मैं और मेरा भगवान से सीधा वार्तालाप!

दैनिक समाचार

द्वारा : इं. एस. के. वर्मा

हाथ खाली और जेब में पैसा नहीं होगा तो आदमी न तो स्कूल जा पाएगा और मंदिर में घंटा भी नहीं बजा पाएगा!
क्योंकि बड़े बड़े मंदिरों में तो दानपात्र वाली परंपरा भी बदल दी गयी है।
क्योंकि लोग भगवान को भी धोखा देते थे फटे पुराने कहीं पर भी ध चलने वाले नोट दानपात्र में डाल आते थे। कितने रुपए का दान करेंगे,यह भी पता नहीं चलता था।
अब तो मंदिर में प्रवेश बाद में करते हैं पहले 251,501,5100,11000, आदि की पर्ची काउंटर पर कट जाती है और एक टोकन लेकर जाना होता है।
जहां कोई धोखाधड़ी नहीं कर सकता है, मंदिर में घुसने से ठीक पहले एक और काउंटर बना होता है जहां उस टोकन को लेकर उतने रुपये वाली प्रसाद की पोटली थमा दी जाती है।
ऐसे में बेरोजगारी का मारा इंसान भगवान के दर्शन भी कैसे कर सकता है?
जबकि वर्तमान से पूर्व जब आदमी कंगाल हो या किसी मुसीबत का मारा तो मंदिर की ओर भागता था।
उसके हाथ में न तो प्रसाद होता था और न ही जेब में पैसे!.
लेकिन वक्त बदला तो आदमी बदला और आदमी बदला तो भगवान ने या कहिए भगवान के एजेंटो ने भी तरीका बदल लिया है।
मगर सावधान, इसे कोई भी इसे धंधा और पेशा नहीं कहेगा!
क्योंकि भगवान और धर्म के नाम पर कोई धंधा थोड़े ही करता है?
ये सब गुजरे जमाने की बातें हो चुकी है क्योंकि अब श्रद्धा और आस्था तथा भावना सब तेल लेने गयी।
जो भी होगा धनवान,उसी से मिल सकेगा भगवान!
अब भगवान को ठंड भी लगती है और गर्मी व बरसात के मौसमी प्रभाव से बिमार भी पड़ता है।
कभी उसे लू लग जाती है तो कभी ठंड से कांपने लगता है,कभी बुखार हो जाता है तो कभी लूं मोशन से पीड़ित होने की खबरें आप सबने भी जरूर सुनी होगी?
भगवान जी जब आपको भी गर्मी से राहत पाने के एसी की जरूरत पड़ने लगी और ठंडी से बचने के लिए हीटर की और बुखार हो जाए या पेचिस लगने से कपड़े खराब होने का भय सताने लगता है, तो वही डाक्टर दवा देने जाता है जो आम आदमी को देता है।
भगवान जी आप भगवान होकर भी इतने नाजुक हो तो इतनी गर्मी और बरसात व लूं आदि करने की क्या जरूरत है?
या फिर आपके अधीन कहें जाने वाले इन देवताओं ने भी आपकी बात मानने से इंकार कर दिया है?
यदि यह सच है तो स्वीकार करने में क्या बुराई है? आईए और हमारे बीच भी आदमी का रुप धारण करके रहिए ना?
क्या जरूरत है मंदिरों में बैठकर इतना भाव खाने की, कि आम आदमी से भी मिलना दुर्लभ हो चुका है?
सच कहूं तो आप से लाख दर्जे बेहतर तो हमारे देश के नेता और पूंजीपति तथा सिनेस्टार और क्रिकेटर हैं।
जिनकी ऐसी खबरें कभी नहीं आती कि लू लग गयी या कुछ भी उल्टा सीधा खाने से पेचिस लग गयी!
क्योंकि सबके पास निजी डाइटिशियन और डाक्टर होते हैं उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं और जरूरत के हिसाब से ही डाइट तय करते हैं।
मगर आपकी मजबूरी भी है ना,आम आदमी (पार्टी नहीं) जो भी मुँह उठाए लेकर तुझे चढ़ाने के लिए लेकर चला आता है, और आप की मजबूरी है कि प्राण होते हुए भी आपकी मूर्ति फंस से मस नहीं हो पाती है?
कुछ तो व्यायाम और योग भी किया करिए ना?
इतना सबकुछ बढ़िया बढिया खाते हैं और व्यायाम न योग नहीं करोगे या हाथ पैर नहीं हिलाओगे तो बिमार नहीं पडोगे तो क्या होगा?
खैर! आप ठहरे ब्रह्मण्ड के मालिक, आप हमारे जैसे तुच्छ प्राणी की बात क्यों सुनने और मानने लगे?
