आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज के लिए ग्यारह विजेता शहरों की घोषणा की और नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के पायलट चरण के लिए दस विजेता शहरों की घोषणा की। ये शहर अब चुनौती के बड़े चरण में प्रवेश करेंगे, जिसमें पायलट चरण में शुरू की गई परियोजनाओं को अब स्थायी रूप से आगे बढ़ाया जाएगा। इस कार्यक्रम में, मंत्रालय ने इंडिया साइकिल्स4चेंज एंड स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंजेज के सीजन-2 का शुभारंभ किया और ‘नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज: स्टोरीज फ्रॉम द फील्ड’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्री मनोज जोशी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। प्रतिभागियों में 100 स्मार्ट शहरों के सीईओ सहित चैलेंज के आयोजक भागीदार संगठनों के वैश्विक और भारतीय अधिकारी, विजेता शहरों के प्रतिनिधि, केंद्र तथा राज्य सरकारों के अधिकारी शामिल थे।
स्ट्रीट4पीपल चैलेंज पायलट फेज के तहत विजेता शहरों की घोषणा
2020 से, स्मार्ट सिटीज मिशन (एससीएम) सार्वजनिक स्थानों को लोगों के लिए अधिक अनुकूल बनाने के लिए इंटर-सिटी चैलेंज का आयोजन कर रहा है। यह 2006 की राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति के अनुरूप है, जिसमें कार-केंद्रित सड़कों के स्थान पर जन-केंद्रित गलियों के रूप में एक व्यापक बदलाव का आह्वान किया गया था। पिछले 18 महीनों में, ये चैलेंजेज यानी साइकिल4चेंज और स्ट्रीट्स फॉर पीपल, 100 स्मार्ट सिटी से आगे आगे बढ़कर एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में तब्दील हो गए हैं।
‘स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज’ के तहत, 38 शहरों ने पैदल चलने वालों के लिए प्राथमिकता देकर एक महत्वपूर्ण गली की फिर से परिकल्पना की। एक जूरी पैनल द्वारा 11 शहरों को अगले बड़े चरण के लिए चुना गया है तथा आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से प्रत्येक शहर को 50 लाख रुपये से सम्मानित किया जाएगा। चैलेंज के दौरान जूरी द्वारा चार शहरों का उनके प्रयासों के लिए विशेष उल्लेख किया गया। विजेता शहरों की सूची अनुलग्नक 1 में दी गई है। परिवहन एवं विकास नीति संस्थान (आईटीडीपी इंडिया) के तकनीकी सहयोग से इस चैलेंज का संचालन किया गया। स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया https://smartnet.niua.org/indiastreetchallenge/ देखें।
इंडिया साइकिल्स4चेंज और स्ट्रीट्स4पीपल चैलेंज के लिए एक दूसरा सीज़न भी लॉन्च किया गया। कोई भी शहर जो पहले से शीर्ष 11 विजेताओं में नहीं है, कोई भी स्मार्ट सिटी, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की राजधानी या 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाला शहर आवेदन कर सकता है।
पायलट चरण यानी इंडिया साइकिल्स4चेंज तथा स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंजेज के पहले चरण के तहत:
- सड़कों को साइकिल चलाने के अनुकूल बनाने के लिए शहरों ने अस्थायी समाधानों के माध्यम से 400 किलोमीटर से अधिक लंबे गलियारों का सुधार किया
0 सर्वेक्षणों के माध्यम से 60,000 से अधिक नागरिकों से राय प्राप्त की
