एनी डे नाउ दिखाने का उद्देश्य यह दर्शाना है कि – व्यक्ति और इंसान हैं – न केवल उनकी गिनती जहां उन्हें ‘शरणार्थी’ के रूप में लेबल किया जाता है जैसा कि हम मीडिया में देखते हैं। यह कहानी सार्वभौमिक प्रश्न प्रस्तुत करती है कि कुछ ही क्यों रह सकते हैं जबकि अन्य को छोड़ना पड़ता है: ये इफ्फी के 52वें संस्करण में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा फिल्म एनी डे नाउ के लेखक अंत्ती राउतवा के शब्द थे, लेखक के अनुसार फिल्म यह संदेश देने का ईमानदार प्रयास करती है कि ‘शरणार्थी’ सिर्फ कोई पहचान नहीं है।
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अंत्ती राउतवा ने 20 से 28 नवंबर 2021 के दौरान हाइब्रिड प्रारूप में गोवा में आयोजित किये जा रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 52वें संस्करण के मौके पर अलग से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए यह बात कही। इस फिल्म को महोत्सव की इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन कैटेगरी में दिखाया गया है।
‘एनी डे नाउ’ हामी रमजान द्वारा निर्देशित तेरह वर्षीय लड़के रामिन मेहदीपुर और उसके ईरानी परिवार की कहानी के बारे में बताती है, जो फिनलैंड के एक शरणार्थी केंद्र में किसी भी समय निर्वासित होने के खतरे में रह रहे हैं, क्योंकि उनका शरण आवेदन खारिज हो जाता है।
यह साझा करते हुए कि वह इस फिल्म का हिस्सा कैसे बने, जो स्वयं निर्देशक के जीवन पर आधारित है, अंत्ती राउतवा ने कहा कि वह और उनका परिवार उस समय ईरान से भागकर फिनलैंड चला गया था जब वह 9 साल के थे और यह फिल्म उनके लिए बहुत आन्तरिक तथा व्यक्तिगत है। लेखक ने कहा कि जब पांडुलिपि के पहले संस्करण दुःस्वप्न और अंधेरे से भरे हुए थे, तो हामी ने अपने निर्माता के साथ बातचीत की, जिसने यह सुझाव दिया कि सहयोगी लेखक का साथ होना अच्छा रहेगा।
As a gay man myself, I think every LGBTQ person's identity is conditioned by the very idea of AIDS
— PIB India (@PIB_India) November 25, 2021
The prejudice and stigma we suffer today have deep roots in the AIDS crisis
It's a subject that moved me always!
– Director @rod_ol at #IFFI52https://t.co/tMhGbFD4eC pic.twitter.com/6SYDcWcQ5m
इसके आगे की बातचीत करते हुए अंत्ती राउतवा ने कहा कि हमने पारिवारिक संबंधों को शक्तिशाली अभिव्यक्तियों और भावों के माध्यम से चित्रित करने का प्रयास किया है, जैसे कि, किसी भी क्षण निर्वासित होने के इस तनाव के बीच, वे कैसे व्यवहार करते हैं। यह फिल्म उनकी गरिमा, वर्तमान को संजोने और हर पल में जीने की क्षमता के प्रति उनके दृष्टिकोण का एक प्रतिविम्ब दर्शाती है।
अलग-अलग संस्कृतियों एवं समुदायों से होने तथा निर्देशक और स्वयं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में राउतवा ने साझा किया कि “हामी ने मेरे लिए इसे बहुत आसान बना दिया था। उनके पास अपनी निजी कहानी के बारे में बताने और जीवन यात्रा पर मुझे आमंत्रित करने का एक रहस्यपूर्ण तरीका था। अंत्ती राउतवा ने कहा कि हामी ने मुझे अपने बचपन के बारे में, अलग – अलग हिस्सों में और सभी खास छोटे-छोटे किस्सों के बारे में बताया, लेकिन किसी विशेष कालक्रम में उनका जिक्र नहीं किया। इसके बाद अंत्ती राउतवा ने कहा कि हामी ने उन्हें अपने बचपन, अपने परिवार की यात्रा और सफर की भयावहता के बीच हुई सभी साहसिक, लेकिन मजेदार छोटी-छोटी बातों का विस्तृत विवरण दिया। हमारी लंबी बातचीत के दौरान मुझे वह जानकारी मिली जो परिवार की गतिशीलता को समझने के लिए आवश्यक थी।
This project started with Director Hamy Ramezan,almost 10 years ago; he and his family had fled from Iran to Finland when he was 9 years old and this film was very intimate and personal for him
— PIB India (@PIB_India) November 25, 2021
– Director (Any Day Now), Antti Rautava at #IFFI52 https://t.co/tMhGbFD4eC pic.twitter.com/BaWnJ6RiWd
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इसके प्रीमियर के दौरान उनकी फिल्म को किस तरह से सराहना मिल रही है, इस पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राउतवा ने कहा, मुझे लगता है कि लोग वास्तव में हमारी फिल्म से जुड़ रहे हैं क्योंकि हमने मेहदीपुर परिवार की एकता तथा लचीलापन दिखाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इफ्फी जैसे फिल्मोत्सव के माध्यम से उनकी यात्रा जारी है।
एनी डे नाउ – कहानी
हामी रमजान द्वारा निर्देशित एनी डे नाउ एक तेरह वर्षीय लड़के रामिन मेहदीपुर और उसके ईरानी परिवार की कहानी है, जो फिनलैंड के एक शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं। जैसे ही रामिन स्कूल की छुट्टियों का आनंद लेना शुरू करता है, तो उसके परिवार को खबर मिलती है कि उनका शरणार्थी आवेदन खारिज कर दिया गया है। उन पर अब निर्वासन का खतरा मंडरा रहा है। जैसे ही रामिन नया विद्यालय वर्ष शुरू करता है तो अब उसके लिए हर पल, हर दोस्ती पहले से कहीं ज्यादा कीमती होगी।
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