गंतव्य पूर्वोत्तर और आजादी का अमृत महोत्सव

दैनिक समाचार

केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री किशन रेड्डी के संरक्षण तथा राज्यमंत्री श्री बीएल वर्मा के सर्वकालिक समर्थन से उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय देश के पूर्वोत्तर भाग की सेवा करने के लिये प्रतिबद्ध है, जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस क्षेत्र को ‘अष्ट लक्ष्मी,’ यानी सम्पदा की देवी के आठ रूप कहा है।

अपने अब तक के छोटे से कार्यकाल के दौरान दोनों मंत्रियों ने गृह, वित्त, रेल, नागरिक विमानन, शिक्षा, कृषि, दूरसंचार, जलशक्ति, स्वास्थ्य जैसे प्रमुख मंत्रालयों के अपने समकक्षों और एनएचएआई के साथ कई दौर की बातचीत की है, ताकि चालू परियोजनाओं को गति मिले। इसके अलावा नई परियोजनाओं/योजनाओं पर भी चर्चा की गई, ताकि क्षेत्र का आमूल विकास हो सके और वहां के लोगों के लिये रोजगार के अवसर पैदा हो सकें। पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी कई दौर की बातचीत हुई, जो राज्यों में कार्यान्वित परियोजनाओं के विषय में थी। इन प्रयासों से पूर्वोत्तर राज्यों के लिये केंद्र के सकारात्मक रुख का पता चलता है, बल्कि इन प्रयासों से कई सुपरिणाम भी सामने आये हैं, जिनका ब्योरा नीचे दिया जा रहा हैः

  • गृह- सीमा क्षेत्र सड़क विकास – दस प्रतिशत जीबीएस के तहत तीव्र विकास।
  • रेलवे – पूर्वोत्तर में 122 सुरंगों का काम प्रगति पर, 27 पूर्ण।
  • दूरसंचार – पूर्वोत्तर में मोबाइल फोन कनेक्टिविटी के लिये 6000 गांवों की पहचान की गई। पांच हजार से अधिक गांवों के लिये संविदा की कार्रवाई पूरी। बचे हुये गांवों में संविदा प्रक्रिया जारी।
  • नागरिक विमानन – पूर्वोत्तर के लिये ‘उड़ान’ के अंतर्गत छोटी उड़ानों की शुरूआत और ‘उड़ान’ के अंतर्गत कुछ नये रूटों पर विचार।
  • पर्यटन – पर्यटन सचिव ने फिल्म उद्योग, मुम्बई के साथ बातचीत की कि पूर्वोत्तर में फिल्मों की शूटिंग की संभावनायें तलाशी जायें। उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के परामर्श से पूर्वोत्तर में 100 दर्शनीय स्थलों का विकास।
  • स्वास्थ्य – अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, गुवाहाटी का काम प्रगति पर।
  • तेल ताड़ – पूर्वोत्तर के लिये 12,000 करोड़ रुपयें में से 6000 करोड़ रुपये का प्रावधान।
  • केंद्रीय मंत्रियों के पूर्वोत्तर दौरे में बढ़ोतरी।

परिणामस्वरूप, मंत्रालय और उसके संगठनों के कामकाज में उल्लेखनीय बदलाव आया, जिसका पता साफ तौर पर उनकी उपलब्धियों में नजर आता हैः

नीति आयोग के सहयोग से उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय का पूर्वोत्तर क्षेत्र जनपद एसडीजी सूचकांक और डैशबोर्ड 2021-22: यूएनडीपी के तकनीकी सहयोग से, यह देश का अपने तरह का पहला कदम है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र पर विशेष ध्यान देता है। यह सूचकांक आठ पूर्वोत्तर राज्यों के जिलों के कामकाज का मूल्यांकन करता है। यह पहली बार है, जब जिलावार सूचकांक को देश में तैयार किया जा रहा हो। एसडीजी सूचकांक को कल्याणकारी गतिविधियों, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा के विकास की योजना बनाने के लिये इस्तेमाल किया जायेगा। अध्यक्ष महोदय आजीविका सृजन की जरूरत पर जोर देते हैं, जिससे न केवल पारिवारिक आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि जीवन स्तर भी ऊंचा होगा।

