केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के बच्चों को दी 12430 नए क्लास रूम की सौगात, सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया उद्घाटन

दैनिक समाचार
  • दिल्ली के 240 सरकारी स्कूलों में आज से 12430 नए अत्याधुनिक क्लास रूम की शुरुआत – अरविंद केजरीवाल
  • हमने 11 हजार क्लास रूम बनाने का काम शुरू किया था और मात्र तीन साल में उससे ज्यादा 12430 क्लास रूम बना दिए- अरविंद केजरीवाल
  • ये सारे भ्रष्टाचारी मिलकर मुझे आतंकवादी बोल रहे हैं, वो जिसे आतंकवादी कहते हैं, उसने आज 12430 स्मार्ट क्लास रूम देश को समर्पित किए- अरविंद केजरीवाल
  • यहां अब अफ़सरों, जजों, रिक्शे वाले और मज़दूर के बच्चे एक ही डेस्क पर बैठ कर पढ़ेंगे, उनका आतंकवादी बाबा साहब और भगत सिंह के सपने पूरे कर रहा है- अरविंद केजरीवाल
  • पिछले 7 सालों में हमने दिल्ली में 20 हजार क्लास रूम बनाए, बाक़ी सारी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने मिलाकर भी देश में सात साल में 20 हजार क्लास रूम नहीं बनाए- अरविंद केजरीवाल
  • दसवीं तक के स्कूल में करीब 50 कमरे होते हैं, इस हिसाब से 12430 कमरे का मतलब दिल्ली में 250 नए स्कूल बन कर तैयार हो गए- अरविंद केजरीवाल
  • 75 साल पहले से गरीबों के बच्चों को भी इतनी अच्छी शिक्षा मिलनी चालू हो गई होती, तो आज देश कहां से कहां पहुंच जाता- अरविंद केजरीवाल
  • अगर दूसरी पार्टियों की सरकारें अपने राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करना चाहती हैं, तो हम उनकी मदद करने को तैयार हैं- अरविंद केजरीवाल
  • नेताओं को स्कूल बनाने से सबसे ज्यादा डर लगता है, क्योंकि शानदार स्कूल बन गए, तो उनको जाति-धर्म के नाम पर वोट मिलने बंद हो जाएंगे- अरविंद केजरीवाल
  • हमारे स्कूलों के बच्चे जब बाहर निकलेंगे, तब जाति-धर्म पर नहीं, देश के विकास के नाम पर वोट दिया करेंगे- अरविंद केजरीवाल
  • हम स्कूल नहीं बना रहे, बल्कि देशभक्त बनाने की फैक्ट्रियां बना रहे हैं, यहां से बच्चे कट्टर देशभक्त बन कर निकलेंगे- अरविंद केजरीवाल
  • भगत सिंह ने ‘‘इंकलाब जिंदाबाद’’ का नारा दिया था, आज मैं ‘‘इंकलाब जिंदाबाद, शिक्षा क्रांति जिंदाबाद’’ नारा दे रहा हूं- अरविंद केजरीवाल
  • आज देश के किसी भी प्राइवेट स्कूल से बेहतर दिल्ली के सरकारी स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर है- मनीष सिसोदिया
  • अब दिल्ली के हर बच्चे के अंदर यह आत्मविश्वास भर रहा होगा कि हम देश के भविष्य हैं- मनीष सिसोदिया
  • केजरीवाल सरकार, देश की एकमात्र सरकार है, जो शिक्षा पर अपने कुल बजट का 25 फीसद शिक्षा पर खर्च करती है- अरविंद केजरीवाल
  • सरकार का काम आधुनिक सुविधाओं से युक्त क्लास रूम बनाकर देना था और अब बच्चों को विश्व का सबसे बेहतर नागरिक बनाना शिक्षकों के हाथ में है- मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली, 19 फरवरी, 2022

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली के 240 स्कूलों में बनाए गए 12430 नए क्लास रूम का उद्घाटन किया और कहा कि हमने 11 हजार क्लास रूम बनाने का काम शुरू किया था और मात्र तीन साल में उससे ज्यादा 12430 क्लास रूम बना दिए। यह देश की मौजूदा व्यवस्था में एक अजूबा ही है। ये सारे भ्रष्टाचारी मिलकर मुझे आतंकवादी बोल रहे हैं। वो जिसे आतंकवादी कहते हैं, उसने आज 12,430 स्मार्ट क्लास रूम देश को समर्पित किए। यहां अब अफ़सरों, जजों, रिक्शे वाले और मज़दूर के बच्चे एक ही डेस्क पर बैठ कर पढ़ेंगे। उनका आतंकवादी, बाबा साहब और भगत सिंह के सपने पूरे कर रहा है। पिछले 7 सालों में हमने दिल्ली में 20 हजार क्लास रूम बनाए हैं। बाक़ी सारी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने मिलाकर भी देश में सात साल में 20 हजार क्लास रूम नहीं बनाए। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 75 साल पहले से गरीबों के बच्चों को भी इतनी अच्छी शिक्षा मिलनी चालू हो गई होती, तो आज देश कहां से कहां पहुंच जाता। नेताओं को स्कूल बनवाने से सबसे ज्यादा डर लगता है। क्योंकि शानदार स्कूल बन गए, तो उनको जाति-धर्म के नाम पर वोट मिलने बंद हो जाएंगे। वहीं, शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार का काम आधुनिक सुविधाओं से युक्त क्लास रूम बनाकर देना था और अब बच्चों को विश्व का सबसे बेहतर नागरिक बनाना शिक्षकों के हाथ में है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में बनाए गए 12430 नए क्लास रूम का आज उद्घाटन किया। दिल्ली के राजोकरी स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय में आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन और स्थानीय विधायक नरेश यादव के अलावा शिक्षा निदेशक समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। उद्घाटन समारोह स्थल पर उन सभी स्कूलों की पट्टिकाएं लगाई गई थी, जहां-जहां नए क्लास रूम बनाए गए हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने नारियल फोड़कर उन पट्टिकाओं का अनावरण किया। इसके उपरांत दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दौरान स्कूली बच्चों ने सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पीडब्ल्यूडी मंत्री को नवांकुर भेंट किया गया।