हमारे जैसे आम आदमी की बात तो हमारे चुने नेता भी नही सुनते तो आप तो बहुत बड़े बताएं जाते हैं?
इतने बड़े कि नेता तो पांच साल में कभी कभार क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने के नाम पर दिखाई भी पड जाते हैं मगर आपको आने की भी फुर्सत नहीं मिल पाती? इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपके ऊपर कितनी जिम्मेदारियों का बोझ लदा होगा?
भगवान जी कहीं आपका भी तो बुढ़ापा नहीं आ गया है? क्योंकि बचपन और जवानी में तो आदमी गर्मी ,सर्दी और बरसात को कुछ भी नहीं सयझता है?
सच कहूं तो आपसे लाख दर्जे बेहतर तो अपने देश का सोरी आपके ही ब्रह्माण्ड में बसने वाले देश भारत का मजदूर और किसान है जो किसी भी परिस्थिति में जीने को मजबूर हैं या कहिए कि मजबूरी में ही सही लेकिन उसका शरीर आपकी तरह नाजुक नहीं बल्कि व्रज के समान हो चुका है।
ऐसा प्रतीत होता है कि आप भी मंदिरो में बैठे बैठे और खड़े खड़े यानि एक ही मुद्रा में स्थित रहने से आलसी जैसे तो नहीं हो गये हो? या फिर अब आपका भी मन बाहर घूमने को करने लगा है?
वैसे सच बताएं तो भगवान जी अब आपको कभी कभी विदेश यात्राएं भी कर लेनी चाहिए। मन और जीभ दोनों का स्वाद बदल जाता है अलग-अलग तरह के लोग और भिन्न भिन्न प्रकार के लजीज व्यंजन खाकर आप भी फूले नहीं समाएंगे।यकीन न हो तो हम सबके अति प्रिय मोदी जी से ही पूछकर देख सकते हो!
लेकिन वो आपसे बात भी करेंगे हमें तो इसमें भी शंका हो रही है। क्योंकि वो आपसे जरुर नाराज होंगे क्योंकि जब से आपने कोरोना भेजा है(चीन का तो नाम हुआ है माया तो आपकी ही होगी ना, चित चोर कहीं के,तुस्सी बड़े ग्रेट तो हो ही लेकिन शरारती भी बहुत हो ना?😅) हम सब जानते हैं बेचारे चीन को बर्बाद करवाकर, यमराज का टार्गेट पूरा कराना था?
क्योंकि लोग दवा और वेंटिलेटर पर रहकर भी मरना नहीं चाहते है, मरते दम तक नोटों के बल पर जिंदा रहते हैं। आखिर उनका भी तो हस्ताक्षर यमराज के रजिस्टर में होना जरूरी होगा?
लेकिन आपको पता नही है शायद, और पता भी होगा क्या बिगाड़ लोगे?
क्योंकि आपकी अब सुनता भी कौन है?
सूरज मनमानी कर रहा है तो पवन भी अपनी मनमर्जी कर रहा है। और तो और अब तो नारद ने भी आकाश में घूमना बन्द कर दिया है! (पहले तो अपनी ड्यूटी बखूबी निभाया करते थे ऐसा लगता है कि अब उनका भी रिटायरमेंट लेने का मन है, आखिर कब तक गर्म हवाओं के थपेड़े खाकर खुले आकाश में भ्रमण करके आपकी नौकरी करते रहेंगे? क्योंकि जब वे हमारे मोदी जी जैसे नेताओं और अंबानी व अडानी जैसे पूंजीपतियों को वातानुकूलित यान में आराम से खाते पीते हुए सफर करते देखते होंगे तो आप जैसे मालिक को नहीं कोसते होंगे कि काम एअरजेट से भी अधिक और खर्चा स्कूटर के सफर जितना भी नही देते?
सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि आसमान में किसी से लिफ्ट भी नहीं ले सकते हैं क्योंकि हवाई जहाज की खिड़की और दरवाजे इतने प्रेशर से बंद किये जाते हैं कि मजाल है कोई खोल सकें? और किसी तरह आपने अंदर घुसने के लिए खोल भी दिये तो सबको लेकर मरोगे यानि सीधे यमलोक जाकर सारे मृतक आपकी शिकायत करेंगे।
वैसे ज्यादती तो आपके साथ भी है ना एक पानी की बोतल भी लेकर नहीं चल सकते हैं क्योंकि दोनों हाथों में तो खरताल है और उसे बजाकर मोदी मोदी सोरी नारायण नारायण भी तो करना है ना? हर दो मिनट में एकबार नारायण साहब के कान में आपकी आवाज जानी ही चाहिए?
