ओडिशा की सफलता की कहानी
कई दशकों से ओडिशा के गजपति जिला स्थित मधुराम्बा गांव के लोगों को जल संकट की स्थिति का सामना करना पड़ा है, जो गर्मियों के दिनों में गंभीर हो जाती थी। इस गांव में रहने वाले लोगों ने 2018 तक पेयजल की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर दिन संघर्ष किया है। आस-पास के इलाकों में जल की कमी ने उनके लिए जीवन कठिन बना दिया था। गांव के चार चापाकल (हैंडपंप) से सभी ग्रामीणों की जल की जरूरत की पूरी होती थी। गर्मी के मौसम में भू-जल के स्तर में गिरावट के चलते स्थिति गंभीर हो जाती थी, क्योंकि चापाकल के जरिए जल उपलब्ध नहीं हो पाता था और लोगों को जल की खोज में लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ता था।
अगस्त, 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत के साथ मधुराम्बा गांव के लोगों को आशा की एक किरण दिखाई दी। एक नागरिक समाज संगठन- ग्राम विकास ने इस अवसर का लाभ उठाया और इस कठिन चुनौती को खत्म करने के लिए संभावित समाधान के साथ समुदाय के साथ बातचीत की। यह संगठन इस क्षेत्र में पहले से काम कर रहा था। गांव में भागीदारी तय करने वाली एक बैठक का आयोजन किया गया। इसमें लोगों को केंद्र सरकार के ‘हर जल घर’ कार्यक्रम की जानकारी दी गई, जिसका लक्ष्य 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल के जल का कनेक्शन पहुंचाना है। ग्रामीणों को इस बात की जानकारी दी गई कि अगर वे इस कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर इच्छुक हैं, तो गांव के हर परिवार को नल के जल का कनेक्शन मिल सकता है। इसके बाद लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों के सहयोग से ग्राम कार्य योजना को तैयार करने के साथ ग्राम सभा में इस योजना को मंजूरी दी गई और इस पर विचार करने और कार्यान्वयन के लिए इसे जिला प्रशासन के पास जमा किया गया।
यह समुदाय इस मिशन का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक था और उसने अपने घरों में तीन नल कनेक्शन लगाने का अनुरोध किया। यह न केवल ‘जीवन की सुगमता’ प्रदान करने वाला था, बल्कि विशेष रूप से महिलाओं और युवा लड़कियों के कठिन परिश्रम को भी समाप्त करने वाला था, जिन पर परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए जल इकट्ठा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी थी। कई अवसरों पर युवा लड़कियों ने अपनी मां को जल लाने में सहायता करने के लिए विद्यालय जाना छोड़ दिया। वहीं, उनकी मां पर न केवल परिवार के बुजुर्ग सदस्यों बल्कि पशुओं की भी देखभाल करने की जिम्मेदारी थी। तीन नल कनेक्शन के लिए अनुरोध रसोई में पीने व खाना पकाने के लिए, स्नानघर में नहाने व कपड़े धोने के लिए और तीसरा शौचालय में उपयोग के लिए किया गया था।
नल के जल की आसान उपलब्धता के चलते जनता पानी की बर्बादी न करें, यह सुनिश्चित करने के लिए हर घर में जल के मीटर लगाए गए। जल की खपत के आधार पर उपभोक्ताओं से शुल्क लिए गए। लोगों से कहा गया कि अगर वे नल को खुला छोड़ते हैं और बिना उपयोग के जल बह रहा है तो उन्हें अधिक शुल्क का भुगतान करना होगा। इस तरह जल मीटर ने एक संरक्षक के रूप में काम किया। जनता के मस्तिष्क में जल के विवेकपूर्ण उपयोग की भावना उत्पन्न की गई। ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) मीटर रीडिंग करती है क्योंकि उसे उपभोक्ताओं को बिल जारी कर उनसे शुल्क प्राप्त करना होता है।
जब से गांव में नल के जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, उस समय से वीडब्ल्यूएससी सुचारू रूप से अपने कर्तव्यों को पूरा कर रहा है। वीडब्ल्यूएससी सदस्यों द्वारा समुदाय से जमा किए गए उपभोक्ता शुल्क को इस योजना के तहत बनाई गई जलापूर्ति संरचना के संचालन व रखरखाव के एकमात्र उद्देश्य के लिए खोले गए भारतीय स्टेट बैंक के खाते में जमा किया जाता है।
श्री मंडल ने कहा, “हम ओवरहेड टैंक में जल पहुंचाने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं। परिवारों से एकत्रित उपभोक्ता शुल्क का उपयोग नियमित स्वच्छता के साथ-साथ जल आपूर्ति संरचनाओं के रखरखाव, ओवरहेड टैंक के क्लोरीनीकरण, फील्ड टेस्ट किट की खरीद और रखरखाव के साथ-साथ जरूरत होने पर जल आपूर्ति संरचनाओं की मरम्मत के लिए किया जाता है।”
यह समुदाय अपनी पंचायत को ‘जल प्रबुद्ध गांव’ बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए उसने एक धूसर जल प्रबंधन योजना विकसित की है। इसके तहत रसोई और नहाने के क्षेत्र से निकलने वाला जल किचन गार्डन की ओर बहता है, जो बदले में भूजल के स्तर को ऊपर उठाने में सहायता करता है। पिछले कुछ वर्षों में इस गांव ने पूरी तरह से बदलाव देखा है, यह जो कुछ साल पहले था और अब जो उसने प्राप्त किया है। यह न केवल ग्रामीणों को बुनियादी जरूरतें प्रदान करता है, बल्कि साथ ही साथ लोगों को रोजगार के जरिए आजीविका के अवसर प्रदान करके और नए कौशल सीखने के लिए समय देकर प्रवास के समाधान में सहायता करता है।
जल जीवन मिशन,
वास्तव में जीवन बदल रहा है।
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