नई और उभरती प्रौद्योगिकियां राष्ट्रीय अंतर्विषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों (एनएम – आईसीपीएस) मिशन के माध्यम से देश भर में स्थित 25 नवाचार केंद्रों में विकसित की जा रही जन-केंद्रित समस्याओं के समाधान की सहायता से प्रमुख क्षेत्रों में राष्ट्रीय पहलों को शक्ति प्रदान कर रही हैं।
मिशन के तहत स्थापित कई प्रौद्योगिकियों और प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों से कई क्षेत्रों में अपने प्रभाव को बढ़ाने में सहायता मिली है। उनमें से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र स्वास्थ्य रहा है जिस पर कोविड महामारी के दौरान ध्यान केंद्रित किया गया।
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बंगलुरु में कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी पार्क (एआरटीपीएआरके) ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-संचालित प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया, जिसने कोविड-19 संक्रमण के तेजी से प्रसार के समय व्हाट्सएप पर भेजी गई छाती के (चेस्ट) एक्स-रे छवियों की व्याख्या में शुरूआती हस्तक्षेप के माध्यम से उन चिकित्सकों की सहायता की जिनके पास एक्स-रे मशीनों तक पहुंच की सुविधा किसी कारणवश नहीं थी। एक्स–रे सेतु नामक यह समाधान त्वरित और उपयोग में आसान है और ग्रामीण क्षेत्रों में पता लगाने की सुविधा के लिए मोबाइल के माध्यम से भेजे गए कम-रिज़ॉल्यूशन छवियों के साथ भी काम कर सकता है। मशीन शिक्षा (लर्निंग) एल्गोरिदम का उपयोग करते हुए, यह फेफड़ों में संदिग्ध असामान्य क्षेत्रों को दिखाते हुए रोगियों की एक रिपोर्ट तैयार करता है और यह पता लगाता है कि क्या उपचार के लिए सामने आया व्यक्ति कोविड , निमोनिया अथवा फेफड़ों की अन्य असामान्यताओं से पीड़ित/संक्रमित है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के वैज्ञानिकों की एक टीम ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर में प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र (टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब- टीआईएच) द्वारा समर्थित एक प्रयास, कोविड-19 की उपचारात्मक कार्रवाई, ज्ञान मथन (स्किमिंग) , और कोविड-19 (रक्षक-आरएकेएसएचएके) के समग्र विश्लेषण के तहत कोविड-19 की जांच के लिए एक टेपेस्ट्री विधि विकसित की है। टेपेस्ट्री पद्धति को एक्स-प्राइज़ द्वारा एक ओपन इनोवेशन ट्रैक में शॉर्टलिस्ट किया गया है। आरएकेएसएचएके के प्रयास से एक नई चेस्ट एक्स-रे आधारित कोविड निदान प्रणाली (जोकि अभी भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद – आईसीएमआर की सत्यापन प्रक्रिया में चल रहा है), भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कोविड मामलों के लिए खुला डेटा – सीओवीबीएएसई (छायांकन – इमेजिंग, नैदानिक मापदंड, अनुदैर्ध्य (लॉन्गीट्यूडनल) डेटा और व्याख्या (एनोटेशन), कैंपस रक्षक – कैंपस सुरक्षा के लिए एक निर्णयकारी ढांचा – कैंपस रक्षक – का विकास हुआ है ।
एंबीटैग-एएमबीआईटीएजी, अपनी तरह का पहला इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरण है जो टीकों के परिवहन के दौरान आसपास के उस परिवेश के तापमान की निगरानी करता है जिसमें कोविड-19, दवाएं, रक्त के नमूने, भोजन और डेयरी उत्पाद, मांस उत्पाद और पशु वीर्य शामिल हैं। इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ के प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र (टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब) एडब्ल्यूएडीएच और इसके स्टार्टअप स्क्रैचनेस्ट – एससीआरएटीसीएचएनईएसटी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है। अभी तक भारत द्वारा ऐसे उपकरणों का आयात ही किया जा रहा था। संस्थान एंबीटैग के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार हो रहा है। इस उपकरण को कोविड-19 वैक्सीन परिवहन में शामिल सभी कंपनियों को उत्पादन सुविधाओं से लेकर देश के प्रत्येक क्षेत्र में हर नागरिक तक टीकाकरण केंद्रों को ₹400 की उत्पादन लागत पर उपलब्ध कराया जाएगा।
इंडियन स्पेस टेक्नोलॉजीज एंड एप्लीकेशन कंसोर्टियम डिज़ाइन ब्यूरो – आई – एसटीएसी के तहत गहन प्रौद्योगिकी तथा अभियांत्रिकी क्षेत्र (ड़ीप टेक एंड इंजीनियरिंग डोमेन) में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटीएम) प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन द्वारा पांच अन्य उद्यमशीलता स्टार्ट-अप कंपनियों द्वारा शुरू किया गया एक कंसोर्टियम मिशन स्थापित किया गया है। यह उपग्रहों की तेजी से प्रक्षेपण (लॉन्च क्षमता), सेंसर, भविष्य की पीढ़ी के संचार जैसे 6जी , उपग्रह डेटा और इसके अनुप्रयोगों सहित अंतरिक्ष तक मांग-आधारित (ऑन-डिमांड) पहुंच से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के लिए एक समग्र (एंड- टू एंड) आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा।
स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, रणनीतिक सह सुरक्षा तथा उद्योग 4.0 में तकनीकी समाधान को बढ़ावा देने वाला यह नई और उभरती प्रौद्योगिकियां राष्ट्रीय अंतर्विषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों (एनएम – आईसीपीएस) मिशन शीर्ष शैक्षणिक क्षेत्रों में स्थापित 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केन्द्रों (टीआईएच) के माध्यम से लागू किया जा रहा हैI इसे दिसंबर 2018 में कुल 3660 करोड़ रुपये की लागत से केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के लिए अनुमोदित किया गया था। यह सभी केंद्र जन-केंद्रित समस्याओं के समाधान विकसित करने पर काम कर रहे हैं।
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