केजरीवाल सरकार के डॉ. बी.आर.अम्बेडकर स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में आयोजित की गई मेगा पीटीएम, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शामिल होकर की पेरेंट्स से चर्चा

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रटने से दूर जाकर सीखने की आदत को अपनाना दिल्ली की शिक्षा क्रांति का सबसे बड़ा बदलाव, हम अपने स्कूलों में बच्चों को दे रहे है रटने से आजादी- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

किसी बच्चे को आर्थिक कारणों से न मिल पाए क्वालिटी एजुकेशन उसके जबाब में अरविंद केजरीवाल जी ने तैयार किए अम्बेडकर एसओएसई- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

एसओएसई देश के पहले ऐसे सरकारी स्कूल जहाँ बचपन से ही संवारी जाती है उनकी प्रतिभा, अब वो दिन दूर नहीं जब एसओएसई से सीखकर बदलेंगे देश के सारे स्कूल- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

उपमुख्यमंत्री से बात करते भावुक हुए पेरेंट्स कहा एसओएसई ने दिलाया विश्वास यह स्कूल उनके बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में करेगा मदद

गजब का उत्साह दिखाते हुए एसओएसई के मेगा पीटीएम में शामिल हुए पेरेंट्स, बच्चों की पढ़ाई व उनकी प्रगति को लेकर टीचर्स से की बात

21 अप्रैल, नई दिल्ली

केजरीवाल सरकार का डॉ. बी.आर.अम्बेडकर स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में आयोजित पहले मेगा पीटीएम में पेरेंट्स जबरदस्त उत्साह के साथ शामिल हुए| पेरेंट्स का कॉन्फिडेंस और उनके चेहरे की खुशी ये साबित कर रही थी कि इन स्कूलों में उनके बच्चों के भविष्य की शानदार नींव डाली जा रही है और बाबा साहेब के सपनों को पूरा करते हुए हर तबके के बच्चों को वर्ल्ड-क्लास एजुकेशन दी जा रही है। गुरुवार को उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने इन स्कूलों का दौरा किया और पीटीएम के दौरान पेरेंट्स व बच्चों से बातचीत की|

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी बच्चे को आर्थिक कारणों से क्वालिटी एजुकेशन न मिल पाए इसके जबाब के रूप में अरविंद केजरीवाल ने ये स्कूल तैयार किए है जहाँ हर तबके के बच्चों को शानदार शिक्षा दी जा रही है| और अब वो दिन दूर नहीं जब एसओएसई से सीखकर देश के सारे स्कूल बदलेंगे| उन्होंने कहा कि एसओएसई देश के पहले ऐसे सरकारी स्कूल है जहाँ बचपन से ही उनकी प्रतिभा को संवारा जाता है| उन्होंने पेरेंट्स से अपील करते हुए कहा कि पेरेंट्स अपने बच्चों को मेंटल-इमोशनल सपोर्ट करे और हम उन्हें अच्छी शिक्षा देंगे क्योंकि बच्चे केवल किसी परिवार का भविष्य नहीं बल्कि देश का भविष्य भी है|

इस मौके पर श्री सिसोदिया ने कहा कि हमारे एसओएसई मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के सपनों का स्कूल है और हम विश्वास दिलाते है कि हमारे स्कूलों में पढ़ने वाले हर बच्चे को ऐसी शिक्षा देंगे की पेरेंट्स-समाज-देश उनपर गर्व करेगा और ये हमारी जिम्मेदारी है| उन्होंने कहा कि हमने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को शानदार बनाया बच्चों-टीचर्स को सुविधाएं दी ये बदलाव का हिस्सा है लेकिन सबसे बड़ा बदलाव ये है कि हम अब रटने की आदत से हटकर सीखने की आदत को अपना रहे है| हमारे शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी कमी रटने की आदत है और हम उसे समझने और सीखने की आदत में बदल रहे है| बच्चों को रटने से आजादी दे रहे है|

डॉ. बी.आर.अम्बेडकर एसओएसई के मेगा पीटीएम में क्या रहा ख़ास

  • पेरेंट्स को अपने बच्चे की प्रगति जानने व फीडबैक देने के लिए मिला टीचर्स के साथ वन-टू-वन इंटरेक्शन का मौका
  • एग्जिबिशन के माध्यम से बच्चों के काम,प्रोजेक्ट्स, रोबोटिक्स मॉडल, उनके टैलेंट को देखने व सराहने का मौका
    -डीबीएसई बोर्ड के पहले वर्ष में तैयार नया व अनोखा रिपोर्ट कार्ड जो मार्क्स दिखने के बजाय बताता है कि बच्चों ने सालभर में क्या सीखा

पेरेंट्स ने क्या कहा?

एसओएसई में उपमुख्यमंत्री से बातचीत के दौरान एक पैरेंट ने बताया कि ‘पिछले प्राइवेट स्कूल की तुलना में यहां मेरे बच्चे का कॉन्फिडेंस काफी बढ़ा है और अब मुझे विश्वास है कि मेरी बेटी भविष्य में बेहतर कर पाएगी उन्होंने कहा कि इस स्कूल की सबसे बेहतर बात ये है कि यहां बच्चों को एक्सपेरिमेंटल लर्निंग दी जाती है जबकि पिछले स्कूल में केवल किताबी पढ़ाई ही होती थी| वहां टीचर्स केवल 4-5 बच्चों को ही हर चीज में आगे रखते थे लेकिन इस स्कूल में हर बच्चे के ओवरआल डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जाता है|

एक अन्य पैरेंट ने कहा कि ‘एसओएसई में आने से सालभर में मेरी बेटी में काफी बदलाव आए है| और अब वो हमें समझाने लगी है| उसने ट्रांस-जेंडर, धर्म-जाति के साथ-साथ सोसाइटी के दूसरे संवेदनशील मुद्दों को लेकर हमारी सोच को बदलने का काम किया है|

धर्मेन्द्र लाकड़ा नाम के एक पैरेंट ने बताया कि एसओएसई में एडमिशन करवाने से पहले वो अपने बच्चे का स्कूल 6 बाद बदल चुके थे क्योंकि वो किसी भी स्कूल से संतुष्ट नहीं थे लेकिन स्कूल बदलने का ये सिलसिला एसओएसई में खत्म हो गया जहाँ बच्चों को पढ़ाया नहीं बल्कि सीखाया जाता है|

स्टेम एसओएसई में साप्ताहिक बाज़ार लगाने वाले दीपक जी ने कहा कि ‘ मेरा बड़ा बेटा मेरे साथ ही बाजार लगता है आर्थिक स्थिति बेहतर न होने के कारण वो आगे नहीं पढ़ पाया| मुझे लगता था कि मेरे छोटे बेटे के साथ भी ऐसा ही होगा लेकिन अब ये सोच बदल गई है मुझे विश्वास है कि यह स्कूल उसे बेहतर भविष्य बनाने में मदद करेगा|

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