहीं होते तो भाजपा की धमकियों से डरकर कभी चुनाव नहीं टालते- आतशी
- लोकतंत्र खतरे में हैं, कल को भाजपा गुजरात चुनाव हार रही होगी तो केंद्रीय चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखेगी कि हम गुजरात और महाराष्ट्र को एक कर रहे हैं इसलिए अभी चुनाव नहीं होंगे- आतिशी
- एमसीडी में भाजपा के भ्रष्टाचार के खात्म करने के लिए दिल्लीवाले इस बार बड़ी बहुमत से आम आदमी पार्टी को जिताएंगे- सौरभ भारद्वाज
- दिल्ली की जनता एमसीडी में भी केजरीवाल सरकार चाहती है – दुर्गेश पाठक
नई दिल्ली: 22 मार्च 2022
आम आदमी पार्टी ने यूनियन कैबिनेट द्वारा तीनों निगमों के एकीकरण का प्रस्ताव पारित करने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। ‘आप’ का कहना है कि एकीकरण सिर्फ एक बहाना है, भाजपा चुनाव में आम आदमी पार्टी का सामना करने के लिए तैयार नहीं है। वह जानती है कि दिल्ली की जनता ने एमसीडी में अरविंद केजरीवाल की सरकार बनाने का फैसला कर लिया है। लेकिन जिस आनन-फानन में भाजपा ने एकीकरण की बात कहकर चुनाव टाला है, वह लोकतंत्र के खिलाफ है। आम आदमी पार्टी ने इसे गैर-संवैधानिक बताया और भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत है तो चुनाव करवा के दिखाओ।
कालकाजी विधानसभा से आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। आतिशी ने कहा कि आज यूनियन कैबिनेट ने प्रस्ताव पारित किया है कि दिल्ली की तीनों निगमों यानी नॉर्थ, साउथ और ईस्ट एमसीडी को एकीकृत किया जाएगा। न सिर्फ 15 सालों से एमसीडी में भाजपा की सरकार है बल्कि पिछले 7 सालों से केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है। लेकिन उनको कभी ख्याल नहीं आया कि एमसीडी में बदलाव और एकीकरण की जरूरत है, एमसीडी में बेहतर शासन की जरूरत है। जबकि उन्होंने यूनिफाइड और ट्राइफीकेटेड दोनों ही एमसीडी देखी हैं।
केंद्र के फैसले पर प्रश्न उठाते हुए आतिशी ने कहा कि अगर एमसीडी के तीन हिस्से करने से शासन में दिक्कत आ रही थी, एडमिनिस्ट्रेशन में समस्या आ रही थी तो यह ख्याल पहले क्यों नहीं आया? क्या तीनों एमसीडी के मेयरों ने कभी कोई शिकायत लिखी? शहरी विकास मंत्रायलय को अर्जी भेजी क्या? शहरी विकास मंत्रालय या यूनियन मंत्री या प्रधानमंत्री ने कभी इस मुद्दे को कभी उठाया क्या? जब पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी की एक तरफा जीत हुई, भाजपा को एकीकरण का ख्याल तब आया। उन्हें पता है कि एमसीडी में जो कुशासन उन्होंने किया है, दिल्ली की जनता उनसे परेशान है। उन्हें समझ आ गया कि भाजपा आम आदमी पार्टी का सामना नहीं कर पाएगी।
आज एमसीडी के एकीकरण का जो बिल आया है, वह अभी हमारे पास नहीं है। इसलिए हम उसपर विशेष टिप्पणी नहीं कर रहे हैं लेकिन हमारी मांग है कि चुनाव अपने समय से होने चाहिए। 18 मई तक नई एमसीडी का गठन होना है। उससे पहले चुनाव करवाकर एमसीडी को सही समय पर गठित किया जाए। ऐसा नहीं होता है तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। चुनाव को टालना गैरसंवैधानिक है। इस देश के इतिहास में सिर्फ इमरजेंसी के दौरान चुनाव टाले गए थे। वह भी इसीलिए किया गया था कि क्योंकि इंद्रा गांधी को लग रहा था कि वह चुनाव हार जाएंगी। आज भाजपा भी वही कर रही है।
9 मार्च को स्टेट इलेक्शन कमिश्नर ने मीडिया को यह कहकर बुलाया था कि आज एमसीडी चुनाव की तारीख घोषित होगी। लेकिन प्रेसवार्ता के एक घंटे पहले केंद्र ने आयोग को चिट्ठी लिखी कि हमें एमसीडी का एकीकरण करना है, अभी चुनाव मत करवाइए। अचानक उन्हें समझ आया कि एकीकरण से एमसीडी की सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। दिल्ली की गंदगी, कूड़े के पहाड़, एमसीडी के स्कूलों में बच्चों को पढ़ना नहीं आता है, यह सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी, यदि एमसीडी का एकीकरण हो जाता है।
