शांतिदूत और अहिंसा के पुजारी

दैनिक समाचार

-मुनेश त्यागी

मोहनदास करमचंद गांधी भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और नेताओं में एक प्रमुख स्थान रखते हैं. गांधी जी ने दुनिया भर में अपनी मौजूदगी दर्ज करायी है. उनके अधिकांश विचार कमाल के थे और उनकी उपयोगिता आज भी कायम है.
गांधीजी का दृढ मत था कि मेरे साथ रहने वालों को फर्श पर सोना होगा, साधारण कपडे पहनने होंगे, सुबह उठना होगा, साधारण खाने पर जिंदा रहना होगा और अपना टोयलेट खुद साफ करना होगा. मैं बापू के इन मंत्रों से आज भी प्रभावित हूँ. उनका मानना था कि हमारा प्रत्येक क्षण मानव सेवा में खर्च होना चाहिए.
गांधी के मंत्र कमाल के थे. वे आज भी उतने ही प्रासंगिक और कारगर बने हुए हैं जैसे अहिंसा, सविनय अवग्या, सत्याग्रह और असहयोग. उनके द्वारा विकसित हथियार कमाल के हैं जैसे हडताल, बहिष्कार भूख हड़ताल, सविनय बगावत, असहयोग, करो या मरो.
गांधी जी को “महात्मा” की उपाधि ठा रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी और उनको भिकारी के वेष में महान आत्मा बताया था. गांधी की देन भी काफी हैं. वे खुले खेतों में शौच की जगह टोयलेट के हामी थे ,स्वास्थ्य, सफाई ,शिक्षा ,हिंदु मुस्लिम एकता पर अमल के हामी थे गांधी जी. चर्चिल ने गांधी जी को आधा नंगा फकीर कहा था और आहवान किया था कि गांधी और उसके वाद को कुचल दो.
बापू अपने जीवन में 2338 दिन जेलों में रहे. 249 दिन दक्षिणीअफ्रीका में और 2089 दिन भारत की जेलों में बिताये. उनका कहना था कि अपने प्यार का मल्हम भारत के घावों पर लगाओ. आंदोलन के दौरान बापू ने 6 हफ्तों तक मौन व्रत धारण किया.
माउंटबैटन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि हमने उसे जेल भेजा, हमने उसका अपमान किया, हमने उससे नफरत की, हमने उसे हिकारत की नजरों से देखा और हमने उसे अनदेखा किया. मगर गांधी तो गांधी थे, वे अपने आदर्शों से विचलित नही हुए.
गांधी जी का मानना था कि आवश्यक चीजों और जरूरतों का न्यायपूर्ण वितरण होना चाहिए. सामाजिक और आर्थिक असमानता नफ़रत और हिंसा पैदा करती है. उनका अपने राजनैतिक शिष्यों को कहना था कि सत्ता से सावधान रहो, सत्ता भ्रष्ट कर देती है, याद रखना कि तुम गांव के गरीबों की सेवा करने के लिए सत्ता में हो.
गांधी ने अपने जीवन में 16 बार भूखहडतालें कीं गांधी हिंदु मुस्लिम एकता के सच्चे समर्थक थे. गांधी जी के देखकर भाईचारे और मुहब्बत की लहरें चलती थीं. उनका मानना था कि हिंसा और नफरत किसी समस्या का समाधान नही कर सकते हैं. हम सभी हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भारत माता के बेटे बेटियां हैं.
बापू महिला समानता के सबसे बड़े पैरोकार थे उनका कहना था कि जब तक मानवता का पचास प्रतिशत हिस्सा यानि औरतें आजाद नही होतीं, तब तक भारत आजाद नही हो सकता. उनका मानना था कि बिना श्रम की रोटी चोरी की रोटी है. सत्य, अहिंसा ,सदाचार ,प्रेम और भाईचारा उनके सिध्दांत थे. वे कहते थे कि हम अलगअलग रह सकते हैं मगर हम एक ही वृक्ष की पत्तियां हैं.
गांधी जी हमारे देश के बहुत बडे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. 30 जनवरी 1948 को सायं 5 बजकर 17 मि पर एक हत्यारे साम्प्रदायिक नाथूराम गोडसे ने प्रार्थना के लिए जाते निहत्थे शांतिदूत और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी यानि बापू यानि रास्ट्रपिता की बेदर्दी से हत्या कर डाली.
