ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने आजादी का “अमृत महोत्सव” के तहत चल रहे “राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण सप्ताह 8 से 14 दिसंबर 2021” के दौरान पीएटी योजना के तहत नामित उपभोक्ताओं के लिए वेबिनार का आयोजन किया। ये उपभोक्ता सीमेंट, लोहा और इस्पात, कपड़ा, लुगदी और कागज, रिफाइनरी, उर्वरक, क्लोर क्षार, थर्मल पावर प्लांट और एल्युमीनियम जैसे गहन ऊर्जा क्षेत्रों से संबंधित हैं।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बीईई के महानिदेशक ने ऊर्जा संरक्षण के मूल्यों को विकसित करने और ऊर्जा दक्षता गतिविधियों में शामिल होने के प्रति जागरूकता, पहुंच और प्रतिबद्धताओं से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करके आजादी और अमृत उत्सव की भावना का जश्न मनाने के लिए नामित उपभोक्ताओं को बधाई दी।
डीसी के साथ बातचीत करने के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें सप्ताह के उत्सव के अनुभवों को साझा किया गया और हाल ही में यूके के ग्लासगो में सीओपी 26 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं में योगदान करने के लिए व्यापक कार्य योजना पर प्रकाश डाला गया।
वेबिनार के दौरान संयंत्र प्रमुख ऊर्जा प्रबंधकों के नेतृत्व में डीसी ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण सप्ताह के दौरान आयोजित की गई गतिविधियों पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण सप्ताह के तहत चित्रकला प्रतियोगिता/निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता/वाद-विवाद, पौधरोपण और आसपास के क्षेत्रों में ऊर्जा संरक्षण पर रोड शो आदि मुख्य गतिविधियां शामिल थीं। सभी 9 क्षेत्रों के डीसी ने एनर्जी वॉक, ऑनलाइन प्रशिक्षण, पौधरोपण के अलावा फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ-साथ आंतरिक संचार का उपयोग कर अपने कर्मचारियों और अन्य स्टाफ को सशक्त बनाने के लिए कई गतिविधियों का आयोजन किया। जन जागरूकता अभियान और इस यात्रा में सभी नामित उपभोक्ताओं ने भाग लिया। वेबिनार का उद्देश्य अपने कर्मचारियों और आसपास के समाज में जागरूकता को बढ़ावा देना है। उक्त क्षेत्र के 40 से अधिक डीसी ने अपने अनुभव और गतिविधियों की सूची साझा की और यह बताया कि उनकी गतिविधियों के माध्यम से 1.5 लाख से अधिक व्यक्तियों जिसमें कर्मचारी, उनके परिवार स्कूली बच्चे और डीसी के आसपास के समाज में जागरूकता फैलाई गई।
पीएटी के बारे में :
यह जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत संवर्धित ऊर्जा दक्षता पर राष्ट्रीय मिशन के तहत प्रमुख योजनाएं हैं, जो 2008 में शुरू हुई थीं। योजना का मुख्य उद्देश्य नियामक और बाजार तंत्र के नवाचार मिश्रण से ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 की अनुसूची में पहचाने गए क्षेत्रों की ऊर्जा तीव्रता को कम करना है, जहां विशिष्ट बाजार में अनिवार्य लक्ष्य से परे ऊर्जा बचत का कारोबार किया जा सकता है।
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