अब तक मुझे जो समझ में आया वह मामला यह है कि इसमें 27% आरक्षण के हिसाब से 18,000 पद केवल ओबीसी के लिए आरक्षित होने चाहिए थे।
लेकिन जब फाइनल सलेक्शन हुआ तो सिर्फ 4,800 ओबीसी की भर्ती हुई। ओबीसी के 6,800 अभ्यर्थी तो ऐसे थे जिन्होंने सामान्य मेरिट से ज्यादा अंक पाया था और उनका चयन जनरल में छोड़िए, ओबीसी में भी नहीं हुआ।
सरकार ने माना कि गड़बड़ी हुई है। लेकिन उसने फिर से मेरिट बनाने, इन 6800 को जनरल में समायोजित करके 18,000 अतिरिक्त ओबीसी भर्ती करने के बजाय कोर्ट में यह कहा कि सामान्य से ज्यादा नम्बर पाए 6800 लड़कों के लिए अलग से वैकेंसी क्रिएट करके उन्हें नौकरी दे देंगे।
इलाहाबाद न्यायालय ने यह कहते हुए रोक लगा दी कि जब आपके पास रिक्तियां ही नहीं हैं तो इतने लोगों को नौकरी कहाँ से देंगे? क्या 6800 पदों पर दोहरी नियुक्ति होगी और उन्हें सरकारी खजाने से पैसे दिए जाएंगे?
कोर्ट ने कहा कि गलती सरकार ने की है, वह समझे कि क्या करना है।
मोटा मोटी देखें तो 4800+6800 यानी 11600 लोगों को सामान्य पदों पर रखा जाना चाहिए और उसके बाद 18,000 लोगों को ओबीसी में। कुल मिलाकर ये लोग ओबीसी के 25,000 पद खा गए। यह जातिवाद की वजह से खाया गया या बड़े पैमाने पर रिश्वत खाई गई और सतीश द्विवेदी व योगी आदित्यनाथ में पैसे बंटे, यह तो सीबीआई जांच से ही पता चल सकता है।
इसका एक ही उपचार है कि सभी नियुक्तियां रद्द कर नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाए और इस घोटाले में शामिल लोगों को जेल की सजा हो। यह सजा कोर्ट साहब लालू स्टाइल में भी दे सकते हैं कि अभी जितने लोगों की नौकरी छीनी जाएगी उसके एक एक मामले को अलग देखते हुए अलग अलग घोटाला माना जाए और सबके लिए अलग अलग सजा सुनाई जाए।
और कोई तरीका न्याय पाने का नहीं है। दुर्भाग्य यह है कि कांग्रेस, सपा बसपा के लिए यह मसला नहीं है कि वह खुलकर कह सकें कि सरकार में आये तो घोटालेबाज जेल की सलाखों के पीछे होंगे। ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। घोटाले और रिश्वत से नौकरी पाए लोग 60 साल होने तक सरकारी खजाने को लूटते रहेंगे और अपने बच्चों को कॉन्वेंट में पढ़ाकर प्राइमरी पाठशाला में पढ़ने वाले गरीब गुरबों के बच्चों का भविष्य बर्बाद करते रहेंगे।
खैर… भाड़ में जाएं ओबीसी। हम क्यों सर खपाएँ। कौन सा मुझे कुछ मिलना जुलना है! हमारे बच्चे सेंट फ्रांसिस और सेंट थॉमस जैसे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। ओबीसी लोग भारत माता की जय बोलकर कमल पर मुहर लगाएं और मेरी राह आसान करें।