केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, वस्त्र, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने डिजाइनरों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भारत को विश्व की फैशन राजधानी बनाने तथा देश के कारीगरों और बुनकरों को सशक्त बनाने के बारे में मंथन किया गया। ये कारीगर और बुनकर हमारी संस्कृति और शिल्प विरासत के सच्चे ध्वजवाहक हैं। इस अवसर पर वस्त्र मंत्रालय में सचिव श्री यू.पी. सिंह और निफ्ट के महानिदेशक श्री. शांतमनु भी उपस्थित थे।
इस बैठक में भारत के हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव रखने वाले निफ्ट के 27 प्रतिभाशाली पूर्व छात्र भी शामिल हुए। इस मंच में उन कुछ वरिष्ठतम डिजाइनरों ने भाग लिया जिनका भारतीय शिल्प क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है। इनके नाम इस प्रकार हैं- सुनीता शंकर, श्री सब्यसाची मुखर्जी, सुश्री तनवीन रत्ती, श्री सुकेत धीर, सुश्री उमा प्रजापति, श्री परमिंदर पाल सिंह, सुश्री करिश्मा आचार्य, सुश्री अनाविला मिश्रा, सुश्री निधि याशा, सुश्री निवेदिता साबू, श्री मनीष त्रिपाठी, सुश्री अंजलि पुरोहित, सुश्री अनिंदिता सरदार, श्री अक्षय सिंह, श्री सार्थक सेनगुप्ता, श्री सामंत चौहान, श्री सिद्धार्थ सिन्हा, श्री जॉय मित्रा, सुश्री मन्नत सेठी, श्री हरप्रीत पदम, श्रीमान पद्म राज केशरी, सुश्री रिंकी गौतम, श्री अभिषेक गुप्ता, श्री गौरव जय गुप्ता, श्री वैभव अग्रवाल और श्री प्रियंकुर सेनगुप्ता और श्री अक्षय दीप सिंह।
इस बैठक का उद्देश्य डिजाइनर और शिल्पकारों के सहयोग के साथ-साथ इस बारे में विचार करना था कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी और विपणन रणनीतियों के उपाय से शिल्प की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है। शिल्प और शिल्पकारों की सुरक्षा और शिल्प की जीविका के बारे में डिजाइनरों ने अपने विचार रखे। प्रेम जनित श्रम होने के कारण शिल्प को विलासिता का दर्जा दिया जाना चाहिए।
श्री गोयल ने डिजाइनरों द्वारा रखे गए दृष्टिकोण के साथ-साथ भारतीय शिल्प के लिए उनके जुनून की प्रशंसा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी राष्ट्र की कला, शिल्प, संस्कृति, परंपरा और विरासत का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने डिजाइनरों को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाए गए या चर्चा किए गए सभी बिंदुओं को ठीक तरह के नोट कर लिया गया है और उन पर आगे कार्रवाई करते समय ध्यान दिया जाएगा। सप्ताह में एक दिन खादी/हथकरघा वस्त्र पहनने का विचार और डिजाइनरों की राष्ट्र पर गर्व करने की भावना की भी सराहना की गई। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण बहुत सारी संभावनाओं को खोलता है कि डिजाइनरों को बड़ी भूमिका निभानी है।
श्री गोयल ने इस एक लक्ष्य की दिशा में समग्रता से काम करने का आग्रह किया जिससे पहचान किए गए सभी 75 लाख शिल्पकार हर महीने 1000 रुपये अधिक कमा सकें। उन्होंने कहा कि अगला लक्ष्य भारत के शिल्प और विरासत की पहचान और संरक्षण का है। श्री गोयल ने निफ्ट के 30,000 से अधिक पूर्व छात्रों के इको-सिस्टम से पूरे शिल्प इको-सिस्टम में परिवर्तन लाने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पूर्व छात्र को एक शिल्पकार को अपनाना चाहिए और उन्हें समाज के वचंति वर्ग को डिजाइन, प्रबंधन और प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं के बारे में शिक्षित करने के लिए समय देना चाहिए।
श्री गोयल ने यह भी कहा कि भारत को विश्व की फैशन राजधानी बनना चाहिए। भारत को अपने उत्पादों को विश्व के प्रमुख फैशन हाउसों के साथ प्रदर्शित करके विश्व स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गर्व करना महत्वपूर्ण है और हमें बिना किसी पूर्वाग्रह के राष्ट्र की प्रगति के लिए अपने विचारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सहयोग एक प्रमुख बिंदु है और हम सब मिलकर भारतीय शिल्प की विश्व स्तर पर उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं जिससे सभी को लाभ होगा। इस बैठक में निफ्ट की डीन एकेडमिक्स प्रो. डॉ. वंदना नारंग और हेड ऑफ इंडस्ट्री एंड एलुमनी अफेयर प्रो. डॉ. जोनाली डी. बाजपेयी ने भी भाग लिया।
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