भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में एनईआरसीआरएमएस द्वारा परिवर्तन की लहर

दैनिक समाचार

पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन सोसायटी (एनईआरसीआरएमएस), पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के पूर्वोत्तर परिषद के अंतर्गत आने वाली एक पंजीकृत सोसायटी है। यह सोसाइटी विभिन्न आजीविका पहलों के माध्यम से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन के लिए समर्पित है। इस सोसाइटी ने अब तक पूर्वोत्तर के चार राज्यों को कवर किया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश (चांगलांग, तिरप और लोंगडिंग जिला), असम (कार्बी आंगलोंग और दीमा हासाओ जिला), मणिपुर (उखरुल, सेनापति, चूराचंदपुर और चंदेल जिला) और मेघालय (पश्चिम गारो हिल्स और पश्चिम खासी हिल्स जिला) शामिल है। 1999 से इस सोसायटी ने अपनी परियोजना- पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन परियोजना (एनईआरसीओआरएमपी) के माध्यम से 2,532 गांवों में 8,403 एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) और 2,889 एनएआरएमजी (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन समूह) का गठन किया है, जिससे 1,18,843 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

इस परियोजना का समग्र उद्देश्य “कमजोर समूहों के संसाधित आधार का बेहतर प्रबंधन करते हुए उनकी आजीविका में स्थायी रूप से सुधार इस प्रकार से करना कि पर्यावरण संरक्षण और उसकी बहाली में योगदान देने वाले तरीके भी शामिल हों।”

इस सोसाइटी ने दो व्यापक फोकस क्षेत्रों के साथ विकास का एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है, अर्थात (i) समुदायों की महान अंतर्निहित क्षमता का उपयोग और अनुभव प्राप्त करने के लिए उनकी पारंपरिक मूल्य प्रणालियों और संस्कृति का परीक्षण जिससे सामाजिक लामबंदी, संगठन और क्षमता निर्माण किया जा सके और (ii) आर्थिक परिवर्तन प्राप्त करने के लिए आय सृजन गतिविधियों पर प्रमुख बल देने के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों और अवसंरचना में मध्यवर्तन करना।

लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अपनाई गई रणनीतियां निम्न है :

  1. लगातार एक समावेशी विकास वाले दृष्टिकोण को बढ़ावा देना जिसमें महिलाएं, कमजोर और सबसे गरीब समान स्तर और मंच पर हिस्सा लेते हैं और इस प्रक्रिया में वास्तविक भागीदारी वाले दृष्टिकोण को अक्षरशः महसूस करते हैं।
  2. एसएचजी और एनएआरएमजी जैसे व्यवहार्य और मजबूत समुदाय आधारित संगठनों का गठन और स्थापना।
  3. समुदायों पर भरोसा करना और तदनुसार उन्हें ज़िम्मेदारियां सौंपने के लिए एक सोची-समझी और जागरूक दृष्टिकोण अपनाना।
  4. एसएचजी को रिवॉल्विंग फंड के माध्यम से बचत और अल्पव्यय को बढ़ावा देना जिससे क्रेडिट तक आसान पहुंच प्राप्त हो सके, जिसका मिश्रित उद्देश्य प्रारंभ में उपभोग और आय सृजन गतिविधियों (आईजीए) दोनों के लिए ऋण प्रदान करना था, लेकिन बाद में यह मुख्य रूप से आईजीए हो गया।
  5. सभी स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना; सभी स्तरों पर सामाजिक लेखापरीक्षण की शुरूआत करना और प्रोत्साहन देना।
  6. समुदायों द्वारा स्वयं के बैंक खातों के माध्यम से और पारदर्शी रूप से सभी ग्राम विकास निधि का प्रबंधन करना।
  7. संवेदनशीलता के साथ किए जाने वाले आय सृजन गतिविधियों (आईजीए) को संपन्न करना और उसे बढ़ाना।
  8. एक औपचारिक समझौते के माध्यम से निर्धारित लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए पारंपरिक संस्थानों (टीआई) और सामाजिक संस्थानों (सिस) को शामिल करना, जो अस्तित्व में हैं।
  9. विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करते हुए नियमित आधार पर क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण।
  10.  लोगों (समुदायों और टीम के सदस्यों दोनों को) के विकास के लिए जगह प्रदान करना और रचनात्मकता और विस्तार को प्रोत्साहित करना।

भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में परिवर्तन की लहर

चरणपरियोजना गांवपरिवारएनएआरएमजीएसएचजी
एनईआरसीओआरएमपी- I8603916110123168
एनईआरसीओआरएमपी- II460208264941589
एनईआरसीओआरएमपी- III12125885613833646
कुल253211884328898403
  1. समुदायों और सहभागी एजेंसियों का क्षमता निर्माण: समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) को संस्थागत रूप से मजबूत करना और सहभागी एजेंसियों की क्षमता को मजबूत करना अर्थात् गैर सरकारी संगठन, लाइन विभाग आदि के लिए सहभागी योजना, संगठनात्मक और वित्तीय प्रबंधन, कृषि और गैर-कृषि गतिविधियों पर तकनीकी प्रशिक्षण, मॉनेरटरिंग आदि।

मेघालय और मणिपुर

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  1. आर्थिक और आजीविका गतिविधियां: चिरस्थायी और पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं का उपयोग करते हुए खेत की फसलों का उत्पादन, बागवानी, वानिकी, पशुधन, मत्स्य पालन और गैर-कृषि गतिविधियों के माध्यम से गरीब परिवारों के लिए व्यवहार्य आय सृजन गतिविधियों (आईजीए) को बढ़ावा देना। साथ ही नई प्रौद्योगिकियों की शुरुआत, सीबीओ को आंतरिक ऋण के लिए क्रेडिट/परिरिवाल्विंग फंड के माध्यम से समुदायों को समर्थन प्रदान करना।

मेघालय

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असम

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मणिपुर

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अरुणाचल प्रदेश

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  1. सामाजिक क्षेत्र का विकास: इस घटक का विशिष्ट उद्देश्य समुदायों को सुरक्षित पेयजल और बेहतर स्वच्छता तक पहुंच प्रदान करना है। इसे पेयजल भंडारण टैंकों का निर्माण, निकट के झरने या धारा से पानी की पाइप लाइन के माध्यम से आपूर्ति और सामुदायिक भागीदारी के साथ कम लागत वाले शौचालयों (एलसीएल) का निर्माण से प्राप्त किया जाना है।

मणिपुर

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मेघालय

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  1. ग्रामीण सड़कें और ग्रामीण विद्युतीकरण: समुदायों की पहुंच को बाजारों, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा सुविधाओं और ऊर्जा तक बढ़ाने के उद्देश्य से, यह घटक सामान्य सुविधा केंद्रों (सीएफसी), अंतर-ग्रामीण सड़कों, पुलियों और झूला पुलों का निर्माण और घरेलू सौर प्रकाश की व्यवस्था करने की मांग करता है।

मणिपुर

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असम

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मेघालय

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V. समुदाय आधारित जैव-विविधता संरक्षण और संचार: इसका विशिष्ट उद्देश्य इस क्षेत्र के अद्वितीय प्राकृतिक संसाधनों और समृद्ध जैव विविधता की रक्षा और संरक्षण प्रदान करना है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उप-घटक हैं: (i) जैव विविधता संरक्षण और अनुसंधान, जिसका उद्देश्य सामुदायिक संरक्षित क्षेत्रों (सीसीए) को पवित्र उपवनों, संरक्षित जलग्रहण क्षेत्रों और अभयारण्यों के रूप में बढ़ावा देना है, (ii) पर्यावरण के दृष्टिकोण से चिरस्थायी गैर-इमारती वन उत्पादों (एनटीएफपी) और वानिकी उत्पादन प्रणालियों को बढ़ावा देने और प्रदर्शित करने के लिए वानिकी विकास, और (iii) समुदायों के बीच अच्छी प्रथाओं और उत्पादन प्रणालियों पर सूचना और ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करने के लिए संचार और ज्ञान प्रबंधन।

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