“रूस-यूक्रेन युद्ध अहम चरण में प्रवेश कर गया है. अब रूस पूरे डोनबास पर दख़ल करेगा और क्रीमिया तक गलियारा बनाएगा.”
ऐसे ही मूर्खताओं के साथ पश्चिम, रूस का सामना कर रहा है.
यह बात तो पहले दिन से समझ लेनी चाहिए थी, जब यह साफ़ था कि रूसी सेना का निशाना सिविलियन सेक्शन नहीं है.
रूस ने कहा भी था कि उसका लक्ष्य यूक्रेन को डिमिलिटराइज़ और डिनाज़ीफ़ाई करना है तथा रूसी जातीयता के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है.
सारे विश्लेषक पहले दिन से कह रहे हैं कि रूस का लक्ष्य दो समुद्री छोरों से जुड़ती नाटो सीमा रेखा के ठीक समानांतर दो समुद्री छोरों से जुड़ती अपनी सुरक्षा रेखा खींचना है.
जिन दोस्तों ने बहुत पहले मेरा ट्विटर स्पेस सुना होगा, उन्हें याद होगा कि यह बात मैंने तब कही थी. वही होगा, चाहे जितनी फ़र्ज़ी और आपराधिक “शूटिंग” बुचा में या अन्यत्र करायी जाए और मीडिया में प्लांट की जाए.
यूक्रेन की क़ीमत पर लड़े जा रहे इस “अमेरिकी-ब्रिटिश युद्ध” को रोकने पर पश्चिम को ध्यान देना चाहिए, अन्यथा बात निकली है तो दूर तलक जाएगी…।