भारत सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) ने 490.82 लाख रुपये की परियोजना लागत से “पूर्वोत्तर भारत में मत्स्य पालन एवं शूकर पालन को बढ़ावा देने” की परियोजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है। परिषद के द्वारा अब तक पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन सोसायटी (एनईआरसीआरएमएस), शिलांग को 196.32 लाख रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
यह परियोजना अरुणाचल प्रदेश के निचले सुबनसिरी जिले, असम के कार्बी आंगलोंग, मणिपुर के इंफाल पश्चिम, सेनापति, चुराचांदपुर, फेरजावल और तामेंगलोंग जिलों तथा मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स एवं पूर्वी खासी हिल्स जिलों में लागू की जा रही है।
इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को रोजगार तथा आय के अवसर प्रदान करना है और साथ ही राज्य के उत्पादन आंकड़ों में वृद्धि करना है ताकि मात्रा, मूल्य संवर्धन एवं क्षेत्र से संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके। परियोजना का उद्देश्य निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करना है:
- टेबल फिश के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए मछलियों के तालाब की स्थापना करना।
- शूकर के मांस के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए शूकर पालन चर्बी इकाइयों की स्थापना करना।
- स्थानीय तथा आसपास के बाजारों की मांगों को पूरा करने के लिए टेबल फिश और ताजा शूकर के मांस का उत्पादन बढ़ाना।
- टेबल फिश एवं ताजा सूअर के मांस से किसान की आमदनी दोगुनी करना।
- ताजी मछली व सूअर के मांस के आयात को कम करना और अधिशेष की बाहरी बाजारों में आपूर्ति करना।
जारी की गई कुल धनराशि में से 12 सौ 88 लाख रुपये की राशि का उपयोग मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले में 15 (पंद्रह) शूकर पालन इकाइयों की स्थापना के लिए किया गया था, जिससे 15 (पंद्रह) किसान लाभान्वित हुए हैं। शिलांग में पूर्वोत्तर परिषद के कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के सलाहकार (कृषि) श्री रंगेह कुपर वानशॉन्ग ने भी शूकर चर्बी इकाइयों का निरीक्षण करने के लिए परियोजना स्थल का दौरा किया और लाभार्थियों के साथ बातचीत भी की।
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