सलाहकार समिति की बैठक उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री की अध्यक्षता में हुई, जिसका उद्देश्य मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित होने वाली आजीविका योजनाओं की समीक्षा की जाये। राज्यमंत्री श्री बीएल शर्मा और समिति के सदस्य सर्वश्री अब्दुल खलीक, रामप्रीत मंडल, सी लालरोसांगा और रेबती त्रिपुरा बैठक में उपस्थित थे। भारत सरकार पूर्वोत्तर के लोगों का जीवन स्तर बढ़ाने के लिये दृढ़ प्रतिज्ञ है। इसके अलावा क्षेत्र में कनेक्टिविटी और अवंसरचना के विकास के साथ-साथ सभी मंत्रालयों/विभागों के सामूहिक प्रयासों के जरिये क्षेत्र के आमूल विकास के लिये प्रतिबद्ध है।

तेल ताड़ मिशनः राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तेल ताड़ (एनएमईओ-ओपी) एक नई केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना है, जिसका विशेष ध्यान पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह पर है। पूर्वोत्तर के संदर्भ में बांस के लिये समझौता-ज्ञापन, खाद्य तेल-तेल ताड़ के लिये किसान उत्पादक संगठन समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। खाद्य तेल मिशन का लक्ष्य है कि देशभर में अगले पांच वर्षों के दौरान तेल ताड़ की खेती को 3.5 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 10 लाख हेक्टेयर तक कर दिया जाये। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये 50 प्रतिशत नई खेती का लक्ष्य रखा गया है। योजना की अनुमानित लागत 11,040 करोड़ रुपये में से लगभग 6,000 करोड़ रुपये से पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।

पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (एनईआरएएमएसी) का पुनरुद्धारः प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने एनईआरएएमएसी के पुनरुद्धार के लिये 77.45 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी थी। इस पुनरुद्धार पैकेज से एनईआरएएमएसी को विभिन्न नवोन्मेषी योजनाओं को कार्यान्वित करने में मदद मिलेगी, जैसे खेती की बेहतर सुविधायें उपलब्ध कराना, संकुलों में किसानों का प्रशिक्षण, जैविक बीज और उर्वरक आदि। इससे लगभग 33 हजार लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिलेगा।

शिलांन्ग में पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के विकास में उत्तर पूर्वी परिषद की बदलती भूमिका पर कार्यशाला :
पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के विकास में उत्तर पूर्वी परिषद की बदलती भूमिका शीर्षक वाली कार्यशाला एनईसी, शिलांन्ग के सम्मेलन सभागार में आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु थे।

कोविड से संबंधित बुनियादी ढांचा :

  • उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता के साथ तवांग, अरुणाचल प्रदेश में ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किया गया था।
  • नागालैंड राज्य में 10710 पारिवारिक स्वास्थ्य और स्वच्छता किट, 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 3 जिला अस्पतालों के लिए 3 पोर्टेबल स्वास्थ्य उपकरण, ऑक्सीमीटर, दवा किट और 3 टेलीफोनिक चिकित्सा परामर्श उपकरणों वाले कोविड राहत कंटेनर को निर्दिष्ट स्थानों पर भेजा गया था।
  • पूर्वोत्तर राज्यों में कोविड 19 से लड़ने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा 250 करोड़ मंजूर किए गए।


उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत उत्तर पूर्वी विकास वित्त निगम लिमिटेड (एनईडीएफआई) द्वारा आत्मनिर्भर हस्तशिल्पकार योजना


वित्तीय सहायता प्रदान करके पूर्वोत्तर क्षेत्र के छोटे कारीगरों को आगे बढाने के उद्देश्य से एनईडीएफआई ने आत्मनिर्भर हस्तशिल्पकार योजना शुरू की है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में परियोजनाओं की निगरानी और जियो टैगिंग :
पूर्वोत्तर क्षेत्र में जियो टैगिंग के साथ परियोजना निगरानी तंत्र के विकास का प्रारंभिक चरण डीओएनईआर/एनईसी द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। पूरे देश में यह अपनी तरह का पहला मामला है जहां विकास परियोजनाओं के लिए डेटा के मानचित्रण और साझा करने में इसरो की संस्थागत भागीदारी है।