o अपने शहरों का समर्थन करने के लिए 600 से अधिक नागरिक समाज संगठनों से मुलाकात की
o लोगों के लिए सड़कों को पुनः प्राप्त करने के लिए रचनात्मक समाधान विकसित करने और परीक्षण करने के लिए 1800 से अधिक डिज़ाइन पेशेवर, छात्र और अन्य संगठन एक साथ आए
अगले बड़े चरण, अर्थात चरण-2 में, शहर निम्नलिखित कार्य करेंगे:
o एक प्रगतिशील स्वस्थ गलियां और पार्किंग नीति अपनाने की दिशा में काम करना, क्षेत्र स्तरीय पार्किंग योजना बनाना और ऑन-स्ट्रीट पार्किंग प्रबंधन शुरू करना
- पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय गतिशीलता अधिनियम से प्रेरित होकर, शहरी भूमि परिवहन निदेशालय (डीयूएलटी), कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक में बातचीत शुरू की है, जो इस तरह के प्रगतिशील अधिनियम को अपनाने की दिशा में काम करने के लिए शहरों और राज्यों का समर्थन करेगी।
o शहर अपने क्रियाकलाप को स्थायी बनाने और पूरे शहर में इसे बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे
o शहर एक स्वस्थ सड़क विभाग की स्थापना के माध्यम से संस्थागत लचीलापन लाने के लिए काम करेंगे।
नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के तहत विजेता शहरों की घोषणा
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने बर्नार्ड वैन लीयर फाउंडेशन (बीवीएलएफ) और तकनीकी भागीदार वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) इंडिया के सहयोग से, नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के लिए दस विजेता शहरों की घोषणा की। चैलेंज एक 3 साल की चरणबद्ध पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय शहरों में बचपन के अनुकूल पड़ोस को आकार देना है। विजेता शहरों की सूची अनुलग्नक 2 में दी गई है। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, बीवीएलएफ के प्रतिनिधियों तथा शहरी डिजाइन, प्रारंभिक बचपन के विकास एवं व्यवहार परिवर्तन के क्षेत्र के स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक जूरी द्वारा व्यापक मूल्यांकन के बाद फाइनलिस्ट का चयन किया गया।
नवंबर 2020 में चैलेंज की शुरुआत के बाद, देश भर में 60 से अधिक शहरी एजेंसियों ने शिशुओं, बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का स्तर बढ़ाने के लिए नेबरहुड लेवल पायलट परियोजनाओं को लागू करने के प्रस्तावों के संदर्भ में एक राष्ट्रव्यापी आह्वान के प्रति अत्यधिक रुचि दिखाई। फरवरी 2021 में एक विशेषज्ञ समिति द्वारा उनके प्रस्तावों की गंभीरता के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया गया, 25 शहरों को शुरुआती जीत का प्रदर्शन करने, नागरिकों की भागीदारी की मांग करने और अपनी परियोजनाओं के आसपास आम सहमति बनाने के लिए अगले 7 महीनों में क्षमता निर्माण के लिए तकनीकी सहायता मिली। उपर्युक्त फाइनलिस्ट शहरों के अलावा, समूह में अगरतला, कोयंबटूर, धर्मशाला, इरोड, हैदराबाद, कोटा, नागपुर, राजकोट, रांची, रोहतक, सेलम, सूरत, तिरुवनंतपुरम, तिरुपुर और उज्जैन शामिल थे।
नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज पायलट चरण यानी चरण 1 के तहत, 7 महीनों में, 25 शहरों के अग्रणी समूह ने निम्नलिखित कार्य किए-
