कटोरा दांव! व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा

कटोरा दांव!

व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा अब बोलें साक्षी मलिक‚ विनेश फोगाट‚ बजरंग पूनिया वगैरह! असली पहलवान कौन हैॽ बल्कि कुश्ती गुरु कहिए। बड़े अपने मैडलों की शान दिखाते फिरते थे। हमने कुश्ती लड़ के फलां मैडल जीता है। हमने कुश्ती में चिलां मैडल जीता है। शाह साहब ने एक ही झटके में सारी हेकड़ी निकाल दी। […]

Continue Reading
पुनर्वास गांव गंगानगर में बुनियादी सुविधाएं देने और बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग : कल गेवरा एसईसीएल का घेराव करेगी माकपा

पुनर्वास गांव गंगानगर में बुनियादी सुविधाएं देने और बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग : कल गेवरा एसईसीएल का घेराव करेगी माकपा

गेवरा (कोरबा)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने घाटमुड़ा से विस्थापित और गंगानगर में पुनर्वासित परिवारों की लंबित समस्याओं को लेकर गेवरा एसईसीएल कार्यालय का कल 15 जून को घेराव करने की घोषणा की है। इस संबंध में एक ज्ञापन भी महाप्रबंधक एस के मोहंती को ज्ञापन सौंपा गया है। उल्लेखनीय है कि […]

Continue Reading
लाभकारी एमएसपी के सवाल पर मोदी सरकार ने फिर दिया किसानों को धोखा, धान उत्पादक किसानों को प्रति हेक्टेयर 27340 रुपयों का नुकसान : किसान सभा रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने लाभकारी समर्थन मूल्य के सवाल पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर फिर किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। किसान सभा ने कहा है कि खरीफ सीजन 2023-24 के लिए मोदी सरकार ने विभिन्न फसलों के लिए जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है, वह अनुचित है, किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरती है और उनकी आय को भारी नुकसान पहुंचाती है। किसान सभा का कहना है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था, लेकिन इसके बजाय, यह घोषित एमएसपी बढ़ती इनपुट लागत के साथ किसानों के बड़े हिस्से को ऋणग्रस्तता में धकेल देगी, क्योंकि किसी भी फसल का समर्थन मूल्य स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले सी-2+50% के अनुसार तय नहीं किया गया है। मोदी सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर किसानों को हो रहे नुकसान की तालिका जारी करते हुए आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा सी-2+50 प्रतिशत का फार्मूला लागू नहीं करने के कारण धान उत्पादक किसानों को लगभग 683.5 रुपये/क्विंटल का नुकसान हुआ है। यदि सरकारी अनुमान लगभग 4 टन/हेक्टेयर को उत्पादकता के रूप में गणना में लिया जाएं और सी-2 लागतों को ध्यान में रखा जाए, तो यह नुकसान 27340 रुपये/हेक्टेयर के बराबर होगा। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश, बिहार, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल सरकारों ने धान के लिए उत्पादन लागत का अनुमान कृषि मूल्य निर्धारण आयोग (सीएसीपी) के अनुमानों से अधिक लगाया है। केरल राज्य द्वारा धान के लिए अनुमानित सी-2 लागत 2847 रुपये/क्विंटल है, सीएसीपी का प्रोजेक्शन केवल 2338 रुपये/क्विंटल है। इसी तरह, सी-2 लागत का पंजाब राज्य का अनुमान 2089 रुपये/क्विंटल है, जबकि सीएसीपी इसे केवल 1462 रुपये/क्विंटल ही प्रोजेक्ट करता है। इस प्रकार, सीएसीपी पहले राज्यों में उत्पादन लागत के अनुमान को कम करने की भूमिका निभाता है और फिर अखिल भारतीय लागत अनुमानों पर पहुंचने के लिए भारित औसत लेता है। यदि राज्यों द्वारा सुझाए गए औसत एमएसपी को ध्यान में रखा जाए, तो धान की एमएसपी 2960 रुपये/क्विंटल होता है। भाजपा सरकार की घोषणा राज्यों के औसत से 776 रुपये/क्विंटल कम है। अन्य फसलों के लिए भी यही बात लागू होती है। किसान सभा नेताओं ने कहा कि लागत की गणना में ही सबसे पहले किसानों को ठगा जाता है। छत्तीसगढ़ जैसे उच्च उत्पादन लागत वाले राज्य में भारित औसत लागत निश्चित रूप से वास्तविक लागत से कम होती है और यह दूसरी बार किसानों को धोखा देना है। तीसरी बार किसानों को धोखा तब दिया जाता है, जब ज्यादातर मामलों में इस कीमत पर भी कोई सुनिश्चित खरीद नहीं होती है। इसके अलावा, सीएसीपी और भाजपा सरकार उन राज्यों को और हतोत्साहित करती है, जो उत्पादन बोनस या प्रोत्साहन देते हैं। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने मांग की है कि भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार घोषित एमएसपी में संशोधन करे और इसे सी-2+50 प्रतिशत फॉर्मूले के अनुसार घोषित करें और सुनिश्चित खरीद का आश्वासन भी दे। संजय पराते, अध्यक्ष      ऋषि गुप्ता, महासचिव       छत्तीसगढ़ किसान सभा

