मालदीव के सिविल सेवकों के लिए एक सप्ताह के 21वें क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीबीपी) और जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के लिए 2 सप्ताह के 5वें कार्यक्रम का आज यहां नई दिल्ली में समापन हुआ। मसूरी और नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में मालदीव के 25 सिविल सेवकों और जम्मू-कश्मीर के 38 सिविल सेवकों ने भाग लिया। क्षमता निर्माण के यह कार्यक्रम (सीबीपी) भारत सरकार की एक स्वायत्त संस्था नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीजी) के प्रमुख कार्यक्रम हैं।
जी-20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक श्री हर्षवर्धन शिंगला कार्यक्रम के समापन सत्र में मुख्य अतिथि थे। अपने संबोधन में श्री श्रृंगला ने विकास के लिए त्वरित और समावेशी विकास की आवश्यकता पर जोर देने के साथ ही नागरिकों के जीवन को बदलने में प्रौद्योगिकी के महत्व पर बल दिया। उन्होंने लोगों की आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए एक वैचारिक ढांचा तैयार करने तथा क्षेत्र और देशों के समग्र विकास के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने साझेदारी बनाकर देशों के बीच संबंध बनाने और एक सक्षम वातावरण बनाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। पूर्व विदेश सचिव श्री श्रृंगला ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला और सभी प्रतिभागियों से परिवर्तन लाने एवं लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए पूरे मन से काम करने का प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एनसीजीजी द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम सामूहिक रूप से सीखने और साझा करने के लिए एक ऐसा मंच प्रदान करते हैं जो अंततोगत्वा जीवन की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में काम करता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हमेशा ही एक ऐसी सक्षम और कुशल सिविल सेवा के निर्माण के महत्व पर जोर देते हैं जो लोगों की सेवा करने और विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं को कुशलतापूर्वक प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दृष्टि के अनुरूप ही एनसीजीजी सिविल सेवकों को इस दिशा में आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करके उनके कर्तव्यों के प्रभावी ढंग से निर्वहन के लिए व्यवहारिक परिवर्तन लाकर उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। वसुधैव कुटुम्बकम की उस अवधारणा के अनुरूप जिसका अर्थ ‘विश्व एक परिवार है’ है, के अनुरूप आम लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक क्षमता निर्माण की दिशा में एनसीजीजी के प्रयासों को व्यक्तियों एवं राष्ट्रों के बीच सहयोग और सहयोग के दर्शन के साथ संरेखित किया गया है, भले ही उनके मतभेद कुछ भी हों। एनसीजीजी की इस पहल का उद्देश्य सिविल सेवकों का एक ऐसा समूह बनाना है जो समाज की भलाई के लिए सहयोग और काम करने की भावना का प्रतीक हैं।
अपने मुख्य भाषण में एनसीजीजी के महानिदेशक श्री भरत लाल ने विभिन्न विकासशील देशों के लोक सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए विदेश मंत्रालय और एनसीजीजी के बीच सार्थक सहयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए लोक-केंद्रित शासन व्यवस्था प्रदान करने में सिविल सेवकों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह सुनिश्चित किया कि जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के सिविल सेवकों को उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने के अवसर प्रदान किए जाएं।
एनसीजीजी महानिदेशक ने इस बात पर भी बल दिया कि कैसे भारत एक भागीदार के रूप में मालदीव के साथ मिलकर काम कर रहा है, जो दोनों देशों के लोगों की मदद कर रहा है। उन्होंने विशेष रूप से जन-केंद्रित शासन प्रदान करने और लोगों पर परिवर्तनकारी प्रभाव डालने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने पर सिविल सेवाओं की भूमिकाओं पर जोर दिया। इसके पीछे विचार यह है कि शासन समावेशी होने के साथ ही किसी भी तरह के भेदभाव से मुक्त है और जहां कोई भी व्यक्ति छूटा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार ने पिछले 8-9 वर्षों में शासन को एक ऐसा नया दृष्टिकोण देने का प्रयास किया है जिसमें लोगों और उनकी आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
जम्मू और कश्मीर के संदर्भ में उन्होंने राष्ट्र के निर्माण के लिए काम करने के महत्व पर भी चर्चा की और प्रतिभागियों से सुशासन पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वप्न को ठोस परिणामों में बदलने का आग्रह किया। इन कार्यक्रमों का समग्र उद्देश्य जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने तथा लोगों के लिए अवसर पैदा करने के लिए एकनिष्ठता के साथ काम करने के लिए अधिकारियों को फिर से तैयार करना है। उन्होंने बताया कि कैसे शासन के व्यावहारिक पहलुओं को साझा करने, गति और निर्धारित पैमाने के साथ काम करने और नागरिकों के प्रति उत्तरदायी होने एवं उनकी शिकायतों का सक्रिय होकर समाधान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
इन कार्यक्रमों के दौरान मालदीव और जम्मू-कश्मीर के सिविल सेवकों ने विविध विषयों जैसे नवाचार और उद्यमिता, संचार रणनीतियाँ, गरीबी उन्मूलन, समावेशी विकास, जल जीवन मिशन, विकेन्द्रीकृत नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, डिजिटल इंडिया, 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों के लिए परिकल्पना, आयुष्मान भारत, भ्रष्टाचार-विरोधी प्रथाएं, एलआईएफई, सर्कुलर अर्थव्यवस्था आदि अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर इन विधाओं के विशेषज्ञों के साथ बातचीत की। प्रतिभागियों को भारतीय संसद, राष्ट्रपति भवन और अमृत उद्यान के भ्रमण पर भी ले जाया गया।
परस्पर बातचीत के दौरान अधिकारियों ने कहा कि वे एनसीजीजी द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों से बहुत प्रसन्न हैं। जम्मू और कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि उनके करियर के 20 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि उन्हें राज्य (जम्मू और कश्मीर) के बाहर प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उन्होंने इस पहल के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।
जम्मू और कश्मीर और मालदीव के संबंधित पाठ्यक्रम हेतु सम्बन्धित समन्वयकों डॉ. ए.पी. सिंह और डॉ. बी.एस बिष्ट ने श्री संजय दत्त पंत और श्री बृजेश बिष्ट की सहायता से इस क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीबीपी) का सफलतापूर्वक आयोजन किया। प्रतिभागियों ने सुशासन पर सर्वोत्तम प्रथाओं और महान विचारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा।
यह स्वीकार करते हुए कि प्रभावी प्रशासन और जन-केंद्रित नीतियां ही समाज का आधार हैं, एनसीजीजी नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करने, उनके जीवन स्तर में सुधार लाने और उनके जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अधिकारियों को सक्षम बनाता है। अब तक इस केंद्र ने बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान और म्यांमार से बड़ी संख्या में अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है।
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