o पूरे भारत में आस-पड़ोस में 70 से अधिक पायलट परियोजनाओं को लागू किया गया। इन विविध परियोजनाओं में मलिन बस्तियों में सार्वजनिक स्थानों का निर्माण, उम्र वर्ग के लिए उपयुक्त खेल क्षेत्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आंगनवाड़ियों के आसपास बाहरी प्रतीक्षा स्थान, देखभाल करने वालों के लिए सुविधाएं, जैसे सार्वजनिक शौचालय और नर्सिंग केबिन, बेहतर सड़कों और जंक्शनों का निर्माण, पार्क और उद्यान बनाने के लिए कम उपयोग वाली तथा बची हुई जगह का इस्तेमाल करना।
इन परियोजनाओं से 0-5 वर्ष की उम्र के 1 लाख से अधिक बच्चों तथा 1 मिलियन से अधिक लोगों को लाभ हुआ।
o छोटे बच्चों के अनुकूल शहरों की दिशा में आंदोलन का रूप देने के लिए 200 से अधिक चैंपियन धरातल पर बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं
अगले बड़े चरण यानी चरण 2 में, 10 विजेता शहरों को तकनीकी सहायता देकर उनका क्षमता निर्माण किया जाएगा-
o पायलट परियोजनाओं को सीखना तथा दोहराना और विकास योजनाओं, विनियमों एवं नीतियों को प्रभावित करना।
0 ये शहर इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एक समर्पित संस्थागत प्रणाली स्थापित करने पर विचार कर सकते हैं।
‘नर्चरिंग नेबरहुड्स चैलेंज – स्टोरीज फ्रॉम द फील्ड’ नामक पुस्तक का विमोचन
इस बुकलेट में उन सभी 25 शहरों की परियोजनाओं का संकलन है, जो नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के पायलट चरण का हिस्सा थे और इसे चैलेंज वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया https://smartnet.niua.org/nurturing-neighbourhoods-challenge/web/ देखें।
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“महामारी ने लोगों के स्वास्थ्य के लिए जन सुविधाओं के महत्व की ओर ध्यान दिलाया है। दिन-प्रतिदिन की निरंतर और छोटी-छोटी गतिविधियां हमें सक्रिय, सतर्क और स्वस्थ रहने में मदद करती हैं। नागरिकों को अपने घरों से बाहर निकलकर बाजार तक जाने में सक्षम होना चाहिए, काम पर जाने या निकटतम मेट्रो / बस स्टॉप तक चलने में सक्षम होना चाहिए, न केवल मनोरंजन के लिए, बल्कि आने-जाने के लिए भी साइकिल चलाना, न केवल मनोरंजन के लिए भोजनालयों / रेस्तरां में जाना चाहिए बल्कि उन्हें पार्क या तट पर पिकनिक मनाने, खेलकूद करने और ताजी हवा में सांस लेने के लिए सक्षम होना चाहिए। प्रत्येक नागरिक को सक्रिय, स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए इन दैनिक आदतों को विकसित करने में सक्षम होना चाहिए। लेकिन सरकार के नेताओं के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम इनके लिए आवश्यक निर्मित तथा प्राकृतिक वातावरण प्रदान करें।”
“मंत्रालय में एक उभरते हुए प्रतिमान के रूप में, पहली बार हम अपने शहरों की फिर से परिकल्पना करने के लिए कुछ नागरिक समूहों की ओर ध्यान दे रहे हैं। बर्नार्ड वैन लीयर फाउंडेशन के साथ साझेदारी में, हम बचपन के शुरुआती विकास को पोषित करने और देखभाल करने वालों के लिए काम करने को लेकर शहरों में निवेश कर रहे हैं। नर्चरिंग नेबरहुड्स समूहों के नेतृत्व में किए गए बदलाव हमें भारतीय शहरों को छोटे बच्चों के विकास के लिए और भी अधिक स्वस्थ तथा अधिक समावेशी स्थान बनाने के लिए योजना, डिजाइन और प्रबंधन के तौर तरीके बताते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सभी के लिए जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।”
