अगले दशक में भारत के समुद्री क्षेत्र का समन्वित एवं त्वरित विकास सुनिश्चित करने के लिए मैरीटाइम इंडिया विजन 2030

दैनिक समाचार

केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन, जलमार्ग एवं आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता बढ़ाने तथा उपस्कर लागत को कम करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जिससे भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने के अपने सुपरिभाषित लक्ष्य को प्राप्त करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा किभारत दुनिया में सबसे बड़ी आपूर्ति श्रृंखला एवंउपस्कर क्षेत्रों में से एक है, जो तेज गति से बढ़ रहा है। एक कुशल उपस्कर प्रणाली को अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए उत्प्रेरक माना जाता है।

वर्चुअल सीआईआई पार्टनरशिप समिट 2021 को आज नई दिल्ली में संबोधित करते हुए, श्री सोनोवाल ने बताया कि बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय ने अगले दशक में भारत को वैश्विक समुद्री क्षेत्र में सबसे आगे ले जाने के उद्देश्य से भारत के समुद्री क्षेत्र के समन्वित तथा त्वरित विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक खाका- मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (एमआईवी 2030)तैयार किया है। उन्होंने कहा, एमआईवी 2030 ने विश्व स्तरीय मेगा पोर्ट विकसित करने, ट्रांस-शिपमेंट हब तथा बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण जैसी पहल को चिन्हित किया है। इन पहलों से बंदरगाहों की समग्र परिचालन लागत कम करने, जहाजों के लिए टर्नअराउंड समय को कम करने, दक्षता और लदान क्षमता बढ़ाने, बड़े जहाजों को संभालने की क्षमता प्रदान करने तथा दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारतीय बंदरगाह के रणनीतिक महत्व को विकसित करने में मदद मिलेगी।

श्री सोनोवाल ने कहा कि एमआईवी 2030 के तहत बंदरगाहों, शिपिंग तथा अंतर्देशीय जलमार्ग श्रेणियों में 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपये के समग्र निवेश की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा, इस विजन रोडमैप से भारतीय बंदरगाहों के लिए 20,000 करोड़ रुपये से अधिक संभावित वार्षिक राजस्व अर्जित करने में मदद मिलने की संभावना है। इसके अलावा, इससे भारतीय समुद्री क्षेत्र में अतिरिक्त 20 लाख से अधिक नौकरियां (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) सृजित होने की भी उम्मीद है।

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