विकल्प का उदाहरण

दैनिक समाचार

एक शराबी ठेके से पौव्वा खरीदा, वहीँ नीट गटका और चल पड़ा अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने उसकी गली | रास्ते में अचानक एक दुर्घटना घट गयी, जमीन हिलने लगी, आसमान नीचे गिरने लगा, पृथ्वी ही पलटने लगी |

शराबी ने आसपास नजर दौड़ाई, उसे कोई नजर नहीं आया | वह बहुत ही बुरी तरह घबरा गया | उसे लगा यदि उसने समय रहते कोई उचित कदम नहीं उठाया तो पृथ्वी पलट जायेगी और कई मासूम मारे जायेंगे, और हो सकता है उसकी गर्लफ्रेंड भी…..अरे

नहींssssssssssssss…! उसके मुँह से चीख निकल गयी | और दौड़ कर पास ही खड़े एक खम्बे को पकड़ लिया |

खम्बे को थामते ही सब कुछ उसे सामान्य होता दिखने लगा | पृथ्वी अब नहीं पलट रही थी, आसमान नहीं गिर रहा था | उसने ईश्वर का धन्यवाद दिया कि सही समय पर उसे सद्बुद्धि दी कि खम्बे को थामना चाहिए | अब इसी अवस्था में वह बैठा रहा |

कुछ देर बाद कुछ लोग वहां से गुजरे तो उसे खम्बा छोड़कर अपने घर जाने के लिए कहा | शराबी बोला कि यदि खम्बा छोड़ दिया तो पृथ्वी पलट जायेगी आसमान गिर जायेगा |

लोगों ने बहुत समझाने की कोशिश की तब वह खम्बा छोड़ने को राजी हुआ | लेकिन अब नयी समस्या खड़ी हो गयी कि खम्बे ने उसे पकड लिया था | अब वह चाहकर भी खम्बे को नहीं छोड़ पा रहा था |

बस यही स्थिति उन लोगों की है, जो प्रश्न करते हैं कि विकल्प क्या है ???

किसी ने मोदी को पकड़ रखा है, किसी ने राहुल को किसी ने किसी को तो किसी ने किसी को | और सभी के साथ समस्या यह है कि उन्हें लगता है कि यदि उसने उन्हें छोड़ दिया तो आसमान गिर पड़ेगा, पृथ्वी पलट जायेगी और कोई विकल्प ही नहीं है उनके पास |

धर्म, जाति, सांप्रदायिक उन्माद के ठर्रे के नशे में धुत्त इन धर्मान्धों, जाति व पार्टी भक्तों को लगता है कि इन्ही की वजह से यह देश टिका है, आसमान टिका है….और जब तक इनका नशा नहीं उतरेगा, ये इसी प्रकार खम्बा पकड़े पड़े रहेंगे |

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