पता नहीं ऐसा नियम क्यों बना रखा है?
जैसे हमारे प्रिय मोदी जी और हमारे कवियों की ताली बजवाने की आदत है यदि बजाने में थोडा भी विलम्ब हुआ तो खुद ही कह देते हैं बजाओ ताली!
आप तो ठहरे नारायण के तलबगार!
कहीं ऐसा तो नहीं कि नारायण को हमेशा लेटे रहने के कारण आलस आने की प्रबल संभावना रहती हो इसलिए आपको इस काम पर लगाया है?
जैसे हमारे देश में चौकीदार को रात भर जागकर चौकसी करने का वेतन मिलता है ताकि कहीं कोई वारदात न हो जाए, लेकिन आपको मालूम है चौकीदार क्या करता है?
रात भर चिल्ला चिल्लाकर पूरे मौहल्ले वालों की नींद खराब करता है।
जागते रहो,जागते रहो! कोई पूछे कि जब हमे ही जागना था तो आपको चौकीदार क्यों और किसलिए रखा है?
हमें तो ऐसा ही लगता है कि नारद भी बिल्कुल वैसा ही काम करके आपको ढंग से सोने भी नहीं देता है, अब बेचारी लक्ष्मी कितना भी पैर दबाकर थकावट दूर करने और सुलाने की चेष्टा करें, मगर नारद की आवाज सोने दे तब ना? हर दो मिनट में नारायण, नारायण चिल्लाने लगता है। हम सच बता रहे हैं भगवान जी हमें तो ऐसा लगता है कि ब्रह्मांड में उसे भी अकेले डर लगता होगा, इसलिए और भी जोर जोर से चिल्लाकर सोने नहीं देता होगा, इसीलिए तो आपको जब भी देखो शेषनाग की शैय्या पर नींद पूरी करने की ही कोशिश करते रहते हो?
सोते तो हमारे प्रिय मोदी जी भी केवल दो तीन घंटे ही है, आपको तो हमने मूर्तियो और कलेंडरो में सोने की कोशिश करते हुए देखा भी है लेकिन मोदी जी बहुत बड़े नेता हैं जो वो बताएं सबको मानना ही पड़ता है!
एक बात बताएं अब नारद घूमने नहीं आते हैं उन्होंने जब्रोनिक्स का पांच सौ रुपए वाला ब्लूटूथ स्पीकर और एक एसडी कार्ड लेकर उसमे अपनी आवाज फीड करके शेषनाग के किसी फन में लटका दिया होगा तो आपको आवाज सुनाई देती रहेगी और नारद आराम से घर की ठंडी छाया में आराम करते होंगे, वैसे यह पक्का नहीं है लेकिन हमें संदेह जरूर है क्योंकि अब तो अब तो खुले आम बलात्कार और हत्याएं होती है बलात्कार पीड़िता खुद की रक्षा करने के लिए आपका नाम लेकर चिल्लाती भी जरुर होगी। नारद अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से करते थे आपको सारी बातें पता चल जाती थी, और आप तुरंत रक्षा करने के लिए दौड़े चले आते थे!
आपको याद भी होगा कि द्रोपदी की लाज आपने ही बचायी थी और गजराज को जब मगरमच्छ निगल रहा था उसकी भी जान आपने ही बचाई थी। मगर इस नारद की लापरवाही का खामियाजा आपकी जनता को भुगतना पड़ रहा है और बदनामी आपकी हो रही है!
आपको कैसे पता होगा कि अब आपके मंदिरों में भी बलात्कार होने लगे हैं?
छोड़िए इन बातों को, भगवान अब तो हमे यकीन हो चला है कि आपको भी बुढ़ापा सताने लगा है या फिर यूं कहें कि सृष्टि तो आपने बना दी, लेकिन लोगो ने मजे मजे में बच्चे पैदा करके इतनी जनसंख्या बढा दी कि न तो मोदी जी कंट्रोल कर पा रहे और न ही आप इतनी जनता का रहने खाने का बंदोबस्त कर पा रहे हैं!
सच बताऊं भगवान कि आपने यह आदमी बनाकर बहुत बड़ी गलती की है आदमी अगर बनाया भी था तो औरतें बनाने की क्या जरूरत थी?