• श्री मनोज जोशी, सचिव,
आवासन एवं शहरी कार्य
मंत्रालय
“एक उत्साही साइकिल चालक के रूप में, देश भर के कई शहरों में चलने और साइकिल चलाने के बढ़ते प्रचलन के संदर्भ में पिछले दो साल यादगार रहे हैं। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शहर की अग्रणी हस्तियों के लिए मौजूदा चैलेंज ने देश भर में प्रेरणा को जगाया है, जिसमें कई शहर के नेता पैदल चलने, साइकिल चलाने और दौड़ने की गतिविधियों के बारे में बात कर रहे हैं! यह महत्वपूर्ण है कि शहर की अग्रणी हस्तियां इसका नेतृत्व करें और दूसरों को प्रेरित करें! ”
“उन शहरों में निवेश करना जो बचपन के शुरुआती विकास को पोषित करते हैं और देखभाल करने वालों के लिए काम करते हैं, भारत में शहरी विकास और नागरिक अनुभव को देखने के लिए एक नया और अनूठा नजरिया है। भारत के शहरी स्थानीय निकायों में शहर के इंजीनियरों को पहले कभी भी शहरों को जमीन से 96 सेंटीमीटर ऊपर- यानी एक बच्चे की लंबाई से देखने के लिए नहीं कहा गया है। नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के माध्यम से, स्मार्ट सिटीज, पहली बार शिशुओं, बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के लिए काम करने के लिए अपने आस-पड़ोस की फिर से कल्पना कर रहे हैं। इस चैलेंज के कारण, अब हम बेहतर ढंग से समझते हैं कि एक बच्चे के जीवन के महत्वपूर्ण प्रारंभिक वर्षों के दौरान एक सुरक्षित, सहायक सार्वजनिक सुविधाओं तक पहुंच अनिवार्य रूप से सशक्त दीर्घकालिक सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक परिणामों से जुड़ी हुई है। हम आज घोषित 10 विजेता शहरों को इस दृष्टिकोण के लिए ‘लाइटहाउस’ बना हुआ देखने के लिए उत्सुक हैं, जो देश के बाकी हिस्सों और दुनिया भर के अन्य लोगों के साथ अपनी सीख साझा करते हैं।”
• श्री कुणाल कुमार,
मिशन निदेशक,
स्मार्ट सिटीज मिशन
“सड़कें लोगों के लिए हैं, न कि केवल कारों के लिए। ओपन स्ट्रीट अभियान ने पूरे भारत के 100 से अधिक शहरों को अपनी सड़कों की फिर से परिकल्पना करने में मदद की। चुनौती के दौरान, शहरों ने अपनी यातायात केंद्रित सड़कों को रंग, संगीत और हंसी से भरे जीवंत स्थानों में बदल दिया। कल्पना कीजिए कि अगर इन्हें स्थायी कर दिया जाए तो हम क्या हासिल कर सकते हैं!”
• अवस्थी दिलीप, दक्षिण एशिया
निदेशक, इंस्टीट्यूट फॉर
ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी
“हम सभी विजेताओं और नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज को इतना सफल बनाने में शामिल सभी लोगों को अपनी ओर से हार्दिक बधाई देते हैं। शिशुओं, बच्चों और उनके परिवारों के लिए एक स्वस्थ, सुरक्षित और रोचक वातावरण बनाने के इच्छुक शहरों द्वारा नवाचार की उत्कृष्ट गुणवत्ता और किए गए कार्य उत्साहजनक हैं। छोटे बच्चों के लिए डंपयार्ड और अप्रयुक्त स्थानों को प्ले जोन में बदलने से लेकर माइक्रोपार्क और सुव्यवस्थित टीकाकरण केंद्रों तक, शहरों द्वारा किया गया प्रयास वास्तव में सराहनीय है। बीवीएलएफ में हम मानते हैं कि जब शहर की अग्रणी हस्तियां बच्चों की सुविधा की दृष्टि से नेबरहुड परियोजनाओं के लिए योजना बनाने के साथ-साथ डिजाइन और प्रबंधन करती हैं, तो वे न केवल इसे छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित, सुलभ और मजेदार बनाते हैं, बल्कि बच्चे के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और कल्याण का भी समर्थन करते हैं। आखिरकार, शिशुओं, बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के लिए काम करने वाले शहर सभी के लिए काम करते हैं।”
