टोल टैक्स कंपनी व भाजपा की सांठगांठ के कारण एमसीडी को लगभग 1180 करोड़ का नुकसान- दुर्गेश पाठक

दैनिक समाचार
  • 2017 में 1200 करोड़ के टोल टैक्स का ठेका दिया लेकिन एमसीडी के पास प्रति वर्ष 250 करोड़ ही पहुंचे- दुर्गेश पाठक
  • 2021 में वही ठेका एक नई कंपनी को 786 करोड़ में दिया गया, उस कंपनी पर एमसीडी का 232 करोड़ बकाया- दुर्गेश पाठक
  • जानकारी के अनुसार दोनों कंपनियों का मालिक एक ही है- दुर्गेश पाठक
  • घोटाले को लेकर हमने दिल्ली के उपराज्यपाल व एमसीडी के कमिश्नर को पत्र लिखा है- दुर्गेश पाठक
  • आशा है कि इसमें शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी- दुर्गेश पाठक
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नई दिल्ली, 1 जून 2022

आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि टोल टैक्स कंपनी व भाजपा की सांठगांठ के कारण एमसीडी को 1180 करोड़ का नुकसान हुआ है। 2017 में एक कंपनी को 1200 करोड़ का टोल टैक्स इकट्ठा करने का ठेका दिया गया था लेकिन एमसीडी तक सिर्फ 250 करोड़ ही पहुंचते थे। 2021 में वही ठेका एक नई कंपनी को 786 करोड़ में दिया गया। अब उस कंपनी पर भी एमसीडा का 232 करोड़ बकाया है। दुर्गेश पाठक ने कहा कि हमारे पास इससे संबंधित कुछ दस्तावेज मौजूद हैं। हमने दिल्ली के उपराज्यपाल व एमसीडी के कमिश्नर को पत्र लिख मिलने का समय मांगा है। आशा है कि इसमें शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता, एमसीडी प्रभारी एवं राजेंद्र नगर उपचुनाव प्रभारी दुर्गेश पाठक ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में एक महत्तवपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित करते हए कहा कि भारतीय जनता पार्टी की एमसीडी की आय का एक सबसे बड़ा स्त्रोत टोल टैक्स है। दिल्ली में जो जितना भी टोल टैक्स इकट्ठा होता है, वह सब एमसीडी के पास जाता है। इसमें बहुत बड़े स्तर पर घपला हो रहा है।

घोटाले की जानकारी देते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि 2017 में दिल्ली का सारा टोल टैक्स इकट्ठा करने का ठेका भाजपा शासित एमसीडी को दिया गया। यह ठेका लगभग 1200 करोड़ रुपए का था। उस कंपनी ने 1200 करोड़ के ठेके में 950 करोड़ रुपए एमसीडी को कभी दिए ही नहीं। जिसके बाद एमसीडी कोर्ट में पहुंची और केस जीत भी गई। इसके बावजूद आजतक इन आंकड़ों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। किसी ने ध्यान नहीं दिया कि यह 950 करोड़ रुपए कैसे इकट्ठा किए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि दिलचस्पी की बात यह है कि 2017 में जो ठेका 1200 करोड़ में दिया गया था, वही ठेका 2021 में एक नई कंपनी को मात्र 786 करोड़ में दिया गया। इस नई कंपनी पर एमसीडी का 232 करोड़ रुपए बकाया है। जब दिल्ली का एक-एक व्यक्ति टोल टैक्स भरता है तो ऐसा घपला होने की गुंजाइश ही नहीं उठती है। साफ है कि कंपनी को लोगों से पैसा तो मिले लेकिन उसने एमसीडी तक पैसा पहुंचाने में घपला किया।

एमसीडी प्रभारी ने कहा कि हमें यह भी पता चला है कि यह दोनों कंपनियों का मालिक एक ही है। इसका मतलब है कि बहुत बड़े स्तर पर पैसे खाए गए हैं। दोनों ठेकों को मिलाकर करीब 1180 करोड़ का घोटाला किया गया है। संभवता भाजपा की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं है। इसी मुद्दे पर मैंने दिल्ली के उपराज्यपाल और एमसीडी के कमिश्नर अश्विनी कुमार जी को पत्र लिखा है। आशा है कि आप इसमें शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देंगे। आपको जब भी समय मिले तो मैं इससे संबंधित कुछ दस्तावेज आपको दिखाना चाहूंगा। जिससे आपको कार्रवाई करने में आसानी होगी।

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