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लेखक….पाश अम्बर
अनुवाद….राजिंदर biala
कितनी सुहानी है
बसंत की बारिश..
कितनी प्यारी थी पत्तझड़
साफ़ नीले आसमान की रंगत
रुई जैसे सफ़ेद बादल
फूलों की चादर
अलग अलग फलों की मिठास
मगर यह सब होते हुए भी
कितना अकेला अभागा है वोह..
जो अभी भी कलम ना उठाए
जो अभी भी
शब्द यात्रा ना करे..
लिखो
महक गंध हुमस लिखो..
लिखो
जो बदल रहा
लिखो
जो बदल गया
लिखो
जिस से बदलाव आए
लिखो
यह बदलाव कैसे आए
पाताल तक लिखो
पर्वतों के पार का लिखो
मुकम्मल सागर को लिखो
डूबते तेराकों की कहानी
काले पानी की ज़ख्मी
दास्तां लिखो..
बर्मा..
फलस्तीन..
कश्मीर..
लिखो..
खुलकर लिखो..
Pash