• सुश्री रुश्दा मजीद,
इंडिया रिप्रेजेंटेटिव, बर्नार्ड
वैन लीयर फाउंडेशन
“यह देखकर खुशी होती है कि कैसे भारतीय शहरों ने सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और सुविधाओं को शिशुओं, बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के लिए अधिक सुलभ बनाने के लिए उत्साहपूर्वक भाग लिया। हम स्मार्ट सिटी मिशन, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के आभारी हैं कि उन्होंने शहरों को बचपन के अनुकूल क्रियाकलाप के लिए एक मंच प्रदान किया और बर्नार्ड वैन लीयर फाउंडेशन को इस काम को संभव बनाने में उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं नेबरहुड के 10 फाइनलिस्ट और जमीनी स्तर पर बदलाव के लिए प्रयास करने वाले अन्य लोगों को बधाई देता हूं। हमारे शहरों को और भी अधिक पैदल चलने योग्य और सुलभ बनाना, सबसे कमजोर पर ध्यान देने के साथ, एक लचीला, कम कार्बन उत्सर्जन और रहने योग्य भविष्य को आकार देना महत्वपूर्ण है।
• डॉ. ओ.पी. अग्रवाल,
सीईओ, डब्ल्यूआरआई
इंडिया
अनुलग्नक 1
स्ट्रीट्स4पीपल चैलेंज के पायलट चरण के शीर्ष 11 पुरस्कृत की सूची वर्णानुक्रम में निम्नानुसार है:
1. औरंगाबाद, सभी सार्वजनिक एजेंसियों और अन्य हितधारकों के साथ शीघ्र सहमति बनाने के लिए
2. बंगलुरु, आरडब्लूए की भागीदारी के साथ आवासीय क्षेत्र में सार्वजनिक स्थान बनाने के लिए
3. गुरुग्राम, नागरिकों को शामिल करके बाजारों और स्कूल क्षेत्रों को पैदल चलने के लिए
4. कोच्चि, एक नेबरहुड को बदलने के लिए चल रही कई पहलों को एकीकृत करने के लिए
5. कोहिमा, पार्किंग को जीवंत सामुदायिक स्थलों में बदलने के लिए
6. नागपुर, व्यस्त बाजार की सड़कों को पैदल चलने वालों के लिए सुविधाजनक बनाने की परिकल्पना करने के लिए
7. पिंपरी चिंचवाड़, स्वस्थ सड़कों के लिए शहर-व्यापी रणनीति बनाने के लिए
8. पुणे, मृतप्राय स्थलों को सक्रिय बनाने और उन्हें अनुभव क्षेत्र बनाने के लिए
9. उदयपुर, ट्रांजिट अनुभव को बदलने के लिए
10. उज्जैन, स्थायी तौर पर पैदल चलने की दिशा में व्यवस्था की ओर ऊंची छलांग लगाने के लिए
11. विजयवाड़ा, हर कदम पर समुदाय को शामिल करने के लिए
4 शहरों को जूरी स्पेशल मेंशन के रूप में मान्यता दी गई है, और ये शहर हैं:
1. इंफाल, सड़क के संग्रहालयों से होते हुए मजबूत सड़कों का निर्माण करने के लिए
2. करनाल, कला को शहर की सड़कों और मृतप्राय स्थलों तक लाने के लिए
3. सिलवासा, सामग्री में नवीनता प्रदर्शित करने के लिए
4. वडोदरा, पुनर्नवीनीकरण सामग्री का उपयोग करके समावेशी और अभिनव डिजाइन समाधानों के लिए
गुरुग्राम में जैकबपुरा मार्ग पर स्कूल जोन, फोटो साभार: गुरुग्राम नगर निगम
कोहिमा में मोकोकचुंग रोड, फोटो साभार: कोहिमा स्मार्ट सिटी लिमिटेड