लाभकारी एमएसपी के सवाल पर मोदी सरकार ने फिर दिया किसानों को धोखा, धान उत्पादक किसानों को प्रति हेक्टेयर 27340 रुपयों का नुकसान : किसान सभा

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने लाभकारी समर्थन मूल्य के सवाल पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर फिर किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। किसान सभा ने कहा है कि खरीफ सीजन 2023-24 के लिए मोदी सरकार ने विभिन्न फसलों के लिए जिस न्यूनतम समर्थन […]

Continue Reading
न रहेगी मोहब्बत और न रहेगा लव जेहाद! व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा अब बोलें क्या कहते हैं, भगवाइयों को कमपढ़ से लेकर अनपढ़ तक कहने वाले। पूरे नौ साल हो गए। मोदी के पांच साल भुगतने के बाद भी, पब्लिक ने पांच साल का जो एक्सटेंशन दिया, वह भी पूरा होने के करीब पहुंच गया। मगर मजाल है, भाई लोगों ने मोदी जी की डिग्री दिखाने की मांग को हफ्ता-पंद्रह दिन का भी रैस्ट दिया हो। उल्टे मोदी जी तो मोदी जी, स्मृति ईरानी से लेकर, निशिकांत दुबे तक, मोदी जी के आस-पास वालों की भी डिग्रियों पर सवाल ही सवाल उठाए हैं। भाई लोग तो यह मानकर चलते हैं कि भगवाइयों की डिग्री है, तो नकली नहीं भी हो, तो भी जरूर व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी वाली होगी; पर कॉलेज-यूनिवर्सिटी के पढ़े-लिखे वाली असली डिग्री तो हो ही नहीं सकती। सचमुच लिखा-पढ़ा इतना, इतना बंददिमाग कैसे हो सकता है! पर आंखों के सामने जीता-जागता सबूत हाजिर है, अब क्या कहेंगे भगवाइयों की डिग्रियों को ही फेक मानने वाले। राहुल गांधी ने अमरीका में जो मोहब्बत की दुकान लगाई, भगवाइयों ने उस पर बकायदा लिखकर अपना आब्जेक्शन दर्ज कराया है। कोई फ्रिंज टाइप के भगवाइयों ने नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों से भगवा पार्टी के तीन-तीन सांसदों ने, बाकायदा सामूहिक चिट्ठी आब्जेक्शन दर्ज कराया है। और चिट्ठी भी कोई पिक्चर कार्ड वाली नहीं, एसएमएस टाइप की भी नहीं; पूरे नौ पेज की चिट्ठी लिखी है और विदेश में जाकर ‘‘मोहब्बत’’ की जरूरत बताकर, विश्व गुरु भारत को शर्मिंदा करने के लिए आब्जेक्शन दर्ज कराया है। इतना भारी दिमागी काम तो कोई असली डिग्रीधारी ही कर सकता है। फिर यह कोई अपवाद भी नहीं है। उल्टे, सार्टिफिकेट भले ही नहीं दिखाएं, पर मोदी जी के चेलों में चिट्ठी लिखकर दिखाने के जरिए अपना पढ़ा-लिखा साबित करने की, होड़ ही लग गयी लगती है। सुना है कि खड़गे साहब ने बालासोर हादसे के बाद रेलवे की समस्याओं को लेकर मोदी जी को जो चिट्ठी लिखी थी, उसका भी जवाब मोदी जी के चार-चार सांसदों ने सामूहिक चिट्ठी लिखकर दिया है। मोदी जी ने घुमा-फिराकर अपनी डिग्री दिखाने का भी एक और मौका भले ही हाथ से जाने दिया हो, पर एक ही चिट्ठी में उनके चार-चार सांसदों ने तो अपने पढ़े-लिखे होने का सबूत दे ही दिया है। अब विपक्ष वाले करते रहें इस पर कांय-कांय कि खड़गे साहब ने चिट्ठी तो पीएम जी को लिखी थी, सामूहिक चिट्ठी से ही सही, कोई और जवाब क्यों दे रहा है? अब मोदी जी तो विपक्ष वालों को मुंह लगाने से रहे और वह तो गले भी दूसरे देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों वगैरह को ही लगाते हैं, खासतौर पर गोरों को। अब मोदी जी