गांधियों, रास्ता छोड़ो!

व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा आखिर ये गांधी सरनेम वाले, कब तक मोदी जी रास्ते में आते रहेंगे। पहले नेहरू सरनेम की आड़ में बेचारों को कभी इसके, तो कभी उसके पीछे दौड़ाते रहे ; पीएम हो, तो ऐसा करो, वैसा मत करो। ऑरीजिनल वाले सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनाने के बाद […]

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अब…हिस्ट्री नहीं पढ़ाएंगे!

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा ये लो कर लो बात। अब विरोधियों को मोदी जी के इतिहास की किताबों में काट-पीट करवाने से भी प्राब्लम है। हर चैप्टर के फटने पर हाय-हाय। हर तथ्य के कटने पर कांय-कांय। ऊपर से इसके ताने और कि ऐसी काट-पीट के बाद जो बचेगा, वह इतिहास तो होगा नहीं। इतिहास […]

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नये भारत का स्वच्छ इतिहास!

व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा मोदी जी गलत नहीं कहते हैं। वह कुछ भी करें, उनको विरोधियों से हमेशा विरोध ही मिलेगा। हां! हेमंत बिश्वशर्मा की तरह, विरोधी खुद ही पाला फांद कर, उनके भक्तों मेें मिल जाएं, तो बात दूसरी है। अब बताइए, जब मोदी जी देश में सबके लिए अमृतकाल लाए हैं, तो क्या […]

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ये लम्हा फ़िक्र का लम्हा है हर बशर के लिए

आलेख : बादल सरोज ? कथित मानहानि के मामले में गुजरात की अदालत द्वारा दिए गए असाधारण असामान्य फैसले में राहुल गांधी को मानहानि का दोषी पाए जाने और फैसले की सर्टिफाइड कॉपी की स्याही सूखने से भी पहले संसदीय सचिवालय द्वारा उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त करने, केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा उस सीट को […]

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रामनवमी पर फसाद की टूल किट और उसके वायरस

आलेख : बादल सरोज ? खुश होना सहज इंसानी गुण है, प्रसन्नता मानवीय स्वभाव है ; बल्कि सही कहा जाए, तो उसकी जरूरत भी है, पहचान भी है। वर्ग विभाजित समाज में ज्यादातर लोगों के हिस्से में खुशियां नहीं आती। मगर हजार मुश्किलें भी व्यक्ति को प्रफुल्लित होने के बहाने ढूँढने से नहीं रोक पाती। […]

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रास्ता उपलब्ध कराने की मांग : किसान सभा ने 5 घंटे तक रोका रेल विस्तार और नए साइलो निर्माण का कार्य

कोरबा। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के लक्ष्मण प्रोजेक्ट के पास रेल विस्तार कार्य से प्रभावित होने वाले आदिवासी परिवारों के लिए बुनियादी मानवीय सुविधाएं और आम रास्ता उपलब्ध करने की मांग को लेकर गेवरा-भैंसमाखार के ग्रामीणों के साथ मिलकर पूर्व चेतावनी अनुसार रेल विस्तार और नए […]

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वन संरक्षण कानून में संशोधन विधेयक: उदारीकरण और केंद्रीकरण की दिशा में आदिवासियों पर एक और हमला

आलेख : बृंदा करात, अंग्रेजी से अनुवाद : संजय पराते भले ही सत्तारूढ़ पार्टी ने संसद में विपक्षी दलों के किसी भी हस्तक्षेप को रोका हो, लेकिन उसने बिना चर्चा के सरकारी कामकाज को आगे बढ़ाना जारी रखा। इनमें से एक था वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश करना। इस […]

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संपत्तिकर और जलकर पर माकपा के तेवर कड़े, कहा : माफ करे या 13 को घेराव झेले निगम

कोरबा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जनहित के मुद्दों पर, विशेषकर संपत्ति कर और जल कर के सवाल पर, अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। निगम के बजट सत्र से माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर के वाक आउट के बाद यह मुद्दा गर्मा गया है। आज माकपा जिला सचिव प्रशांत झा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने […]

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बदनाम होगा, तो भी राम का नाम होगा!

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा देखी, देखी, छद्म सेकुलरवालों की चालबाजी देखी! रामनवमी गुजरी नहीं कि आ गए एक बार फिर रामभक्तों को गुमराह करने। कहते हैं कि जैसे बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मप्र, गुजरात वगैरह, कम से कम आठ राज्यों में भक्तों ने, मस्जिदों वगैरह पर चढ़ार्ई कर के रामनवमी मनायी है, वह तो रामनवमी मनाने […]

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डिग्री-मुक्त पीएमओ उर्फ़ हम डिग्री नहीं दिखाएंगे!

व्यंग्य आलेख : राजेंद्र शर्मा भाई, विरोधियों की ये तो सरासर बेईमानी है। जब मोदी जी-शाह जी एनआरसी ला रहे थे, तब क्या हुआ था, वह याद है या नहीं? सरकार बेचारी समझा-समझा के हार गयी, पर विरोधियों ने पब्लिक को न जाने क्या पट्टी पढ़ा दी कि भाई लोगों ने कागज दिखाने से ही […]

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