साथियों,
उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 के लिए भाजपा की जीत का ऐतिहासिक महत्व हो सकता है। अब 2024 के लोकसभा चुनाव मे 80 में से भाजपा के फिर 60 के आस पास सांसद हो सकते हैं जिनके कारण केंद्र में 272 का आंकड़ा छूने में भाजपा को खास दिक्कत नहीं होगी ।
2024 में केंद्र में भाजपा आई तो क्या हो सकता है ? डॉ अम्बेडकर का बनाया संविधान हटा कर ब्राह्मणों,क्षत्रियों और वैश्यों के हित का संविधान लागू किये जाने की पूरी सम्भावना है और उसके लिए वर्तमान संविधान की प्रस्तावना में भारत को बस हिन्दू राष्ट्र घोषित करना ही पर्याप्त होगा। हिन्दू राष्ट्र यानी ऐसा देश जिसमे ब्राह्मणों द्वारा रचित वेदों, पुराणों, उपनिषदों, रामायण,महाभारत, मनुस्मृति, रामचरित मानस के अनुसार शासन चलेगा । उसके बाद उक्त पुस्तकों के अनुरूप वर्ण व्यवस्था को कट्टरता से लागू किया जा सकता है । शूद्र यानी धोबी, धानुक,भंगी,अहीर,गडरिया,कुर्मी, लोहार,चमार,नाई,निषाद ,लोधी, भुर्जी,माली,खटिक,बढ़ई,कोरी,भर, कुम्हार,कहार,शाक्य,मौर्य,कुशवाहा, पासी,बेड़िया,नट ,बारी,मुसहर,बसोर आदि से शिक्षित होने, सरकारी सेवाओं में जाने, प्रधान, सभासद, जिला पंचायत सदस्य,ब्लॉक प्रमुख , नगर पालिका, जिला पंचायत अध्यक्ष,विधायक,सांसद आदि बनने के अधिकार् शूद्र होने के कारण छीने जा सकते हैं क्योंकि उक्त पुस्तकों के अनुसार शूद्र का एकमात्र धर्म सवर्णों की सेवा करना है ।
हो सकता है कि कुछ आर्थिक रूप से सशक्त और बुद्ध,ज्योतिबा फुले,शाहू जी,अम्बेडकर ,गाडगे,रामस्वरूप वर्मा,ललई सिंह यादव ,महाराज सिंह भारती,पेरियार रामास्वामी नायकर आदि को मानने वाले मुट्ठी भर पिछड़े,दलित,आदिवासी हिन्दु राष्ट्र बनाये जाने पर विरोध करें लेकिन उन्हें राष्ट्रविरोधी घोषित करके दबाने में कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि 2-4 प्रतिशत पिछड़ों,दलितों,आदिवासियों को छोड़ कर शेष सभी पिछड़े,दलित तो खुद कट्टर हिन्दू बनते हैं, उक्त किताबों को पवित्र मानते हैं, ब्राह्मणों के बताए रास्ते पर चल कर पूजापाठ,कर्मकांड करते हैं ,मुसलमानों के नाम पर बड़ी आसानी से भड़का दिए जाते हैं। तो अधिकांश पिछड़े दलित तो संविधान संशोधन होते ही नासमझी में खुद पटाखे दागेंगे, डांस करेंगे, जय श्रीराम के नारे गला फाड़ फाड़ कर लगाएंगे। जब तक वे जान पाएंगे कि वे स्थायी रूप से बर्बाद हो गए तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।10 वर्ष बीतते बीतते 200 वर्ष पुरानी स्थिति में पहुंच जाएंगे सारे शूद्र। जानवरों से भी बदतर स्थिति में हो जाएंगे और कुछ कर भी नहीं पाएंगे, सिर्फ घुट- घुट कर सिसक- सिसक कर जीने के लिए बाध्य हो जाएंगे। अब ईस्ट इंडिया कम्पनी नहीं आने वाली शूद्रों के ऊपर होने जा रहे अमानवीय अत्याचारों पर अंकुश लगाने के लिए।
2024 से 2025 के बीच भाजपा हिन्दू राष्ट्र घोषित करने का पूरा प्रयास जरूर करेगी क्योंकि 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। यह स्मरणीय है कि आर एस एस की प्रतिदिन सुबह,शाम पार्कों, स्कूलों आदि में लगने वाली लाखों शाखाओं में रोज गाई जाने वाली प्रार्थना में हिन्दू राष्ट्र का स्मरण कराया जाता है, हिन्दू राष्ट्र के निर्माण का संकल्प दोहराया जाता है।
आर एस एस का राजनैतिक संगठन मात्र है भाजपा। जैसे विश्व हिंदू परिषद, विद्यार्थी परिषद,भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ,सरस्वती शिशु मन्दिर, बनवासी कल्याण परिषद आदि उसके सैकड़ों अनुसांगिक संगठन हैं ठीक वैसी ही है भाजपा जिसके केंद्रीय संगठन मंत्री, प्रान्तीय संगठन मंत्री, जिला संगठन मंत्री सामान्यतः आर एस एस के पूर्णकालिक प्रचारक ही बनाये जाते हैं और उनके माध्यम से संघ पूरी तरह कंट्रोल करता है भाजपा को। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आर एस एस के प्रचारक ही हैं।
आर एस एस के नियंत्रक,सूत्रधार को सरसंघचालक कहा जाता है। 1925 में डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार ने इसकी नागपुर में विजयदशमी के दिन स्थापना की थी। वे महाराष्ट्र के ब्राह्मण थे, चितपावन ब्राह्मण। तबसे आज तक के श्री मोहन भागवत तक के संघ के सभी सरसंचालक ब्राह्मण ही हुए सिर्फ बुलन्दशहर, यूपी के प्रोफेसर डॉ राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भैया को छोड़ कर जो कि ठाकुर थे। संघ के समस्त नीतिगत निर्णय जिस इकाई द्वारा लिए जाते हैं उस अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा मे भी अधिकांश सदस्य ब्राह्मण ही होते हैं। उल्लेखनीय है कि 11 मार्च से 13 मार्च 2022 तक अहमदाबाद में आगामी वर्ष के लिए अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा निर्णय लेगी। श्री मोदी भी इस समय अहमदाबाद में ही हैं।
तो ऐसा घोर ब्राह्मण केंद्रित संगठन क्या कुर्मियों, धोबियों,कोरियों,अहीरों,लोधियों,खटिकों ,भंगियों, पासियों,धानुकों,आदिवासियों के हितों की बात सोचने वाला हो सकता है?
अब सवाल यह है कि शूद्रों और आदिवासियों के आशंकित सर्वनाश को कैसे रोका जाए? यह तभी संभव है जब भाजपा को यूपी, एमपी,बिहार, महाराष्ट्र,राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में रोका जाए लेकिन यदि यूपी में भी रोक दिया गया तो भी काम बन सकता है। इसके लिए एक एक जाति की पार्टियों के रूप में बदनाम हो चुकीं बसपा, सपा, अपना दल, सुभासपा, जन अधिकार पार्टी आदि की जगह विकल्प के रूप में नई राजनैतिक पार्टी खड़ी की जाए जो ईमानदारी से सभी पिछड़ी,दलित जातियों और आदिवासियों की पार्टी बन सके। काम बेहद कठिन है लेकिन इसके सिवाय कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।
जय भीम नमो बुद्धाय
– एस एन चक