नागपुर में सीता बर्दी मार्केट, फोटो साभार: नागपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड
उदयपुर के चेतक सर्कल में पहाड़ी बस स्टैंड, फोटो साभार: उदयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड
अनुलग्नक 2
नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के पायलट चरण के शीर्ष 10 पुरस्कार विजेता, कुछ विशेषताओं के साथ, वर्णानुक्रम में:
1. बंगलुरू ने बच्चों में स्वतंत्रता को बढ़ावा देने, सामान्य क्षेत्रों, शौचालयों और बच्चों के विशिष्ट डिजाइन मानकों के साथ खेलने की जगहों को नवीनीकृत करने के लिए आंगनवाड़ी की सुरक्षा का विस्तार किया।
2. हुबली–धारवाड़ ने गर्भवती महिलाओं और देखभाल करने वालों के लिए सार्वजनिक परिवहन के अनुभव में सुधार करते हुए साझा प्राम सेवा शुरू की और 100 बस रैपिड ट्रांजिट बसों में बैठने की प्राथमिकता दी।
3. इंदौर ने एक नेबरहुड पार्क प्रदान किया जो पहले छोटे बच्चों के लिए दुर्गम था और इसे प्रकाश व्यवस्था, पौधों तथा पुनर्नवीनीकरण एवं प्राकृतिक सामग्री के साथ फिर से तैयार किया।
4. जबलपुर ने बच्चों के अनुकूल सार्वजनिक टीकाकरण केंद्र का बीड़ा उठाया है, जिसमें बाहरी खेल क्षेत्र तथा देखभाल करने वालों और छोटे बच्चों के लिए प्रतीक्षा स्थान, स्तनपान कक्ष और व्यापक पहुंच के लिए रैंप हैं।
5. काकीनाडा ने शहर के बीचों-बीच एक संरक्षित पैदल यात्री प्लाजा और टॉडलर प्ले जोन में कम इस्तेमाल वाली सड़क की जगह को बदल दिया, जो आस-पास की अनौपचारिक बस्तियों के लिए सुलभ थी।
6. कोच्चि ने आंगनवाड़ियों के आसपास के जीर्ण-शीर्ण अवशेषों को महिलाओं के इकट्ठा होने और छोटे बच्चों के खेलने के लिए सुरक्षित, छायांकित सार्वजनिक स्थानों में बदल दिया।
7. कोहिमा ने सड़क किनारे कूड़े के ढेर को एक हरे, समुदाय द्वारा वित्तपोषित माइक्रोपार्क में बदल दिया और छोटे बच्चों और देखभाल करने वालों के लिए एक स्कूल के मैदान को एक बहुउद्देश्यीय सार्वजनिक स्थान में बदल दिया।
8. राउरकेला ने नर्सिंग माताओं की सुविधा के लिए अनौपचारिक बस्तियों में औपचारिक खेल के मैदान बनाए और सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान बूथ शुरू किए।
9. वडोदरा ने इस तरह के अवसरों की कमी वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिए अस्थायी खेल क्षेत्र स्थापित करने के लिए एक मोबाइल प्ले वैन की शुरुआत की और एक आंगनवाड़ी के लिए एक फ्लाईओवर के नीचे खेलने की जगह को व्यवस्थित किया।
10. वारंगल ने आंगनवाड़ी में खेलने की जगहों में सुधार किया और क्षेत्र में सड़कों तथा जंक्शनों के साथ पैदल यात्रियों के लिए बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करते हुए इसे सुरक्षित पहुंच प्रदान की।
कोहिमा में फॉरेस्ट कॉलोनी पब्लिक पॉकेट पार्क फोटो साभार: कोहिमा स्मार्ट सिटी विकास लिमिटेड
माल गोदाम तथा लेप्रोसी कॉलोनी सेलम, राउरकेला में खेलने का स्थान, फोटो साभार: राउरकेला स्मार्ट सिटी लिमिटेड
मनमोहन नगर, जबलपुर में शिशु टीकाकरण केंद्र, फोटो साभार: जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड
वडसार फ्लाईओवर, वडोदरा के नीचे आंगनवाड़ी केंद्र, फोटो साभार: वडोदरा स्मार्ट सिटी और एसएमएआईडी विश्वविद्यालय
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