अब बारी पिछड़ों, दलितों और बेटियों की

दैनिक समाचार

द्वारा : आभा शुक्ला

उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों के बाद अब बारी पिछड़ों दलितों और बेटियों की है। मुंह में खून लगा हो तो वर्दी का रंग मटमैला पड़ जाता है। बिहार की सीमा से सटे सैयदराजा में जिस तरह चार दर्जन पुलिसवालों ने बालू आढ़ती कन्हैया यादव के घर में घुसकर आतंक का नंगा नाच किया है, उससे बड़े बड़े अपराधी भी शर्मा जाएं।

रविवार शाम पुलिस की एक टीम जिला बदर बालू के आढ़त कारोबारी को पकड़ने उसके घर पहुंची। हालांकि, कारोबारी घर पर नहीं मिला। आरोप है कि पुलिस टीम ने कारोबारी के परिवार की महिलाओं को बुरी तरह पीटा। इस दौरान 19 साल की बेटी सामने दिख गई तो उसे भी पीटना शुरू कर दिया। लड़की के पिता ने कहा, “हमें नहीं पता था कि पुलिस क्यों घर आई थी। पुलिस मामले में सब कुछ झूठ बोल रही है। पुलिस मेरे घर आई और सीधे घर में घुस गई, दोनों बच्चियां घर में थीं। बड़ी बेटी को मारा, छोटी बेटी को कमरा बंद कर मारा। जब बड़ी बेटी बेसुध हो गई तो ये लोग उसको पंखे से बांधकर भाग गए।” जोर जबरदस्ती और मारपीट से उसकी मौत हो गई। जून में उसकी शादी होनी थी। एक अन्य बेटी अभी तक घायल है।

मृत पुत्री निशा यादव उर्फ गुड़िया का देर रात पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद पुलिस की सुरक्षा के बीच अंतिम संस्क‌ार हुआ। गांव में अभी भी तनाव का माहौल कायम है। गांव के दो रास्तों पर पुलिस और PAC के जवानों को तैनात कर दिया गया है। भारी पुलिस-बल को देखते हुए लोग अपने घरों में ही कैद हैं। कोई बाहर नहीं निकल रहा है। परिवार वालों का कहना है कि यह पूरा काण्ड माफिया डॉन बृजेश सिंह के भतीजे सैयदराजा विधायक सुशील सिंह के इशारे पर किया गया है।

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