‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एम.पी. कप पोलो चैंपियनशिप (सर प्रताप सिंह कप) 2021 का सफलतापूर्वक समापन

दैनिक समाचार

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के माध्यम से स्वतंत्रता के 75 साल का उत्सव मनाने और हमारे गौरवशाली सांस्कृतिक इतिहास का गौरव गान करने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने एम.पी. कप पोलो चैंपियनशिप – सर प्रताप सिंह कप 2021 के फाइनल मैच का आयोजन किया। संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने 14 नवंबर 2021 को जयपुर के प्रतिष्ठित पोलो मैदान में पहली गेंद डाल कर फाइनल मैच की शुरुआत की। इस चैंपियनशिप का आयोजन इंडियन पोलो एसोसिएशन के तत्वावधान में जस्ट इन टाइम स्पोर्ट्स फाउंडेशन के सहयोग से किया गया था। सर प्रताप सिंह कप भारत के सबसे ऐतिहासिक और प्रमुख टूर्नामेंटों में से एक है, जिसे वर्ष 1921 में शुरू किया गया था। इस चैंपियनशिप के पूरा होने के साथ ही इसने अपने आयोजन के 100 साल पूरे कर लिए हैं।

सर प्रताप सिंह कप 2021 का फाइनल मैच यूरोपीय संघ के राजदूत सहित लगभग 40 देशों के वरिष्ठ सेना कर्मियों और राजदूतों द्वारा देखा गया।

फाइनल मुकाबला सोना पोलो और विमल एरियन अचीवर्स की टीमों के बीच खेला गया। विमल एरियन अचीवर्स ने इस मैच में 11-8 से जीत हासिल की। श्री जुआन क्रूज़ लोसादा को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।

यह एक शानदार मुकाबला था, जिसमें खेल के पहले कुछ मिनटों में ही तीन गोल हो गए।

मैच के बाद 61 कैवेलरी द्वारा ट्रिक राइडिंग प्रदर्शन किया गया, जिसने दर्शकों को चकित कर दिया। चूंकि पोलो की शुरुआत 1800 के दशक में मणिपुर में हुई थी, इसलिए अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय और नागालैंड के लोक नर्तकों के सांस्कृतिक प्रदर्शनों ने इस आयोजन को खूबसूरत बना दिया। लोक नृत्य टीमों का नेतृत्व क्रमशः श्री एल. वांगचु, सुश्री संगीता राभा, सुश्री बाबेट पाशा और सुश्री तुमची कोठा ने किया। पूरे सांस्कृतिक कार्यक्रम का समन्वय उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया।

इस कार्यक्रम में राजधानी से कई पोलो खेल प्रेमी और प्रतिष्ठित अतिथि भी उपस्थित थे।

देश में इस खेल का इतिहास उस समय से शुरू होता है, जब भारत में पोलो का पहला केंद्र 1892 में इंडियन पोलो एसोसिएशन (आईपीए) के रूप में स्थापित किया गया था।

जोधपुर के महाराजा सर प्रताप सिंह ने वर्ष 1921 में एचआरएच द ड्यूक ऑफ कनॉट की भारत यात्रा की स्मृति में इस टूर्नामेंट कप की शुरुआत की थी। यह 14 गोल ट्रॉफी है। यह पहली बार 1921 में दिल्ली में खेला गया था और इसे पटियाला टीम ने जीता था।

श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने सभी राजदूतों का स्वागत किया और मीडिया के सदस्यों से बातचीत की। इस अवसर पर उन्होंने कहा, यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने देश की सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाएं और इसे दुनिया के सामने बेहतरीन तरीके से पेश करें। श्रीमती लेखी ने अपनी तरफ से पोलो ग्राउंड वर्कर्स के लिए 50 कंबल और पोलो पोनी उपलब्ध कराये।

यह आयोजन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के फिट इंडिया और खेलो इंडिया के आह्वान के अनुरूप है, जो “स्पोर्ट्स फॉर एक्सीलेंस” पहल को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है तथा फिटनेस को हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनाने पर जोर देता है।

भारत के पोलो सहित कई खेल परंपराओं के साथ समृद्ध ऐतिहासिक संबंध हैं। भारत दुनिया के उन कुछ प्रमुख देशों में से एक है, जहां यह खेल अभी भी संरक्षित है और खेला जाता है। पोलो को भारत का “विरासत का खेल” भी कहा जाता है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ भारत की विरासत का उत्सव मनाता है और यह आयोजन हमारे खेलों की सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है।

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