डिग्री सच्ची साबित हो या नहीं, विपक्ष वालों को चिट्ठीयां तो उनके प्यादों की ही मिलेंगी। एक पंथ दो काज। जवाब का जवाब और भगवा पार्टी में कई डिग्रियां सच्ची होने का इनडाइरेक्ट सबूत भी। और चूंकि भाजपाई सचमुच पढ़े लिखे हैं, उनकी डिग्रियां तक असली हो सकती हैं, न देश में और विदेश में, वो मोहब्बत-वोहब्बत की किसी दुकान के चकमे में कहां आने वाले थे। उन्होंने तो अपनी पैनी जासूसी नजर से, लव के अकाल के मारे इस देश में जब ‘‘लव जेहाद’’ खोज निकाला और नौ साल से हरेक चुनाव में उसको जमकर दुह रहे हैं, तो विदेशी धरती पर मोहब्बत की दुकान भला उन्हें कैसे धोखा दे सकती थी। भाइयों ने विपक्षियों के कपड़ों से फौरन पहचान लिया --कोई मोहब्बत-वोहब्बत की दुकान नहीं; यह तो नफरत की दुकान है। बल्कि दुकान भी नहीं, नफरात का मॉल है, पूरा मॉल। एक दुकान में कहां नफरत की इतनी वैराइटी मिलती है! मोदी जी से नफरत। अडानी जी से नफरत। भगवाई पार्टी से नफरत। नागपुरी विचार से नफरत। सावरकर जी की वीरता से नफरत। हेडगेवार जी की ब्रिटिश राज को नाराज करने से नफरत से भी नफरत। गोलवालकर के हिटलर-प्रेम से नफरत। गोडसे से तो गोडसे से, उसको देशभक्त मानने वालों से भी नफरत। और तो और, तब इंग्लेंड के ताज से और अब अमरीका के राज से भी नफरत। मनु से नफरत, मनुस्मृति से नफरत। भारत की, हिंदुओं की, ब्राह्मणों की, सर्वश्रेष्ठता से नफरत। मोदी जी के नये हवाई जहाज से, मोदी जी की नयी संसद से, मोदी जी की मन की बात से, मोदी की पल-पल बदलती पोशाक से, मोदी के टेलीप्रॉम्पटर तक से नफरत। और तो और फेक न्यूज और मोदी जी के आइटी सेल तक से नफरत। और उस पर दावा ये कि भगवाइयों ने ही नफरत का बाजार खोल रखा है और ये तो मोहब्बत की दुकान लगा रहे हैं! बेचारे भगवाई तो ले-देकर मुसलमानों से, ईसाइयों से, कम्युनिस्टों से और कभी-कभार दलितों भर से नफरत करते हैं और हां, नेहरू-वेहरू से भी तथा और पीछे इतिहास में मुगलों वगैरह से। बाकी सब से तो वो मोहब्बत ही करते हैं। इन सेकुलरवालों के चक्कर में अब तक नफरत झेलते रहे गोडसे से लेकर सावरकर तक से मोहब्बत। बल्कि उन पर तो इल्जाम ही अंगरेजों से तब मोहब्बत करने का है, जब पूरा देश अंगरेजों से नफरत में पागल हो गया था और यह भूल चला था कि हम तो वसुधैव कुटुम्बकम वाले हैं। और हां उस सेंगोल से भी मोहब्बत, जिसे नेहरू जी ने अलमारी में बंद करा के, म्यूजियम में डलवा दिया था। वाकई कलियुग है। जो खुद नफरत का मॉल सजाए बैठे हैं, असली मोहब्बत करने वालों को नफरत का सौदागर बता रहे हैं। कुछ याद आया; आडवाणी जी से जब ये नफरत करते थे, उस जमाने में असली धर्मनिरपेक्षों को ये छद्म-धर्मनिरपेक्ष, सांप्रदायिक कहा करते थे; ठीक वैसे ही। सो भगवाइयों ने झट पकड़ लिया -- यह तो नया लव जेहाद है। ऊपर-ऊपर से मोहब्बत, भीतर से जेहाद। खुला एलान कर दिया है — मोहब्बत की ऐसी दुकान खुलने नहीं देंगे और खुल भी जाए तो चलने नहीं देंगे। जवाब में इतनी नफरत फैलाएंगे, इतनी नफरत फैलाएंगे, कि नफरत की बाढ़ में मोहब्बत की दुकान ही बह जाएगी। ना रहेगा मोहब्बत का नाम और न होगा कोई लव जेहाद, न नया, न पुराना। जो बचेगा, वही नया इंडिया होगा। (इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और 'लोक लहर' के संपादक हैं।)

न रहेगी मोहब्बत और न रहेगा लव जेहाद!

