चालू वित्तीय वर्ष में अब तक लगभग 20 राज्यों ने योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी रुचि दिखाई है

दैनिक समाचार

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने जून, 2021 में राज्य सरकारों को अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति देने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया था। इसके लिए विद्युत क्षेत्र में विशिष्ट सुधार करने और इसे बनाए रखने की शर्त लगाई गई है। विद्युत मंत्रालय की इस योजना के कार्यान्वयन लिए आरईसी लिमिटेड नोडल एजेंसी के रूप में काम कर रही है।

विद्युत क्षेत्र के सुधारों के लिए स्वीकृत अतिरिक्त उधार सीमा संबंधित राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 0.5 फीसदी है। यह योजना के मौजूदा स्वरूप का पहला वर्ष है। इसे देखते हुए सुधारों व कार्यों की जरूरतों को सरल रखा गया है, आने वाले वर्षों के लिए सीमा तय किए गए हैं और राज्यों को उच्च स्तरीय सुधारों की ओर बढ़ाया जा रहा है। इस योजना के तहत राज्य सुधारों के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं और ~80,000 करोड़ रुपये की बढ़ी हुई उधारी प्राप्त करने के पात्र हो सकते हैं। यह योजना सुधारों के लिए प्रतिबद्ध राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण अपनाती है और इसके बदले बढ़े हुए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता का लाभ उठाती है।

चालू वित्तीय वर्ष में अब तक लगभग 20 राज्यों ने योजना के तहत लाभ लेने में अपनी रुचि दिखाई है। विद्युत मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर वित्त मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी और राज्य ने पहले ही 2100 करोड़ रुपये से अधिक की उधारी ले ली है, जिससे आंशिक रूप से इस तरह के अतिरिक्त उधार ली हुई राशि का उपयोग किया जा सके। वहीं, मणिपुर और राजस्थान के प्रस्ताव भी वित्त मंत्रालय सक्रिय रूप से विचार कर रहा है। दोनों राज्य विद्युत क्षेत्र में अपने किए गए सुधारों के आधार पर 0.50 फीसदी बढ़ी हुई उधारी की अधिकतम सीमा प्राप्त करने के पात्र हो सकते हैं। इनके अलावा बाकी राज्य भी अपना प्रस्ताव जमा कर रहे हैं।

यह उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी इस योजना का थोड़े अलग रूप में लागू किया गया था। इसने 24 राज्यों लाभान्वित होने और 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त उधार सीमा प्राप्त करने में सक्षम हुए। इस तरह की योजना को शुरू करने से मिली सीख और राज्यों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर राज्यों को अपने विद्युत क्षेत्र में वृद्धिशील सुधार जरूरतों को पूरा करने के लिए इस साल ढांचे को संशोधित किया गया। इस योजना में कई प्रावधान संशोधित वितरण क्षेत्र योजना की तरह हैं, जो विद्युत मंत्रालय की एक सुधार आधारित और परिणामोन्मुखी योजना है। इन दोनों योजनाओं की समानताओं में वार्षिक लेखों का समय पर प्रकाशन, टैरिफ याचिका दाखिल करना, टैरिफ आदेश जारी करना, यूनिट-वार सब्सिडी लेखांकन, ऊर्जा खातों का प्रकाशन और नवीन तकनीकों को अपनाना आदि शामिल हैं। ये दोनों योजनाएं राज्यों को अतिरिक्त राशि से लाभ उठाने का अवसर देती हैं, जो आधारभूत सुधारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के साथ-साथ संबंधित परिणामों को प्रदर्शित करने में सक्षम होने के आधार पर उपलब्ध होती है।

वर्तमान में केंद्रीय योजनाओं जैसे कि दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस) और सौभाग्य के तहत पहले से ही बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है। इसके अलावा सभी इच्छुक परिवारों में विद्युत आपूर्ति प्रदान करने के लक्ष्य को पूरा करने के बाद भारत सरकार सभी उपभोक्ताओं को चौबीसों घंटे, गुणवत्ता, विश्वसनीय और सस्ती विद्युत उपलब्ध कराने के उद्देश्य के साथ-साथ क्षेत्र के परिचालन को अधिक मजबूत करने, कुशल और टिकाऊ बनाने की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। इस तरह केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत वित्त पोषण को अब उन सुधारों से जोड़ दिया दिया गया है, जिसे कोई भी राज्य करने के लिए तैयार है और इन सुधारों को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए प्रगतिशील राज्य सरकारों को संबंधित वित्तीय सहायता प्रदान किया जाता है।

*******

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *