भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), एक ‘महारत्न’ और एक फॉर्च्यून ग्लोबल 500 कंपनी ने भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र(बीएआरसी) के साथ मिलकर हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए क्षारीय इलेक्ट्रोलाइजर प्रौद्योगिकी का विस्तार किया है। वर्तमान में, इलेक्ट्रोलाइजर संयंत्रों का आयात किया जाता है। अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए देश की प्रतिबद्धता का समर्थन करने के लिए यह अपनी तरह की पहली पहल है।
रिफाइनरियां पेट्रोल, डीजल और अन्य रसायनों को बनाने के लिए डी-सल्फराइजेशन के लिए बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन का उपयोग करती हैं। वर्तमान में, प्राकृतिक गैस से मीथैन को गर्म करने की प्रक्रिया से हाइड्रोजन रिफाइनरी में बनाई जाती है लेकिन इसके परिणामस्वरूप उच्च कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन होता है। इसलिए, रिफाइनर पानी से हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रोलाइज़र स्थापित कर रहे हैं और इस तरह हाइड्रोजन उत्पादन से गैसीय कार्बन की मात्रा को कम कर रहे हैं।
इस अवसर पर, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सी एंड एमडी, श्री अरुण कुमार सिंह ने कहा, “बीपीसीएल पर्यावरण संरक्षण और एक हरित पृथ्वी सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम अपनी सभी गतिविधियों में व्यापक रूप से प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहे हैं। आज, बीएआरसी के सहयोग से, हम स्वदेशी क्षारीय इलेक्ट्रोलाइजर प्रौद्योगिकी को बढ़ाने का इरादा रखते हैं और विशेष रूप से रिफाइनरियों में बड़े उपयोग के लिए इसका व्यावसायीकरण करने की आशा करते हैं। यह 2040 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की हमारी “आत्मनिर्भर भारत”यात्रा की दिशा में एक और कदम होगा।”
भारत पेट्रोलियम की सौर, पवन और जैव ईंधन के साथ अक्षय ऊर्जा के अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करने की योजना है, जिससे कार्बन फुटप्रिंट में स्थिरता और कमी के प्रति उसकी प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है। इसके अलावा, कंपनी मुख्य रूप से अक्षय स्रोतों से अपनी रिफाइनरियों में नई परियोजनाओं के लिए बिजली की आवश्यकता को पूरा करने का इरादा रखती है।
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