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा अब बोलें क्या कहते हैं, भगवाइयों को कमपढ़ से लेकर अनपढ़ तक कहने वाले। पूरे नौ साल हो गए। मोदी के पांच साल भुगतने के बाद भी, पब्लिक ने पांच साल का जो एक्सटेंशन दिया, वह भी पूरा होने के करीब पहुंच गया। मगर मजाल है, भाई लोगों ने मोदी जी […]

Continue Reading
मणिपुर : फूट का इंतजाम है, एकीकरण का नारा! आलेख : राजेंद्र शर्मा

मणिपुर : फूट का इंतजाम है, एकीकरण का नारा!

आलेख : राजेंद्र शर्मा मणिपुर को जलते हुए, इन पंक्तियों के लिखे जाने तक चालीस दिन हो चुके हैं। पर गंभीर हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मरने वालों की संख्या सौ से ऊपर निकल चुकी है। विशाल संख्या में गांवों, गिरजाघरों, अन्य ईसाई संस्थाओं, मंदिरों आदि को आगजनी तथा तोड़-फोड़ […]

Continue Reading
सरोज सम्मानसरोज सम्मान - 2023 असमिया कवि सुश्री कविता कर्मकार को - 2023 असमिया कवि सुश्री कविता कर्मकार को

सरोज सम्मान – 2023 असमिया कवि सुश्री कविता कर्मकार को

वर्ष 2023 का जनकवि मुकुट बिहारी सरोज स्मृति सम्मान असमिया भाषा की कवि सुश्री कविता कर्मकार को प्रदान किया जायेगा। शिबसागर असम की निवासी कविता कर्मकार असमिया , बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी में लिखती हैं। असमिया भाषा में उनके दो कविता संग्रह तथा बांग्ला में एक संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। हिंदी कविताओं का एक […]

Continue Reading
जो कहा सो किया! व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा

जो कहा सो किया!

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा एक बात तो भगवाइयों के विरोधियों को भी माननी पड़ेगी। भगवाई जो कहते हैं, वो करते जरूर हैं। हमेशा की तो हम नहीं कहते, पर पिछले चालीस साल से ज्यादा से ही तो हम ही देख रहे हैं। तब कहा था कि मंदिर वहीं बनाएंगे। मंदिर वहीं बन रहा है या […]

Continue Reading
Jani Na Jani Lyrics – Barsha Karmacharya Ft. Sushant Khatri

Jani Na Jani Lyrics – Barsha Karmacharya Ft. Sushant Khatri

Jani Na Jani is a new viral nepali video song by Barsha Karmacharya & Sushant Khatri published on Barsha Karmacharya. Find the proper lyrics of Jani Na Jani Song. This music video was performed by Sugam Karmacharya, Siddhartha Dong, Subash Limbu, Saimon Shrestha. Jani Na Jani Song Details: Song Jani Na Jani Album Barsha Karmacharya Singer Barsha […]

Continue Reading
सांप्रदायिक षड़यंत्र के अंदेशों की ओट में नाकामियां छुपाने के 9 साल आलेख : राजेन्द्र शर्मा

सांप्रदायिक षड़यंत्र के अंदेशों की ओट में नाकामियां छुपाने के 9 साल

आलेख : राजेन्द्र शर्मा जिस बहुचर्चित ”कवच” नाम की टक्कररोधी प्रणाली का मोदी सरकार, रेलवे को सुरक्षित बनाने में अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में ढोल पीटती नहीं थकती थी, उसकी सुरक्षा बालासोर में दुर्घटना की शिकार हुई दोनों एक्सप्रैस यात्री गाड़ियों को उपलब्ध ही नहीं थी। फौरन यह सच भी सामने आ गया […]

Continue Reading

गेवरा परियोजना विस्तार की जन सुनवाई स्थगित करने की मांग की किसान सभा ने, तीखे विरोध की चेतावनी के साथ प्रभावित गांवों में बैठकों का दौर शुरू

कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने एसईसीएल की गेवरा ओपन कास्ट कोयला खदान परियोजना के क्षमता विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग की है तथा पूर्व में अधिग्रहित किए गए भूमि पर भूविस्थापितों के लंबित रोजगार, मुआवजा, बसावट आदि की समस्याओं का […]

Continue Reading