मैं केंद्र में बैठी भाजपा से कहना चाहती हूं कि दिल्ली के लोग बेवकूफ नहीं हैं। उन्हें अच्छे से समझ है कि भाजपा को, मोदी जी को केजरीवाल से डर लगने लगा है। कहने के लिए भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है। आज देश में भाजपा के 1400 से अधिक एमएलए हैं, 301 लोकसभा में सांसद हैं और तकरीबन 100 राज्यसभा में सांसद हैं। फिर भी भाजपा हार के डर से छोटे से एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी का सामना करने को तैयार नहीं है। मोदी जी को भी डर है कि जिस प्रकार दिल्ली में आम आदमी पार्टी की 62 सीटें आई थीं, एमसीडी में भी 250 से अधिक सीटें आएंगी और बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा।
यदि एमसीडी का चुनाव हो जाता है और भविष्य में कभी भी एकीकरण की जरूरत पड़ी तो वह उस वक्त भी संभव है। आज नॉर्थ, साउथ और ईस्ट एमसीडी के तीन अलग-अलग दफ्तर हैं, कल एक दफ्तर हो सकता है। दिल्ली ने एमसीडी में बैठी भाजपा का कुशासन भी देखा है और अरविंद केजरीवाल का शासन भी देखा है। मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली, मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त इलाज, महिलाओं के लिए बस का मुफ्त टिकट, बुजुर्गों के लिए मुफ्त यात्रा, यह सब अरविंद केजरीवाल के शासन का नतीजा है। वहीं भ्रष्टाचार में लिप्त भाजपा की सरकार जनता को रोज लूटती है।
चुनाव कभी भी हों, जीतना आम आदमी पार्टी को ही है क्योंकि दिल्ली की जनता एमसीडी में अरविंद केजरीवाल को चाहती है। चुनाव को स्थगित करना इसलिए खतरनाक है क्योंकि कल, अगर भाजपा गुजरात चुनाव हार रही हो तो वे केंद्रीय चुनाव आयोग को एक पत्र लिखेंगे और कहेंगे कि गुजरात को महाराष्ट्र में विलय रहे हैं और इसलिए चुनाव स्थगित कर दिया जाए? यदि भाजपा लोकसभा चुनाव हार रही हो तो वे केंद्रीय चुनाव आयोग को एक पत्र लिखेंगे और कहेंगे कि वे प्रेसिडेंशियल स्वरूप में सरकार लाने के लिए संविधान में संशोधन कर रहे हैं, इसलिए चुनाव नहीं होंगे? यह तो लोकतंत्र का मजाक है। देश के लिए इलेक्शन कमीशन एक बड़ी चीज है। टीयएन. शेषन जैसे लोगों ने आयोग को संभाला है। यदि इलेक्शन कमीश्नर श्रीवास्तव भ्रष्ट नहीं होते तो भाजपा की धमकियों से डरकर कभी चुनाव नहीं टालते। हमारी चुनाव आयोग से मांग है कि केंद्र सरकार के दबाव में न आकर देश के लोकतंत्र को बचा लीजिए। भारत के लोकतंत्र की परमपरा को जारी रखिए।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष गोपाल राय ने अपने बयान में कहा कि एकबार एकीकरण का बिल सामने आ जाए, उसका अध्ध्यन करने के बाद ही आम आदमी पार्टी निर्णय लेगी। जबतक सभी पहलू सामने नहीं आते हैं, मुझे लगता है अभी कुछ भी बोलना जल्दबाज़ी होगी। भाजपा के पास 7 साल का वक्त था लेकिन जिस आनन-फानन में उन्होंने एकीकरण की बात कहकर चुनाव टाला है, वह लोकतंत्र के खिलाफ है। भाजपा चुनाव में जितनी देर करेगी, उसके हारने की संभावना उतनी ज्यादा होगी। दिल्ली में एक एमसीडी हो या तीन हों, उससे अधिक फर्क नहीं पड़ता है। यदि सरकार ईमानदार है तो बदलाव और विकास किसी भी स्थिति में संभव है।
आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि एकीकरण और चुनाव का कोई लेना-देना नहीं है। एकीकरण कभी भी हो सकता है। वास्तव में एकीकरण एक बहाना है जिसके पीछे छिपकर भाजपा एमसीडी चुनाव नहीं कराना चाहती है। पिछले 15 सालों से एमसीडी में भाजपा का शासन है। इतने सालों के शासन के बाद भी दिल्ली गंदी है। दिल्ली में 3 बड़े-बड़े कूड़े के पहाड़ हैं। भाजपा ने इतना भ्रष्टाचार किया है कि उनके पास एमसीडी के कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं। दिल्लीवाले एमसीडी में बड़े बदलाव के इंतज़ार में हैं। यदि भाजपा समय से चुनाव नहीं कराती है तो यह जनता का अपमान है। यह लोकतंत्र का अपमान है। हमारी एक ही मांग है कि चुनाव समय से होने चाहिए। जनता फैसला करेगी कि एमसीडी को किसके हाथों में देना है।