आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन को ध्यान में रखते हुए, पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल-ऑयल पाम मिशन व्यापार शिखर सम्मेलन आज हैदराबाद में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। यह मिशन का ऐसा दूसरा शिखर सम्मेलन है; पहला गत 5 अक्टूबर 2021 को पूर्वोत्तर राज्यों के लिए गुवाहाटी में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार चौतरफा प्रयास कर रही है। कृषि क्षेत्र की मजबूती सरकार का प्रमुख ध्येय है, जिससे दुनिया में भारत की ताकत व मजबूती और बढ़ेगी। ऑयल पाम मिशन खाद्य तेलों की आयात निर्भरता कम करेगा व खाद्य तेलों में देश को आत्मनिर्भर बनाएगा,जिसके लिए केंद्र सरकार हर कदम पर राज्यों के साथ खड़ी है।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है, यही भारत की सबसे बड़ी ताकत है। इसके रहते विदेशी आक्रांता भी भारत की एकता को नहीं तोड़ पाए और कृषि व गांवों की अर्थव्यवस्था ने देश को कभी कमजोर नहीं होने दिया। कोविड में देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था थम गई थी लेकिन कृषि का पहिया चलता रहा, किसान परिश्रम करते रहे, सरकार भी मदद करती रही। महामारी के दौर में भी किसानों ने बंपर पैदावार की, सरकार ने भी बंपर खरीदी की और कृषि ने एक बार फिर अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है। कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था में मेरूदंड के समान है, इसे हम जितना बढ़ाएंगे, उतनी ही मजबूती के साथ विश्व में भारत और ताकत से मजबूत होकर कामयाबी हासिल करता रहेगा।
श्री तोमर ने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र में जागरूकता काफी बढ़ रही है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जबसे यह कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी होना चाहिए, तबसे हरेक व्यक्ति, सरकारें, संगठन इसमें जुटे हुए हैं। राज्य सरकारें अपनी सफलतम भूमिका का निर्वहन कर रही है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न में हम सरप्लस देश है, बाकी कृषि उत्पादों में भी भारत, विश्व में पहले या दूसरे नंबर पर है, यह हमारे किसानों का परिश्रम, सरकारों की कृषि हितैषी नीतियों, वैज्ञानिकों के अनुसंधान व बढ़ती जागरूकता का नतीजा है। प्रधानमंत्री जहां देश के सर्वांगीण विकास के बारे में विचार करते है, वहीं गांव-गरीब-किसानों पर उनका प्राथमिकता से फोकस रहता है। देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं जिनकी ताकत बढ़ाने के लिए 6,850 करोड़ रू. के खर्च से 10 हजार एफपीओ बनाना प्रारंभ किया गया हैं, वहीं किसानों को वाजिब दाम दिलाने व उनकी माली हालत सुधारने तथा सभी सुविधाएं सहजता से उपलब्ध कराने के लिए एक लाख करोड़ रू. के फंड से कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है। सरकार चाहती है कि कृषकों की आमदनी बढ़ने के साथ ही खेती की लागत कम होना चाहिए व कृषि आदानों में आयात की बजाय आत्मनिर्भर होना चाहिए। इसी क्रम में आर्गेनिक व प्राकृतिक खेती पर प्रधानमंत्री ने बल दिया है, जिसके लिए आणंद (गुजरात) में राष्ट्रीय सम्मेलन भी हाल ही में आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री ने देश को अनुरोध किया है कि अपनी धरती की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती करना चाहिए, जिससे किसानों की माली हालत भी सुधरेगी। श्री तोमर ने कहा कि देश में सूक्ष्म सिंचाई व नैनो यूरिया पर भी काम किया जा रहा है। सोच यही है कि भारत स्वावलंबी बनें ताकि हम दुनिया को नेतृत्व देने की स्थिति में खड़े हो। कृषि क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता में है तथा हमारी किसान व कृषि हितैषी प्रतिबद्धता थी, है और रहेगी।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी ऑयल पाम का काफी उत्पादन किया जा सकता है, जिससे आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण ने राष्ट्रीय खाद्य तेल – ऑयल पाम मिशन के प्रथम शिखर सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन गत 5 अक्टूबर को गुवाहाटी में किया। कुछ एमओयू भी साइन हुए, जिससे पूर्वोत्तर में इकाइयां खुलने से वहां की तस्वीर व तकदीर बदलेगी। केंद्र, राज्यों को कोई कमी नहीं आने देगा, कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाकर केंद्र सरकार राज्यों के साथ चलती रहेगी। यह योजना देश में ऑयल पाम के बागान के तहत अतिरिक्त साढ़े छह लाख हेक्टेयर लाएगी। परिणामस्वरूप ऑयल पाम का क्षेत्रफल बढ़कर वर्ष 2025-26 तक 10 लाख हेक्टेयर व 2029-30 तक 16.71 लाख हेक्टेयर हो जाएगा। क्रूड पाम ऑयल उत्पादन 2025-26 में 11.20 लाख टन व 2029-30 में 28.11 लाख टन तक बढ़ने की उम्मीद है। हैदराबाद में दूसरा व्यापार शिखर सम्मेलन शेष भारत के उन राज्यों को कवर करेगा, जिनके पास ऑयल पाम की खेती के लिए महत्वपूर्ण संभावित क्षेत्र हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, ओडिशा, गोवा, गुजरात व छत्तीसगढ़ के लिए सवा तीन लाख हेक्टेयर ऑयल पाम पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने के लिए मोदी जी की सरकार खाद्य तेलों के उत्पादन पर बहुत जोर दे रही है। किसानों की मेहनत, वैज्ञानिकों की कुशलता व सरकार की नीतियों से हर काम सफल होता है। केंद्र के प्रयासों व राज्य सरकारों के सहयोग से खेती के प्रति रूझान बढ़ रहा है। किसान रेल जैसी योजनाओं से किसानों को लाभ मिल रहा है।
तेलंगाना के कृषि मंत्री श्री एस. निरंजन रेड्डी ने हैदराबाद में बिजनेस समिट आयोजित करने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को धन्यवाद देते हुए राज्य में ऑयल पाम रोपण को बढ़ावा देने व ऑयल पाम के एफएफबी के लिए किसानों को उच्च मूल्य प्रदान करने हेतु सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। केरल के कृषि मंत्री श्री पी. प्रसादने बताया कि राज्य सरकारें ऑयल पाम को बढ़ावा देने पर बहुत जोर दे रही हैं। कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल ने केंद्र सरकार का विजन बताया। तेलंगाना के मुख्य सचिव श्री सोमेश कुमार ने राज्य की पहल की रूपरेखा प्रस्तुत की। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने भी संबोधित किया। संयुक्त सचिव श्रीमती शुभा ठाकुर ने मिशन की रूपरेखा पर प्रस्तुति दी। सम्मेलन में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए। शिखर सम्मेलन में राज्यों के प्रधान सचिव व अन्य अधिकारी, कृषि व विदेश मंत्रालय, नीति आयोग, आईसीएआर, एसबीआई, नाबार्ड वनैफेड के अधिकारी, कुलपतिगण, सॉल्वेंट अधिकारी एक्सट्रैक्शन एसो., पाम ऑयल उद्योग के प्रोसेसर, किसान, कृषि-व्यवसाय से जुड़े निवेशक उपस्थित थे।