रानी माँ गैदिनलिउ के नाम पर बन रहे इस संग्रहालय के माध्यम से सैकड़ों सालों तक हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का जज़्बा, देशभक्ति और उनके कार्यों की सुगंध आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचेगी
हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म जयंती के दिन हर वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाकर देश की संस्कृति की रक्षा स्वतंत्रता के लिए आदिवासी समाज के योगदान को गौरव प्रदान करने का काम किया है
आज़ादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में हम 15 से 22 नवंबर तक पूरा सप्ताह आदिवासी गौरव सप्ताह के रूप में मना रहे हैं
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार देश के जनजातीय विकास के लिए प्रतिबद्ध है
चाहे एकलव्य स्कूल हों, जंगल उत्पादों को एमएसपी पर खरीदना हो, कई प्रकार के जनजातीय विकास के कार्य नरेन्द्र मोदी सरकार ने किए हैं
प्रधानमंत्री जी की अमृत महोत्सव की कल्पना के पीछे तीन उद्देश्य देश की जनता के सामने रखे हैं
आजादी के लिए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान देने वाले और संघर्ष करने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का मौका है क्योंकि आज मोदी जी के नेतृत्व में देश जहां दुनिया में गौरव के साथ खड़ा है, उनका बलिदान इसकी नींव में है
हमारा जीवन देश के विकास में लगे, देश को गौरव दिलाने में लगे और देश को आगे बढ़ाने में लगे इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव को मनाने की जरूरत है
75 से 100 साल को प्रधानमंत्री जी ने आजादी का अमृत काल के रूप में मनाने का निर्णय किया है, आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर भारत कैसा होगा, कहां खड़ा होगा, भारत विश्व के प्रमुख देशों में अपनी जगह बना लेगा, इस आत्मविश्वास के साथ देश की जनता को संकल्प लेना है और यह संकल्प लेने के लिए यह अमृत काल है
मणिपुर के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने प्रदेश में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़कर अपने देश का परचम ऊंचा करने का काम किया
आजादी के आंदोलन में मणिपुर के महाराजा श्री कुलचंद्र सिंह जी ने अपने साहस व पराक्रम से पूर्वोत्तर में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई की शुरूआत की जिसके लिए उन्हें काला पानी की सजा भी हुई
उनकी स्मृति में माउंट हैरियट का नाम बदलकर माउंट मणिपुर करके महाराजा कुलचंद्र सिंह और मणिपुर के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धाजलि जेने का काम हमने किया है
सबसे ज़्यादा तकलीफ़ें उठाकर अगर किसी ने स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान दिए हैं तो हमारे आदिवासी समाज के स्वतंत्रता सेनानियों ने दिए हैं
देश भर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय बनने से पूरे समाज को एक करने में बड़ी मदद मिलेगी क्योंकि जहां जनजातीय आबादी नहीं है वहां की जनता को मालूम ही नहीं है कि जनजातीय समाज ने देश की आजादी के लिए कितना बड़ा संघर्ष किया है और उच्चतम बलिदान दिए हैं
15 अगस्त, 2016 को माननीय प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की थी हमारी सरकार अलग-अलग राज्यों में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बनाएगी
सरकार ने इसके लिए 195 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की है जिसमें से 110 करोड़ रूपए की राशि जारी भी की जा चुकी है
गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मणिपुर में ऐसे संग्रहालय बनने वाले हैं
15 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाले मणिपुर के संग्रहालय पूरे उत्तर-पूर्व के जनजातीय क्षेत्रों में फिर से एक बार देशभक्ति की चेतना जागृत होगी
पिछले 5 साल में श्री नरेन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री श्री बिरेन सिंह जी की जोड़ी के नेतृत्व मणिपुर में बहुत समय बाद शांतिकाल आया है और आज मणिपुर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है
एक समय में मणिपुर में कई हथियारबंद समूह आतंक फैलाते थे और कई मामलों में शासन भी उनके साथ लिप्त होता था, लेकिन श्री बिरेन सिंह जी के शासन में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति में बहुत बड़ा सुधार आया है
पांच साल में श्री नरेन्द्र मोदी और श्री बिरेन सिंह जी ने जो विकास किया है उसका पलड़ा 70 साल के मणिपुर के विकास पर ज़रूर भारी होगा
मणिपुर में इंफ्रास्ट्रक्चर के ढेर सारे काम हुए हैं और जो गांव पहाड़ों पर बसे हैं उनको पहली बार ऐसा अनुभव हुआ है कि कोई केंद्र सरकार और राज्य सरकार उनकी चिंता कर रही है