गांधी जी एक ऐसे भारत के ख्वाब देखते थे कि जहां कोई गरीब न हो, कोई अमीर न हो, सब तरह की हिंसा का खात्मा हो, सब जगह आजादी की बयार बहे,सबको रोटी .कपडा .मकान .शिक्षा .स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जावे, प्राकृतिक संसाधनों पर सबका अधिकार हो और इनका प्रयोग सबके विकास और समृद्धि के लिए किया जाये.
भारतीयता और हिंदुस्तानियत बापू के अंदर कूट कूट कर भरी हुई थी. वे कहते हैं कि “आजाद भारत में हिंदुओं का नही हिंदुस्तानियों का राज्य होगा. हिंदू मुस्लिम एकता से ही सच्चा स्वराज्य आयेगा. हम हिंदू मुस्लिम नही भारतीय यानि हिंदुस्तानी हैं. मैं अपने खून की कीमत पर भी हिंदू मुस्लिम एकता की रक्षा करूंगा. मैं हिंदू नही हिंदुस्तानी हूं. “
सच में यह गांधी के सपनों का हिंदुस्तान नही है. यहां जातिवाद साम्प्रदायिकता छल कपट और झूठ, भाईभतीजावाद, बेईमानी, भ्रष्टाचार,खुदगर्जी ,शोषण, अन्याय, भेदभाव और गैरबराबरी, व धर्मांधताओं की विकृतियां उग आयी हैं और हम इनके गुलाम हो गये हैं, और आज फिर जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली मानसिकता सिर उठा रही है. आदमी के बीच दूरियां बढी हैं. यह देश बनाते बनाते और बिगडता जा रहा है.
गांधी राजनीति में धर्म का इस्तेमाल करने के विरोधी थे, वे एक धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे, मगर वे कहीं से भी साम्प्रदायिक नही थे. वे साम्प्रदायिकता के सबसे बड़े दुश्मन थे.
हालांकि गांधी के दर्शन से पूरी पूरी सहमत नही हुआ जा सकता. वे सनातन धर्म और वर्णों के बने रहने में विश्वास करते थे. वे दुनिया के आधुनिकतम विचारों के प्रतिनिधि नही थे. वे समाजवादी व्यवस्था और विचारधारा में विश्वास नही रखते थे. वे समाजवाद को “लाल तबाही” कहा करते थे. वे पूंजिपतियों को धन दौलत का ट्रस्टी मानते थे.
फिर भी गांधी एक महान आत्मा थे. उनकी कथनी और करनी में बहुत फ़र्क नही था, जो कहते वही करते थे. उन्होंने अपने व्यक्तित्व से देश और दुनिया के करोडों लोगों को प्रभावित किया था. वे एक अमर व्यक्तित्व के मालिक आज भी बने हुए हैं.
वर्तमान समय में हमारी सरकार और उसके संगठन, गांधी की विचारधारा पर हमले कर रहे हैं, उनकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। गांधी को गालियां दी जा रही हैं, गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन किया जा रहा है। गांधी के समावेशी चिंतन पर हमला जारी है। ये हमलावर हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक लोग हैं और वे भारत के संविधान, जनतंत्र, गणतंत्र, आजादी और अल्पसंख्यकों पर हमले कर रहे हैं। इनके हमलावर तेवरों से हमारे देश की एकता अखंडता को गंभीर खतरे पैदा हो गए हैं ऐसे में हमें गांधी की विचारधारा को बचाना है जनता के सामने उनकी प्रासंगिकता को स्पष्ट करना है साबित करना है और जनता जनता को बताना होगा कि इस देश की रक्षा, इस देश के किसानों नौजवानों महिलाओं आजादी गणतंत्र जनतंत्र संविधान धर्मनिरपेक्ष की रक्षा, गांधी की विचारधारा और उनके मूल्यों से की जा सकती है गोडसे और हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता के विचारों से नही।
ऐसे में लेखकों गायकों, कवियों, कहानीकारों निबंधकारों, साहित्यकारों, मीडियाकर्मियों और सांस्कृतिकर्मियों का दायित्व और बढ़ जाता है। उन्हें गांधी के विचारों की प्रासंगिकता को बचाव के अभियान में अग्रणी भूमिका निभानी पड़ेगी और देश के शत्रुओं का करारा जवाब देना पड़ेगा देश के विमर्श को जनवादी धर्मनिरपेक्ष गणित गणतांत्रिक, समाजवादी बहुलतावादी और सर्व समावेशी बनाना पड़ेगा। हम यहां पर यही कहेंगे,,,,
गांधी के हत्यारे
ना हमारे ना तुम्हारे।

गांधी हम शर्मिंदा हैं
तेरे कातिल जिंदा है।

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