कमाल ! यह दिल्ली की अमन पसंद जनता के जागने और संविधान की ताकत का है ! जिस सुप्रीम कोर्ट में डेट नही मिलती, वहाँ सिर्फ कुछ मिनटों में जहांगीरपुरी अतिक्रमण पर आज रोक लगी ? कारण ? बिना संविधानिक नोटिस के बुल्डोजर चुने हुए अतिक्रमण पर कारवाई गेर कानूनी है
तो क्या संविधान के दबाव में क्या अब भी बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता ? सुप्रीम कोर्ट की इस राहत के पीछे किन किन अच्छे देशभक्तों का सहयोग था । आईये जानने की कोशिश करें ! लेकिन इसके वास्तविक निष्पादन के लिए अभी भी एक संयुक्त टीम की आवश्यकता है जिसमें उचित सिस्टम के उपयोग की मांग हो। यदि प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे सुप्रीम कोर्ट के वकील के रूप में “स्टेटस को” के आदेश के लिए सुप्रीम कोर्ट को जगाने में जबरदस्त प्रयास करते थे। वहीं बाद में निर्देश के पालन में पुलिस और एमसीडी से भिड़कर माकपा नेता वृंदा करात को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की हार्ड कॉपी के साथ आज वृंदा करात को घटनास्थल और पुलिस मुख्यालय की तरफ भागना पड़ा। दुसरी तरफ प्रशासन में दो तीन घंटे तक तोड़फोड़ जारी रही । “डिसटरशण” करने की गजब की लगन और जल्दबाजी दिखाई। जहांगीरपुरी-दिल्ली में बिना किसी नोटिस के “चुने हुए” विध्वंस के खिलाफ जनता में व्यापक रूप से गुस्सा है। एमसीडी और पुलिस अधिकारी इस सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के फ्लैश प्रसारण को तुरंत फालो या लागु क्यों नहीं कर सकते ? सरकारी के ऐसे दुर्भावना पूर्ण इरादे और नकली बहाने का मुकाबला करने के लिए भविष्य में एक टीम वर्क और एक तकनीकी जन अलर्ट की आवश्यकता है। यदि कोई कार का मालिक रोड टैक्स जमा कराने में देरी करता है तो डिजिटल भारत में टैक्स जमा करने के लिए सड़क पर खड़े यातायात पुलिस के मोबाइल पर तुरंत आनलाइन आती है। तो ऐसी चेतावनी और चुने हुए विध्वंस पर बुल्डोजिंग के दुरुपयोग बिना चेतावनी क्यों उचित नहीं ?बिना संविधानिक नोटिस के बुल्डोजर चलाना और बिना परमिशन के हत्यार- बंध धार्मिक रैली निकलवाना की हिम्मत वही सरकार कर सकती जो जनता को बेवकुफ समझाती है।क्या सरकार संविधान का मजाक बार बार इसी तरह उड़ाती रहेगी ? आपके सुझावों का स्वागत है???- राकेश मनचन्दा।- राकेश मनचंदा??#जहाँगीरपुरीदंगा