मंजिल उत्तर पूर्व और आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) : एनईआर राज्यों की राजधानी में एकेएएम और डीएनई के उत्सव के लिए उच्चतम स्तर पर नियमित तैयारी बैठकें हो रही हैं, जो 15.01.2022 से 22.01.2022 तक कुछ कार्यक्रमों के साथ निर्धारित हैं। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी संदर्भ के रूप में जागरूकता कार्यक्रम MyGov (माईगोव) के मंच से पहले ही शुरू किए जा चुके हैं और आमलोगों को उनकी रुचि के हिसाब से आकर्षित किया जा रहा है।



एमडीओएनईआर का डिजिटलीकरण : उन्नत ई ऑफिस संस्करण 7.0 का 100 प्रतिशत कार्यान्वयन। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कर्मचारियों को नए संस्करण से अच्छी तरह रूबरू कराने का प्रशिक्षण भी दिया गया है।
उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के मंत्री ने नगालैंड में कई विकास कार्यों का उद्घाटन किया :  मंत्री ने दीमापुर में प्रशिक्षण सह परीक्षा केंद्र की आधारशिला रखी और कोहिमा, नागालैंड में राज्य मृदा और जल संरक्षण निदेशालय में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया। मंत्री ने नागालैंड के दीमापुर में थाहेखु गांव में सोविमा गांव को जोड़ने वाले एनएच-29 से सड़क चौड़ीकरण के निर्माण का भी उद्घाटन किया।
उत्तर पूर्व की संस्कृति और परंपरा का संरक्षण : भारत सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की समृद्ध और विविध परंपराओं व संस्कृति की रक्षा एवं उसे बढ़ावा देने के लिए कोलकाता (संस्कृति मंत्रालय के तहत स्वायत्त संगठन) में एक पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक (ईजेडसीसी) दीमापुर में उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनईजेडसीसी) की स्थापना की है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के पिछड़े ब्लॉकों और गांवों में केंद्रित विकास : 8 पूर्वोत्तर राज्यों के 20 जिलों में 40 पिछड़े ब्लॉकों की पहचान कर वहां केंद्रित विकास के लिए विशेष समयबद्ध कार्यक्रम शुरू होने हैं। ग्रामीणों को अच्छे जीवन के लिए समान रूप से सेवाएं देने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू करने के लिए 40 गांवों की भी पहचान की गई है।

भारत रूस मैत्री कार रैली 2021: इंटरनेशनल फ्रेंडशिप कार रैली एसोसिएशन (आईएफसीआरए) की ओर से 18 से 20 अप्रैल 2021 तक रूस में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। युवा मामले और खेल मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सहयोग से यह कार्यक्रम एमडीओएनईआर द्वारा प्रायोजित किया गया।

उत्तर पूर्व बेंत और बांस विकास परिषद (एनईसीबीडीसी) में एकीकृत बांस उपचार संयंत्र : उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री ने उत्तर पूर्व बेंत और बांस विकास परिषद (एनईसीबीडीसी) बर्नीहाट, गुवाहाटी के परिसर में नवीनतम तकनीक के साथ बांस उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया।


उत्तर पूर्व विशेष अवसंरचना विकास योजना (एनईएसआईडीएस)


01.01.2021 से अब तक पूर्वोत्‍तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (एनईएसआईडीएस) के तहत विभिन्‍न पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए 413.63 करोड़ रुपए की 30 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं, जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने और कोविड 19 के प्रकोप से निपटने के लिए 231.19 करोड़ रुपए की 17 स्‍वास्‍थ्‍य परियोजनाएं भी शामिल हैं।


एनईएसआईडीएस के तहत 01.01.2021 से स्वीकृत परियोजनाओं का क्षेत्रवार विवरण निम्नलिखित हैं

क्रम संख्याक्षेत्रपरियोजनाओं की संख्यालागत (रुपये करोड़ में)
1संयोजकता (Connectivity)270.38
2जलापूर्ति283.99
3शिक्षा928.07
4स्वास्थ्य17231.19
 कुल30413.63



