केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज कोविड-19 के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों और राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण अभियान की प्रगति की समीक्षा करने के लिए वर्चुअल तरीके से राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों तथा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों/अपर मुख्य सचिवों के साथ परस्पर बातचीत की। यह बैठक ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते मामलों और हाल ही में 15-18 वर्ष आयु वर्ग के लिए टीकाकरण शुरू करने और चिह्नित निर्बल वर्गों के लिए एहतियाती खुराक को ध्यान में रखते हुए आयोजित की गई थी। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने की।
बैठक में शामिल होने वाले राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों में श्री एस पांगन्यू फोम (नगालैंड), श्री एनके दास (ओडिशा), डॉ. प्रभुराम चौधरी (मध्य प्रदेश), श्री मा सुब्रमण्यम (तमिलनाडु), श्री केशब महंत (असम), श्री अनिल विज (हरियाणा), श्री सत्येंद्र जैन (दिल्ली), श्री आलो लिबांग (अरुणाचल प्रदेश), श्री बन्ना गुप्ता (झारखंड), श्री मंगल पांडे (बिहार), श्री टी.एस. सिंह देव (छत्तीसगढ़), सुश्री चंद्रिमा भट्टाचार्जी, स्वास्थ्य राज्य मंत्री (पश्चिम बंगाल) और अन्य शामिल थे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आरम्भ में ही कहा कि विश्व स्तर पर, देश अपने पहले के शीर्ष मामलों की तुलना में कोविड-19 मामलों में 3 से 4 गुना वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट के अत्यधिक तेजी से फैलने के कारण, कोविड मामलों में तेज वृद्धि चिकित्सा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है। इसलिए उन्होंने राज्यों को तेज वृद्धि को प्रबंधित करने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ने की सलाह दी, जिससे कि भारत कोविड-19 के इस प्रकोप से सुरक्षित रह सके।
डॉ. मांडविया ने कहा कि कोविड का चाहे कोई भी वैरिएंट हो, तैयारी और सुरक्षा के उपाय समान ही बने रहेंगे। उन्होंने राज्यों से जमीनी स्तर पर काम करने और निगरानी और नियंत्रण तंत्र को मजबूत करने के लिए अपनी टीमों को फिर से सक्रिय करने का आग्रह किया। इसके बाद अस्पताल के बुनियादी ढांचे में सुधार; जांच में तेजी; संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए कड़े प्रतिबंधात्मक उपाय और आम लोगों के बीच कोविड उपयुक्त व्यवहार पर जोर सहित कोविड प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक और विस्तृत चर्चा हुई। चिकित्सा अवसंरचना में बड़ी बाधाओं पर भी चर्चा की गई।
महामारी के विरूद्ध लड़ाई और साथ ही लोगों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए राज्य प्रशासन द्वारा दिखाए गए समर्पण और धैर्य की सराहना करते हुए, डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “हमने पहले भी कोविड के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई लड़ी है और इस सीख का उपयोग –ओमिक्रॉन वैरिएंट के विरूद्ध पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाना चाहिए।” उन्होंने वर्तमान तेजी को रोकने के लिए रोकथाम उपायों पर नए सिरे से और सख्त ध्यान देने के साथ-साथ कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की निरंतर आवश्यकता पर जोर दिया।
टीकाकरण अभियान को रेखांकित करते हुए, मंत्री ने कहा, “हमें 15 से 18 आयु वर्ग के टीकाकरण तथा पात्र लाभार्थियों के लिए एहतियाती खुराक के संबंध में योजना बनाने पर ध्यान देना चाहिए”। डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से टीका लगाया जाए, क्योंकि वे निर्बल वर्गों से संबंधित हैं।
