“महान क्रान्तिकारी, मेहनतकशों के नेता कॉमरेड लेनिन को उनके जन्म दिवस पर क्रान्तिकारी सलाम*

दैनिक समाचार

शहीदे आज़म भगत सिंह भी लेनिन से बहुत प्रभावित थे।भगत सिंह अपने लेख “टू यंग पोलिटिकल वर्कर्स” में लिखते हैं कि हमें लेनिन से क्रांतिकारी राजनीति के तरीकों को सीखना चाहिए और समाजवादी क्रांति के लिए काम करना चाहिए I भगत सिंह इसमें युवाओं को कहते हैं कि हमें उस शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए जो लेनिन को सबसे प्रिय था “प्रोफेशनल रेवोल्यूशनरी”I एक ऐसा व्यक्ति जिसका क्रांति के सिवा ज़िदगी में और कोई मकसद ना हो I जितने ज़्यादा ऐसे लोग पार्टी में होंगे आपकी सफलता की संभावनाएं उतनी ही बढेंगी I

लेनिन मार्क्सवादी विचारधारा के बड़े शिक्षकों में से एक हैं I उन्होंने न सिर्फ इस विचारधरा को नए आयाम दिए बल्कि इसे पहली बार सोवियत संघ की धरती पर स्थापित करने में एक अहम भूमिका भी निभाई I अगर सरल शब्दों के कहा जाए तो मार्क्सवाद-लेनिनवाद वो विचारधारा है जो कहती है कि दुनिया में पूँजी का नहीं बल्कि मेहनतकशों का राज होना चाहिए , और ऐसा करने का रास्ता भी दिखाती है I सीधे शब्दों में कहा जाए तो ये शोषण-उत्पीड़न पर टिके ऊंच-नीच के समाज को ख़तम कर एक बराबरी का समाज बनाना चाहती है I

अपनी किताब “राज्य और क्रांति” (State and Revolution) में लेनिन ने समझाया कि कैसे दुनिया में जो भी राज्य हैं उनपर पूंजीपतियों का वर्चस्व है और इसी वजह से राज्य जनता पर दमन करते हैं I कैसे उत्पादन के साधनों को मज़दूर किसान अपने हाथों में लेकर पूँजी और उसके दमन को ख़त्म करके समता मूलक समाज बना सकते है I उनके बहुत से योगदानों में एक ये भी था कि उन्होंने ये समझाया कि कैसे ये पूँजीपतियों का शासन एक देश से निकलकर दूसरे देशों को अपने अधीन करने लगा है और यही साम्राज्यवाद है I इस साम्राज्यवाद को कैसे पराजित किया जाए इसका रास्ता ठोस तरीकों से समझाने वाले लेनिन ही थे I

फ़ासिवाद के बारे में लेनिन का कथन कि “फासीवाद सड़ते हुई पूंजीवादी व्यवस्था का रूप है” आज फिर से दिखा रहा है कि भारत व दुनिया में बढ़ता फ़ासिवादी ख़तरा पूँजीवादी व्यवस्था के संकटग्रस्त होने व क्रान्तियों की एक नयी शृंखला शुरू होने की प्रतिध्वनि है।

लेनिन के ऐतिहासिक महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्ही के नेतृत्व में दुनिया के इतिहास में पहली बार एक ऐसे राज्य की स्थापना हुई जहां सही मायनों में जनता का राज्य था I रूस की मेहनतकश जनता ने ज़ुल्म की बेड़ियाँ तोड़कर 1917 में क्रान्ति के ज़रिये एक ऐसे राज्य की स्थापना की जिसने पहली बार महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक बराबरी दी और मतदान का अधिकार भी दिया , स्वास्थ्य सेवाओं को नि:शुल्क किया , 100% साक्षरता प्राप्त की और विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ भी हासिल करीं I सोवियत संघ दुनिया का पहला राज्य बना, जिसने रोज़गार को अपने संविधान में मौलिक अधिकार का दर्जा दिया I यही वजह थी की 1936 तक वो दुनिया का पहला राष्ट्र बन गया था जहाँ बेरोज़गारी ख़त्म हो गई थी I

धर्मेन्द्र आजाद

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