22,842 रुपए की हेराफेरी को BHARAT में “चोरी” कहा जाता है. तो दूसरी तरफ 22,842 करोड़ रुपए की हेराफेरी को INDIA में SCAM या CORRUPTION कहा जाता है.
सवर्ण अल्पसंख्यक ने अपने सुविधानुसार शब्द गढ़ लेते हैं. आज़ाद भारत की पहली चोरी रक्षा मंत्रालय के अधीन जीप खरीद में की गई. चोरी की उंगली रक्षा मंत्री मेनन से होते हुए नेहरू पर भी उठी थी. लेकिन ब्राह्मण अखबारों ने इस चोरी को सुंदर का नाम CORRUPTION दिया.
उदारीकरण के दौर में जब उद्योपतियों या शेयर दलालों की चोरी पकड़े जाने लगी तब भी इन चोरों की चोरी को चोरी नही कहा गया. पश्चिम से नया नाम आयात किया गया SCAM. इस नए शब्द ने हज़ारों करोड़ो की चोरी करने वाले चोरों का सम्मान बनाने का काम किया. इस कार्य में ब्राह्मण बनिया मीडिया ने अहम भूमिका निभाई.
देश में हर साल चोरी होती है. कई लोग चोरी करते हैं. छोटी मोटी चोरी करने वाले जेल जाते हैं और बड़ी चोरी करने वाले चोर जैसे जनेऊधारी विजय माल्या, वैश्य और मारवाड़ी जाति के नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चौकसी जैसे चोर सरकार की मदद से विदेशों में भाग जाते हैं.
एक बार फिर देश में सबसे बड़ी चोरी को बनिया जैन और मारवाड़ी जाति के उद्योगपतियों ने अंजाम दिया है. कुल 22,842 करोड़ रुपए की चोरी हुई जिसे ब्राह्मण बनिया मीडिया ने SCAM कहा. ABG शिपयार्ड नाम की कंपनी ने यह चोरी की है. बैंक से लिया हुआ कर्ज़ व्यापार में ना लगाकर निजी खातों में ट्रांसफर कर विदेशी खातों में जमा कर दिया और कंपनी को दिवालिया घोषित कर भाग गए.
ABG शिपयार्ड की जन्मकुंडली.
1985 में ABG शिपयार्ड कंपनी का जन्म होता है. जिसका मुख्य काम छोटी पानी की जहाज बनाना था. उदारीकरण के दौर में कंपनी को सरकारी ठेका मिलना शुरू हो जाता है. लेकिन कंपनी को ऊंची उड़ान उड़ने का मौका अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौर में मिला.
2004 : अटल बिहारी वाजपेयी ने जाते जाते ABG शिपयार्ड कंपनी को प्रदूषण कंट्रोल वेसल बनाने का ठेका देते गए.
2009 : पूंजीवाद मंदिर के कट्टरपुजारी मनमोहन सिंह के शासनकाल में नेवी के लिए 11 हाई स्पीड जेट प्रोपेल्ड इंटरसेप्टर निर्माण का ठेका मिला.
2012 : मनमोहन सिंह सरकार के शासन में कंपनी ने बैंको से भारी भरकम कर्ज़ लेना शुरू किया. UPA-2 के शासन में सरकारी कंपनी SHIPPING CORPORATION OF INDIA ने ABG शिपयार्ड कंपनी को 20,409 करोड़ रुपए का सबसे बड़ा ठेका दिया.
नेवी के जरूरतों के लिए जो निर्माण सरकारी कंपनी SHIPPING CORPORATION OF INDIA करती थी वह सारे काम ABG को मिलने लगे.
2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. ABG शिपयार्ड की शान में कोई कमी नही आयी. कंपनी सरकारी और निजी बैंकों में कर्ज लेती गयी. और 2017 में अचानक से कंपनी ने कहा हम बीमार हैं, हमे बुखार है.
इसका अर्थ है इन बैंकों से लिया हुआ कर्ज़ ABG शिपयार्ड नही लौटाएगा.
ICICI BANK – 7089 करोड़.
IDBI BANK – 3639 करोड़.
SBI BANK – 2925 करोड़.
B.O.B – 1619 करोड़.
P.N.B – 1244 करोड़.
और 23 अन्य बैंको का 6331 करोड़.
इतनी हिम्मत इन कंपनियों में आती कहां से है ?
क्यों कि सरकार, प्रशासन, मीडिया, उद्योग, बैंक, मीडिया, RBI, SEBI, CBI और सभी बड़ी संस्थाओं पर अल्पसंख्यक सवर्ण का वर्चस्व है.
ABG शिपयार्ड लिमिटेड कंपनी के चोर भी अल्पसंख्यक सवर्ण हैं. इन चोरों के नाम इस प्रकार हैं.
चेयरमैन और सीएमडी : आरके अग्रवाल (चोर)
एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर : संथानम मुथुस्वामी (चोर)
डायरेक्टर : सुशील अग्रवाल और रवि विमल नेवटिया (चोर). और कर्ज देने वाले बैंको के बड़े अधिकारी और वह नेता मंत्री भी चोर हैं जिन्होंने इन चोरों को चोरी करने में मदद की.
अंतिम पंक्ति : इस साल भारत को $256 बिलियन कर्ज़ चुकाना है, यानी 19,45,856 करोड़ रुपए. भारत की आधी आबादी बेहद गरीब है. 30% आबादी बड़ी मुश्किल से दो वक्त का भोजन कर पाती है. एक गरीब देश में कुछ मुट्ठी भर सवर्ण जाति के चोर लाखों करोड़ों चुराकर विदेश भाग जाते हैं और देश का पीएम दीवाली रमज़ान हिन्दू मुस्लिम में उलझा कर जनेऊधारी विजय माल्या और वैश्य, जैन, मारवाड़ी चोरों पर कोई ठोस कार्यवाही नही करता.
✍?✍?Kranti Kumar
(साभार)