भारत सरकार के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत उत्तर-पूर्वी परिषद (एनईसी) के अंतर्गत एक पंजीकृत सोसायटी एनईआरसीओआरएमपी (उत्तर पूर्वी क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन परियोजना) ने महिलाओं को स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने की राह तैयार की है।
28 वर्षीय श्रीमती ववाह ने प्राप्त अनुदान की सहायता से अपने सूअर पालन के काम का सफलतापूर्वक विस्तार किया है। इस परियोजना की अवधि के दौरान उनके पास सूअरों की संख्या 5 से बढ़कर 30 हो गई। श्रीमती ववाह दो बच्चों की मां और एक लकड़ी व्यापारी श्री सेखोगिन बाइते की पत्नी हैं। उन्होंने इन सूअरों की बिक्री से प्राप्त आय का उपयोग अपने घर के निर्माण के लिए जीआई शीट और अन्य सामग्री खरीदने, सूअरबाड़ा के विस्तार, कपड़े, सूअर के चारे और अन्य दैनिक घरेलू जरूरतों के लिए किया है। इसके अलावा उन्होंने युवा सूअरों की भी खरीदारी की है, जिससे उनके पास सूअरों की कुल संख्या 35 हो गई है। इनमें दो प्रजनन करने वाले सूअर, 18 मोटे सूअर और 15 युवा सूअर हैं।
श्रीमती ववाह 5 युवा सूअर के साथ अपना स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए इस परियोजना से प्राप्त वित्तीय सहायता और अपने पति व ससुर से मिली अतिरिक्त मदद से खुश थीं। उन्होंने अपने सूअरों को समूहवार हर सात महीने के समय अंतराल पर 14,000/- रुपये प्रति सूअर (औसत) की दर से बेचा। वे अब तक 30 सूअर बेच चुकी हैं। उन्होंने सूअरों के टीकाकरण पर ज्ञान बढ़ाने की आवश्यकता के बारे में बात की, विशेष अगर किसी को सुअर पालन को आगे बढ़ाने की जरूरत है। श्रीमती ववाह ने कहा, “बाजार अच्छा है और सूअरों की मांग भी अधिक है। मेरी इच्छा अगले दो वर्षों में सूअरों की संख्या 50-60 तक बढ़ाने की है।
वे प्रसन्न थीं और गर्व के साथ बोलीं, “सुअर पालन से प्राप्त अपनी कमाई से मेरे पास सोने की चेन (माला) है।” ऐसा बताते समय उनके चेहरे पर संतुष्टि से भरी हुई मुस्कान थी।
उन्होंने आगे अपना आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह अवसर प्रदान करने के लिए मैं एनईआरसीओएमपी चंदेल, महिला और बालिका केंद्र व विशेष रूप से मेरे गांव के एनएआरएमजी नेताओं के प्रति आभारी हूं। अब चूंकि मेरे पास अपनी आय का स्रोत है, इसलिए मैं अधिक सुरक्षित व स्वतंत्र महसूस करती हूं। मुझे अब हर तरह के खर्च के लिए अपने पति पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।”
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