सभी पात्र वयस्कों के लिए पहली खुराक के टीकाकरण के 90 प्रतिशत कवरेज के राष्ट्रीय औसत को अर्जित करने में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों की सराहना करते हुए, उन्होंने उन राज्यों से, जिनकी टीकाकरण की प्रगति राष्ट्रीय औसत से कम है, अपने टीकाकरण अभियान को तेज करने का आग्रह किया। राज्यों को यह भी सलाह दी गई कि वे औसत राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज के समकक्ष आने और उससे आगे निकलने के लिए साप्ताहिक योजना तैयार करें और सचिव/ स्वास्थ्य एसीएस के स्तर पर दैनिक आधार पर इस योजना के कार्यान्वयन (पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मणिपुर के 5 चुनावी राज्यों में विशेष जोर देते हुए) की समीक्षा करें।
नए टीकाकरण दिशानिर्देशों के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी गई थी कि वे 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग के टीकाकरण के लिए टीका लगाने वालों और टीकाकरण दल के सदस्यों का अनुकूलन सुनिश्चित करें और 15 से 18 वर्ष आयु समूह के टीकाकरण के लिए समर्पित सत्र स्थलों की पहचान करें। टीका लगाए जाने के दौरान टीकों के मिश्रण से बचने के लिए, अलग सीवीसी, अलग सत्र स्थल, अलग कतार (यदि उसी सत्र में जहां वयस्क टीकाकरण चल रहा है) और अलग टीकाकरण टीम (यदि एक ही सत्र स्थल पर टीके लगाए जा रहे हैं) के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को भी को-विन का उपयोग करने के द्वारा लाभार्थियों के जिलेवार आकलन के माध्यम से टीकों की खुराक की अपनी आवश्यकता को साझा करने की सलाह दी गई थी। उन्हें अग्रिम रूप से ही चिह्नित सत्र स्थलों पर कोवैक्सिन के वितरण की योजना बनाने तथा पर्याप्त उपस्थिति उपलब्ध कराने के लिए कम से कम 15 दिनों तक सत्रों को प्रकाशित करने का आग्रह किया गया।
डॉ. मनसुख मांडविया ने यह भी बताया कि देश में अवसंरचना के विकास और टीका उत्पादन को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से अपने सर्वश्रेष्ठ प्रचलनों को साझा करने का अनुरोध किया ताकि पूरे देश को लाभ हो सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का ध्यान इस तथ्य की ओर दिलाया कि सामूहिक रूप से, उन्होंने आपातकालीन कोविड प्रतिक्रिया पैकेज (ईसीआरपी-II) के तहत उपलब्ध स्वीकृत फंड के केवल 17 प्रतिशत से अधिक का ही उपयोग किया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आईसीयू बेड, ऑक्सीजन बेड, पीडियाट्रिक आईसीयू/एचडीयू बेड आदि के मामले में ईसीआरपी-II के तहत व्यावहारिक प्रगति में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया गया। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से मानव संसाधनों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, एम्बुलेंस की समय पर उपलब्धता, संस्थागत रूप से क्वारंटिन करने के लिए कोविड सुविधाओं को प्रचालित करने के लिए राज्यों की तैयारी और होम आइसोलेशन में रहने वालों के लिए प्रभावी और निगरानीपूर्ण निरीक्षण सहित टेली-मेडिसिन और दूरस्थ परामर्श के लिए आईटी टूल्स का प्रभावी उपयोग करने का भी आग्रह किया गया। इसके साथ-साथ उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से ईसीआरपी-II के तहत स्वीकृत फंड का बेहतर उपयोग करने का भी आग्रह किया और इस संबंध में सुझावों को आमंत्रित किया।
अपर सचिव और एनएचएम के एमडी श्री विकास शील ने विस्तृत प्रस्तुति के माध्यम से अवसंरचना के विकास तथा राज्यों द्वारा ईसीआरपी-II फंड के उपयोग की स्थिति पर चर्चा की। अपर सचिव (स्वास्थ्य) डॉ. मनोहर अगनानी ने देश में टीकाकरण की स्थिति पर अपडेट प्रस्तुत किया। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल ने राज्यों में कोविड के प्रसार का एक बारीक विश्लेषण प्रस्तुत किया और कोविड मामलों में हाल में आई तेजी से निपटने के लिए जांच, निगरानी और नियंत्रण तंत्र में तेजी लाने का सुझाव दिया। प्रधान सचिव (स्वास्थ्य), अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) और संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य निगरानी अधिकारियों ने चिंता के बिंदुओं पर चर्चा करते हुए अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव प्रस्तुत किए।
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