केंद्र-राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार (एसटीआई) समन्वय बैठक में 21 दिसंबर 2021 को राज्यों के प्रतिनिधियों और नोडल अधिकारियों के साथ संस्थागत सहयोग बढ़ाकर, राज्यों के साथ कार्य के दायरे में विस्तार करके और राज्यों की विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी नीतियां तैयार करके विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) में केंद्र-राज्य समन्वय को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की गई। एसटीआई पर राज्यों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की योजना बनाने से पहले यह राज्यों के साथ एक प्रारंभिक बैठक थी।
राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों के अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक के दौरान डीएसटी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता ने बताया, ’’सभी राज्यों के एसटीआई क्षेत्रों की प्रमुख उपलब्धियों, प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, चुनौतियों का खाका तैयार किया जा रहा है और राज्यों की ओेर से सुझाव तथा इनपुट प्रदान करने के लिए उनका स्वागत है।’’
2020-21 के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी) सचिवालय ने देश में राज्य स्तर पर एस एंड टी इकोसिस्टम को आकर्षित करने के लिए एसटीआईपी की निर्माण प्रक्रिया के दौरान सभी राज्यों के साथ बातचीत की थी। डॉ. गुप्ता ने कहा, ’’यह पहला अवसर था जब देश में किसी नीति निर्माण के लिए राज्यों से परामर्श किया गया।’’
डॉ. गुप्ता ने राज्यों के साथ केंद्र के एसटीआई जुड़ाव के वर्तमान स्तर पर चर्चा की और एस एंड टी परिषद स्तर से परे राज्यों के साथ एसटीआई कार्य बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
राज्यों के साथ मौजूदा एस एंड टी जुड़ाव तंत्र को मजबूत करने, राज्य और केंद्र एसटीआई पारिस्थितिक तंत्र के बीच घनिष्ठ संबंध तथा तालमेल विकसित करने, राज्यों को अपनी एसटीआई नीतियां तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करने, केंद्र से राज्यों में एसटीआई सूचना और डेटा के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए एक तंत्र बनाने की आवश्यकता है। इसके विपरीत, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और पेशेवरों का क्षमता निर्माण, जैसे सीमांत और भविष्य की प्रौद्योगिकियों, सुपरकंप्यूटिंग, उन्नत सामग्री आदि पर उन्होंने प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ’’राज्यों के साथ मौजूदा एस एंड टी जुड़ाव प्रक्रिया को मजबूत करने, राज्य और केंद्र एसटीआई पारिस्थितिक तंत्र के बीच घनिष्ठ संबंध तथा तालमेल विकसित करने, राज्यों को अपनी एसटीआई नीतियां तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करने, केंद्र से राज्यों में और इसी प्रकार राज्यों से केंद्र को एसटीआई सूचना और डेटा के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए एक तंत्र बनाने, अग्रिम पंक्ति और भविष्य की प्रौद्योगिकी, परमसंगणना, उन्नत सामग्री जैसे क्षेत्रों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और पेशेवरों का क्षमता निर्माण करने की आवश्यकता है।’’
डॉ. गुप्ता ने कहा कि केंद्र-राज्य शासन और निगरानी तंत्र को उपयुक्त स्तर पर स्थापित करना, वैज्ञानिक अनुसंधान अवसंरचना प्रबंधन और नेटवर्क ’एसआरआईएमएएन’ नीति दिशानिर्देशों के अनुसार राज्यों और केंद्र के संस्थानों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे को साझा करना, राज्य और केंद्रीय संस्थानों द्वारा वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन आद कुछ प्रमुख बिंदु हैं जिन्हें केंद्र के साथ राज्यों के भविष्य के जुड़ाव के एजेंडे में शामिल किया जाना है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में नीति निर्माण से जुड़े वरिष्ठ शोधकर्ताओं ने भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति प्रस्तुत की, जिसमें राज्य स्टार्टअप रैंकिंग, राज्य नवाचार रैंकिंग, शासन, नीति, पहल, संस्थागत मानचित्रण और राज्यों एसटीआई के औद्योगिक मानचित्रण जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने बताया कि डीएसटी की पहल से केंद्रीय विभागों और राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों के बीच बेहतर समन्वय में मदद मिलेगी। उन्होंने बेहतर सहयोग के लिए विभिन्न विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों के बीच एकरूपता की आवश्यकता, नीति अनुसंधान के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों और केंद्रों को एकत्र करने, परियोजनाओं की स्थिति पर केंद्रीय विभागों से राज्यों को प्रतिपुष्टि के साथ-साथ राज्यों और केंद्र के बीच डेटा साझा करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने पर जोर दिया।
उन्होंने क्षेत्र-विशेष की नीतियों, क्षेत्र-विशेष के अनुसंधान, उत्पादन गतिविधियों पर अधिक नीति के साथ एक अच्छा पारिस्थितिकी तंत्र, एसएंडटी के क्षेत्र में युवाओं के लिए अधिक रोजगार पैदा करने की नीतियों, अल्पकालिक अनुसंधान परियोजनाओं और विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय के निर्माण पर भी जोर दिया। बैठक में राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों को मजबूत करने के लिए धन, संस्थागत सुविधाओं और मानवशक्ति के आवंटन की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया।
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