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से मणिपुर में रानी गैदिनलिउ आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन बिरेन सिंह और केन्द्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि रानी माँ गैदिनलिउ आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के भूमिपूजन का अवसर मुझे मिला है और ये एक ऐसा पवित्र काम है जिसके माध्यम से सैकड़ों सालों तक हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का जज़्बा, देशभक्ति और उनके कार्यों की सुगंध आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचेगी। उन्होंने इस अवसर पर मणिपुर के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने प्रदेश में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़कर अपने देश का परचम ऊंचा करने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि अंडमान-निकोबार के माउंट हैरियट पर मणिपुर के महाराजा कुलचंद्र सिंह और उनके साथियों को वहां सालों तक क़ैद रखकर कालापानी की सज़ा दी गई। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में मणिपुर के महाराजा श्री कुलचंद्र सिंह जी ने अपने साहस व पराक्रम से पूर्वोत्तर में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई की शुरूआत की जिसके लिए उन्हें काला पानी की सजा भी हुई। उनकी स्मृति में माउंट हैरियट का नाम बदलकर माउंट मणिपुर करके महाराजा कुलचंद्र सिंह और मणिपुर के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धाजलि जेने का काम हमने किया है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये संग्रहालय ना केवल मणिपुर बल्कि पूरे उत्तरपूर्वी राज्यों के आकर्षण का केन्द्र बनेगा क्योंकि हमारा स्वतंत्रता संग्राम हमारे आदिवासी भाईयों के बिना अधूरा है। अगर देखें तो सबसे ज़्यादा तकलीफ़ें उठाकर अगर किसी ने स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान दिए हैं तो हमारे आदिवासी समाज के स्वतंत्रता सेनानियों ने दिए हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ये वर्ष हमारी आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है और अभी हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म जयंती के दिन हर वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाकर देश की संस्कृति की रक्षा और देश की स्वतंत्रता के लिए आदिवासी समाज के योगदान को गौरव प्रदान करने का काम किया है। आज़ादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में हम 15 से 22 नवंबर तक पूरा सप्ताह आदिवासी गौरव सप्ताह के रूप में मना रहे हैं।
श्री अमित शाह ने रानी मां को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आप से हम सभी प्रेरणा लेते हैं और आने वाली पीढ़ियां भी प्रेरणा लेंगी। आप जन्म से रानी नहीं थीं और ना रानी का खिताब आपको किसी ने दिया, मगर जिस तरह से आपने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया, आज पूरा देश आपको रानी मां कहकर सम्मानित करता है। जब सरकारें खिताब देती हैं तब कुछ साल में वह भुला दिए जाते हैं, मगर जनता जब खिताब देती हैं तो लोग उसे युगों युगों तक याद करते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा तिलका मांझी, सिद्धो कानू, चांद भैरव, तेलंगा खड़िया, मध्य प्रदेश के शंकर शाह, रघुनाथ शाह, सेठ भिखारी, गणपत राय, उमराव सिंह टिकैत, विश्वनाथ सहदेव, निलांबर पितांबर, नारायण सिंह, जत्रा उरांव, जदोनांग और राज मोहन देवी जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अलग-अलग मौकों पर अंग्रेजों के दांत खट्टे करने का काम किया है। इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा को कैसे भुलाया जा सकता है क्योंकि देश में सबसे पहले आजादी की अलख जगाने वाला व्यक्ति हमारा आदिवासी नेता, जिनको पूरा देश भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जानता है, उन्होंने ये अलख जगाई थी।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस वर्ष को हम अमृत महोत्सव वर्ष के रूप में मना रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री जी की अमृत महोत्सव की कल्पना के पीछे तीन उद्देश्य देश की जनता के सामने रखे हैं। पहला, जिन्होंने आजादी के लिए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया और संघर्ष किया, ऐसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का मौका है क्योंकि आज मोदी जी के नेतृत्व में देश जहां दुनिया में गौरव के साथ खड़ा है, उनका बलिदान इसकी नींव में है। अगर वे उस वक्त बलिदान न देते तो आज देश को यह दिन देखने को नहीं मिलता। देश की नई पीढ़ी को जाने-अनजाने, गुमनाम, कई शहीदों और संघर्षरत स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के लिए आजादी के अमृत महोत्सव को स्थान स्थान पर मनाने का निर्णय किया है। दूसरा लक्ष्य है, देश की नई पीढ़ी में देशभक्ति का जज्बा