01.01.2021 से एमडीओएनईआर जैसे एनईएसआईडीएस, एनएलसीपीआर राज्य एचएडीपी, एसआईडीएफ,
असम के विशेष पैकेज, (बीटीसी, डीएचएटीसी और केएएटीसी) की विभिन्न योजनाओं के तहत पूर्वोत्तर राज्यों को 841.80 करोड़ रुपये जारी किए गए।

पूर्वोत्तर परिषद

एनईसी की योजनाएं: 2021 (01.01.2021 से  30.11. 2021) के दौरान  289.38 करोड़ रुपये की लागत वाली 70 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। इस अवधि के दौरान 1257.68 करोड़ रुपये की लागत से 73 परियोजनाओं को पूरा/समापन किया गया।

उत्तर पूर्व सड़क क्षेत्र विकास योजना (एनईआरएसडीएस): 2021 के दौरान  371.50 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 7 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। हालांकि 2021 के दौरान किसी भी परियोजना का कार्य पूरा नहीं हुआ था।

30 प्रतिशत घटक: जनवरी 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर पूर्वी राज्यों में समाज के वंचित/उपेक्षित वर्गों और उभरते प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में वंचित क्षेत्रों के केंद्रित विकास के लिए मौजूदा “एनईसी की योजनाओं” के तहत नई परियोजनाओं के लिए पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के आवंटन के 30 प्रतिशत को मंजूरी दी। तदनुसार, 2021 के दौरान, एनईसी की योजनाओं के तहत 57.33 करोड़ रुपये की 21 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी।

एनईसी की कुछ पहलों का विवरण निम्नानुसार है:

• ग्रामीण आर्थिक एवं आजीविका परियोजना: एनईआरसीआरएमएस द्वारा कार्यान्वित 3.00 करोड़ रुपये की रुपये की अनुमानित लागत वाली परियोजना का लक्ष्य मणिपुर राज्य में टेबल फिश के उत्पादन के लिए मछली तालाब बनाना, बकरी पालन इकाइयों के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और टेबल फिश, ताजा मटन/बकरी के मांस आदि के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करना है।

• भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में निम्न चिलिंग सेब के बागान को बढ़ावा देना (2020-21): एनईआरसीआरएमएस द्वारा 3.07 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य मूल्य संवर्धित बागवानी फसल जैसे सेब फल का उत्पादन बढ़ाने के लिए, फलों के आयात को कम करने और मूल्य संवर्धित नकद फसल के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने के लिए निम्न चिलिंग सेब के रोपण द्वारा पारंपरिक कृषि को नकदी फसल की खेती में बदलने पर केंद्रित है। यह परियोजना मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में है।

• तामेंगलोंग जिलामणिपुर में जैविक चाय की खेती: एनईआरसीआरएमएस द्वारा कार्यान्वित 4.59 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली परियोजना का लक्ष्य पारंपरिक कृषि को नकदी फसल की खेती में बदलना है।

• मणिपुर के नोनी जिले में सतत खेती के लिए मिश्रित फसलमत्स्य पालन और पशुधन को बढ़ावा देनाएनईआरसीआरएमएस द्वारा 50.61 लाख रुपये की अनुमानित लागत वाली परियोजना का लक्ष्य फसल उत्पादन बढ़ाना, मिश्रित फसल को बढ़ावा देना और मिश्रित खेती को आगे बढ़ाना है।

• पूर्वोत्तर क्षेत्र के मेघालय में औषधीय और सुगंधित पौधों (एमएपीआधारित आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना ताकि ग्रामीण आय को बढ़ाया जा सके और एक उद्यमशील इकोसिस्टम की स्थापना के माध्यम से स्थायी आजीविका के अवसरों को बढ़ावा दिया जा सके: एनईआरसीआरएमएस द्वारा 4.85 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना का लक्ष्य मूल्य संवर्धित औषधीय तथा सुगंधित पौधों के माध्यम से कृषि / बंजर भूमि पर निर्भरता को कम करना और नकदी फसल की खेती में बदलना है।