क्योंकि बच्चे तो आप कैसे भी पैदा कराने की क्षमता रखते ही है! जब आपने ब्रह्रा जी के हाथ पैर और छाती और सिर से भी आदमी पैदा कर दिये तो आपको औरत नहीं बनानी चाहिए थी! हालांकि मगरमच्छ,हाथी,घोड़े,ऊंट और व्हेल जैसी विशालकाय मछली तथा डायनासोर किस अंग से पैदा किये होंगे, यह समस्या आपकी थी, हमें किसी ने बतायी भी नहीं और हमें जानने की जरूरत भी नहीं है।
हम तो बस इतना कहना चाहते हैं कि भगवान आप इन सारी औरतों को अपने पास बुला ले, तो दुनिया और आपकी भी आधे से अधिक समस्याए खत्म हो सकती है।
क्योंकि ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी!
अब तो इन औरतों ने हद ही कर दी है,लक्स की खुशबू कौन कहे ऐसे ऐसे डियो की खुशबू लगाकर घूमती है कि अच्छा खासा आदमी ढंग से सूंघ ले तो चक्कर खाकर बेहोश हो जाए! इतना ही नहीं हम कैसे बताएं हमें तो शर्म आती है लेकिन नारद जी आपको खबर ही पहुंचा रहे हैं इसलिए आपको बताना तो हमारी मजबूरी है ना?
कपड़े भी इतने छोटे पहनने लगी है कि इससे तो अच्छा होता कि आप कपड़े वाला आइडिया इंसान के दिमाग मे ही नहीं लाए होते तो कम कम से आदमी को इज्जत और बेइज्जती जैसे शब्दों का निर्माण ही नहीं करना पडता!
अब तो आपने भी काली कलूटी महिलाओं को पैदा करना जैसे बंद ही कर दिया है क्योंकि हर आदमी की डिमांड गौरी चिट्टी और छरहरी किशोरी ही है ना? आपकी भी मजबूरी होगी क्योंकि उद्योगपति अपनी फैक्ट्री में वही माल अधिक बनाता है जिसकी डिमांड जनता अधिक करती है।
माल से गलत अर्थ नही लगाना क्योंकि कुछ आवारा लड़के मृत्युलोक में भी औरतों को माल ही कहकर संबोधित करते हैं, शायद उन्हें भी आपकी फैक्ट्री में बनने वाली माल ही नजर आती होंगी?
खैर! भगवान जी समस्याएं अनगिनत है हम एक दिन में आपको कैसे बता सकते हैं? क्योंकि आपके प्रोडक्ट में ही तमाम खामियां हैं क्या जरूरत थी प्राणियों मे पेट लगाने की?
सोलर पावर से भी प्राणी जिन्दा रख सकते थे आप?
मगर आपको भी मजा आता होगा जब हर आदमी सुबह उठते ही खाने की सोचता है और दिन रात इसी के चक्कर में लगा रहता है।
भिखारी तो आपके नाम पर ही अपना पेट भरने की कोशिश में लगा रहता है।
कभी आपने सोचा कि वो अपने नाम पर कभी नहीं मांगता है, भगवान के नाम पर दे दे, अल्लाह के नाम पर दे दे।
आप भी थोड़ा सोचिए ना आदमी अपना पेट भरे या आपका?
क्योंकि आप भिखारियों द्वारा भीख मंगवाकर अपना पेट भर लेते हो मंगल आम आदमी कहां जाएं?
वैसे तो पंडे और पुजारी भी आपके नाम पर अपना पेट भरते हैं लेकिन वें चालाक है, कभी भी आपका नाम लेकर नहीं मांगते हैं, इसलिए खा-खाकर मोटे तगड़े हुए जा रहे हैं।
खैर ! भगवान जी आज इतना ही, हमें भी इस पापी पेट को भरने का इंतजाम करना है। मुसीबत आपकी बनायी हुई और ढोनी हम सबको पड़ रही है।
आपको क्या पता इस पेट को भरने के लिए आदमी कौन कौन से पाप नहीं करता है?
आपका क्या पाप करेंगे तो यमराज और उसके खतरनाक गुंडों से इस आत्मा का भुर्ता बनवाने का भी प्रबंध कर रखा है।
भगवान आपकी माया(दलित वाली नही) बल्कि लीला आप भी जानो!
मगर आपसे मिलने पर इसबार जरुर देखना चाहेंगे कि माया,लीला, सरस्वती, लक्ष्मी जैसी कितनी माताओ से आपका भी चक्कर चल रहा है?
इसलिए बेचारे आदमी यही कहकर संतोष कर लेते हैआपकी माया आ ही जानो?
बुरा मत मानिएगा क्योंकि आना तो आपके ही पास है इसलिए माताओं के दर्शन भी कर लेंगे ताकि अगले जन्म में कह सकें कि आपकी माया और लीला को आप ही नहीं हम भी जानते हैं।
भगवान जी बारंबार दंडवत प्रणाम।
अब पेट भरने के करना है कुछ काम!

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