जगाना। हमारा जन्म ही आजादी के बाद हुआ है और आजादी के लिए मरने का मौका इस पीढ़ी और अगली पीढ़ी को नहीं मिलेगा लेकिन देश के लिए जीने का मौका हमें जरूर मिला है। हमारा जीवन देश के विकास में लगे, देश को गौरव दिलाने में लगे और देश को आगे बढ़ाने में लगे इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव को मनाने की जरूरत है। तीसरी बात है कि 75 से 100 साल को प्रधानमंत्री जी ने आजादी का अमृत काल के रूप में मनाने का निर्णय किया है। आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर भारत कैसा होगा, कहां खड़ा होगा। भारत विश्व के प्रमुख देशों में अपनी जगह बना लेगा, इस आत्मविश्वास के साथ देश की जनता को संकल्प लेना है और यह संकल्प लेने के लिए यह अमृत काल है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि रानी मां का जन्म मणिपुर के एक गांव में हुआ और वे 13 साल की उम्र में ही जदोनांग के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ जुड़ गईं और उनके दो साल के जुड़ाव ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ स्वतंत्रता सेनानी बनने के लिए तैयार कर दिया। रानी मां ने आंदोलन का नेतृत्व संभाला और जदोनांग की शहादत के बाद उनके करिश्माई नेतृत्व में भीषण स्वतंत्रता संग्राम हुआ। एक छोटी सी लड़की पूर्वोत्तर की सुदूर पहाड़ियों में रहकर विश्व के सबसे बड़े साम्राज्य को चुनौती देती है, वो उनकी ताक़त का परिचय था। आज पूरा देश उन्हें सम्मान के साथ याद करता है। प्रधानमंत्री जी ने उनके जन्मशती समारोह के अवसर पर 5 रूपए और 100 रूपए के सिक्के भी जारी किए। उन्हें पद्म भूषण भी दिया गया। भारतीय तटरक्षक बल ने 19 अक्तूबर, 2016 को हमारी गश्ती बोट को उनका नाम देकर उन्हें सम्मानित किया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश भर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय बनने से पूरे समाज को एक करने में बड़ी मदद मिलेगी क्योंकि जहां जनजातीय आबादी नहीं है वहां की जनता को मालूम ही नहीं है कि जनजातीय समाज ने देश की आजादी के लिए कितना बड़ा संघर्ष किया है और उच्चतम बलिदान दिए हैं। इसीलिए 15 अगस्त, 2016 को माननीय प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की थी हमारी सरकार अलग-अलग राज्यों में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बनाएगी जिससे आने वाली पीढ़ियां जान सकें कि हमारे आदिवासी और जनजातीय भाई बलिदान देने में हमसे भी आगे थे। सरकार ने इसके लिए 195 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की है जिसमें से 110 करोड़ रूपए की राशि जारी भी की जा चुकी है। गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मणिपुर में ऐसे संग्रहालय बनने वाले हैं। मणिपुर का संग्रहालय 15 करोड़ रूपए की बड़ी लागत से बनने वाला है और इससे पूरे उत्तर-पूर्व के जनजातीय क्षेत्रों में फिर से एक बार देशभक्ति की चेतना जागृत होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार देश के जनजातीय विकास के लिए प्रतिबद्ध है। चाहे एकलव्य स्कूल हों, जंगल उत्पादों को एमएसपी पर खरीदना हो, कई प्रकार के जनजातीय विकास के कार्य नरेन्द्र मोदी सरकार ने किए हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पिछले 5 साल में श्री नरेन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री श्री बिरेन सिंह जी की जोड़ी के नेतृत्व मणिपुर में बहुत समय बाद शांतिकाल आया है और आज मणिपुर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में हमारी पार्टी ने किए गए सारे वादे पूरे किए हैं कि अब कोई हड़ताल, बंद और ब्लॉकेड नही होगा। एक समय में मणिपुर में कई हथियारबंद समूह आतंक फैलाते थे और कई मामलों में शासन भी उनके साथ लिप्त होता था। लेकिन श्री बिरेन सिंह जी के शासन में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति में बहुत बड़ा सुधार आया है। पांच साल में श्री नरेन्द्र मोदी और श्री बिरेन सिंह जी ने जो विकास किया है उसका पलड़ा 70 साल के मणिपुर के विकास पर ज़रूर भारी होगा। मणिपुर में कई काम हुए हैं, खेल यूनिवर्सिटी बन रही है, नया विधानसभा भवन बन कर तैयार है। मणिपुर में इंफ्रास्ट्रक्चर के ढेर सारे काम हुए हैं और जो गांव पहाड़ों पर बसे हैं उनको पहली बार ऐसा अनुभव हुआ है कि कोई केंद्र सरकार और राज्य सरकार उनकी चिंता कर रही है। श्री शाह ने कहा कि सब ने इनके वोट लिए किंतु विकास की चिंता नहीं की और अब पहाड़ी गांवों में बिजली पहुंचाने का काम हुआ है। हर मणिपुरवासी को 5 लाख रूपए तक का स्वास्थ्य का खर्चा नरेन्द्र मोदी सरकार उठा रही है। सबके घर में गैस पहुंचाने का काम किया गया, शौचालय बनाने का काम हुआ, पहाड़ों पर स्कूल बनाए गए तथा कनेक्टिविटी की चिंता की गई है।
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