• पूर्वोत्तर भारत में मत्स्य पालन और सुअर पालन को बढ़ावा देना: एनईआरसीआरएमएस द्वारा 4.90 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना का लक्ष्य किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सुअर पालन इकाइयों की स्थापना, टेबल फिश और ताजा सूअर के मांस का उत्पादन बढ़ाना  है। यह परियोजना असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय राज्यों में है।

• मणिपुर के इंफाल पूर्वइंफाल पश्चिमथौबल और बिष्णुपुर जिलों में सुअर पालन मूल्य श्रृंखला की स्थापना: एनईआरसीआरएमएस द्वारा कार्यान्वित 4.72 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना का लक्ष्य सुअर पालन के लिए चारे की मांग को पूरा करने के लिए पशु चारा उत्पादन और पैकेजिंग इकाई स्थापित करना है।

• असममणिपुर और मेघालय में मधुमक्खी पालन विकासएनईआरसीआरएमएस द्वारा कार्यान्वित 4.99 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना का लक्ष्य असम, मणिपुर और मेघालय में मधुमक्खी पालन इकाइयों को विकसित करना है।               

उत्तर पूर्वी राज्य सड़क निवेश कार्यक्रम (एनईएसआरआईपी): इस योजना में 6 उत्तर पूर्वी राज्यों – असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा में दो चरणों में कुल लगभग 433.225 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण / उन्नयन की परिकल्पना की गई थी। वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक कुल 224.25 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाएं (ईएपी): बाहरी सहायता प्राप्त परियोजना बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, आजीविका, आदि जैसे क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न बाहरी एजेंसियों से धन और तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आवश्यक है। वर्ष 2021-22 के दौरान उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए कुल 27 परियोजनाओं के लिए 37,690.16 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है।

आईटी पहलपूर्वोत्तर क्षेत्र में विभिन्न विकास योजनाओं के लिए योजना तैयार करने, निष्पादन तथा निगरानी में सहायता के लिए मंत्रालय में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को सशक्त किया गया है। इसके अलावा, विभिन्न अन्य मंत्रालयों द्वारा एनईआर क्षेत्र में कार्यान्वित विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं की निगरानी के लिए आईसीटी का उपयोग किया गया है। एनईसी, एनईडीएफआई, एनईआरएएमएसी, एनईएचएचडीसी आदि विभिन्न संगठनों को भी सहायता प्रदान की गई है। अब तक की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

• उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय की वेबसाइट यानी https://mdoner.gov.in को मंत्रालय तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के बारे में अतिरिक्त जानकारी के साथ नया रूप दिया गया है

• एनएलसीपीआर (नॉन लैप्सेबल सेंट्रल पूल ऑफ रिसोर्सेज) के लिए https://nlcpr.mdoner.gov.in और  एनईएसआईडीएस (पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना) के लिए https:/ nesids.mdoner.gov.in  जैसे समर्पित परियोजना पोर्टलों को नया रूप दिया गया है और एनएलसीपीआर, एसआईडीएफ, बीटीसी (बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल), केएएटीसी (कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस टेरिटोरियल काउंसिल), डीएचएटीसी (दीमा हसाओ ऑटोनॉमस टेरिटोरियल काउंसिल) आदि जैसी शेष छोटी योजनाओं को ऑन-बोर्ड किया गया है।

• उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय के ‘प्रयास डैशबोर्ड पोर्टल’ पर विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र में कार्यान्वित 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक लागत वाली बड़ी बुनियादी ढांचे और सामाजिक परियोजनाओं को रखा है।

• पूर्वोत्तर परिषद की योजनाओं का डैशबोर्ड विकसित किया गया है और उसे https://data.mdoner.gov.in/ पर प्रकाशित किया गया है।

• कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए आंतरिक और बाहरी दोनों उद्देश्यों के लिए वीसी सिस्टम और वेब-रूम सत्रों का गहन उपयोग किया गया है।

सोशल मीडिया पहल: मंत्रालय और उसके संगठनों की प्रमुख उपलब्धियों को दैनिक आधार पर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से क्रिएटिव, समाचार आइटम और कहानियों के माध्यम से दैनिक आधार पर कवर किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, मंत्रालय के कार्यक्रमों/योजनाओं की पहुंच में काफी वृद्धि हुई है।

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