दिल्ली में शिक्षा क्रांति आ रही है, दिल्ली में आज शानदार स्कूल और क्लास रूम बन रहे हैं- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में वाकई शिक्षा क्रांति हो रही है। दिल्ली में इतने शानदार स्कूल और क्लास रूम बन रहे हैं। के सरकारी स्कूलों में बहुत शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है। देश के कई प्राइवेट स्कूलों में भी इतनी शानदार व्यवस्था नहीं है, जितनी आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों में है। स्कूलों के बहुत अच्छे और शानदार नतीजे आने लगे हैं। किसी ने सोचा नहीं था कि एक वक्त ऐसा आएगा, जब सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से ज्याद बेहतर आने लगेंगे। इस साल 3.70 लाख बच्चे बड़े-बड़े स्कूलों से नाम कटवा कर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिए हैं। इससे बड़ा सर्टिफिकेट और क्या हो सकता है कि दिल्ली के अंदर शिक्षा क्रांति आ रही है। आज मुझे बेहद खुशी है कि आज से लगभग तीन साल पहले हम लोगों ने 11 हजार क्लास रूम बनाने शुरू किए थे, आज वही 12430 क्लास रूम मात्र तीन साल में बनकर तैयार हो गए हैं। हमारे देश में जो व्यवस्था है, उसमें यह एक अजूबा ही माना जाएगा। हम देखते हैं कि हर चुनाव से पहले नारियल फोड़कर स्कूल, अस्पताल की नींव रखी जाती है और फिर अगले चुनाव में भी नारियल फोड़ते हैं। लेकिन वह बनता कभी नहीं है। वहीं, हमारे यहां अगले चुनाव के पहले ही बना देते हैं। हम जितने भी काम शुरू करते हैं, वो समय से पहले ही पूरे हो जाते हैं।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में डिजिटल क्लास रूम भी हैं, जो बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं मिलते हैं- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने सभी दिल्ली वालों और सभी बच्चों को बधाई देते हुए कहा कि आप सोच कर देखिए कि 12430 क्लास रूम का क्या मतलब है। अगर 10वीं क्लास तक का एक नया स्कूल बनता तो, उसमें ज्यादा से ज्यादा 50 कमरे होते। अगर हम एक स्कूल में 50 क्लास रूम भी माने तो एक तरह से आज लगभग 250 नए स्कूल बन कर तैयार हो रहे हैं। इन स्कूलों में शानदार लेबोरेटरी, मल्टीपरपज हाल और कई डिजिटल क्लास रूम भी हैं, जो कि बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं मिलते हैं, वो आज हमारे दिल्ली सरकारी स्कूलों में है। हमने थोड़ी रिसर्च की, जिसमें पता चला कि पिछले सात साल में सरकार ने कुल 20 हजार क्लास रूम बनाए हैं। इसकी तुलना में अगर हम पूरे देश को देंखे। पूरे देश में जितनी भी राज्य सरकारें हैं और केंद्र सरकार है, उन सारी सरकारों को मिला लें, तो भी पूरे देश में पिछले 7 साल में 20 हजार नए क्लास रूम नहीं बने हैं, जितने अकेले दिल्ली में बने हैं। यह बड़ी बात है कि पूरे देश में भी पिछले 7 साल में 20 हजार नए क्लास रूम नहीं बने हैं।

भगत सिंह ने कहा था कि केवल अंग्रेजों को देश से बाहर भगाने से आजादी नहीं मिलेगी, आजादी तब मिलेगी, जब इस देश के गरीब और अमीर के बच्चों को एक जैसी शिक्षा मिलनी चालू होगी- अरविंद केजरीवल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहब ने शिक्षा पर बहुत जोर दिया था। बाबा साहब का सपना था कि हर बच्चे को, चाहे वो गरीब का बच्चा हो, चाहे वो दलित का बच्चा हो, उसको अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। दुर्भाग्य वश आज आजादी के 75 साल हो गए और 75 साल के बाद भी बाबा साहब का यह सपना पूरा नहीं हुआ। आज गरीबों के बच्चों को बाकी देश के हिस्सो में अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है। वो सरकारी स्कूलों में जाते हैं और सरकारी स्कूलों का बहुत बुरा हाल है, जैसा पहले दिल्ली में होता था। मुझे खुशी है कि बाबा साहब का सपना कम से कम आजादी के 75 साल के बाद दिल्ली में पूरा होना चालू हो गया है। भगत सिंह ने कहा था कि केवल अंग्रेजों को देश से बाहर भगाने से आजादी नहीं मिलेगी। आजादी तब मिलेगी, जब इस देश के गरीब और अमीर के बच्चों को एक जैसी शिक्षा मिलनी चालू होगी। आज मुझे खुशी है कि भगत सिंह का सपना दिल्ली में पूरा हो रहा है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब एक अफसर का बच्चा, जज का बच्चा, रिक्शे वाले का बच्चा और मजदूर का बच्चा एक ही डेस्क पर बैठ कर एक जैसी पढ़ाई करता है। दिल्ली में पिछले सात साल में इतने शानदार स्कूल हो गए और गरीबों के बच्चों को इतनी शानदार पढ़ाई मिल रही है। मन में आता है कि यह पिछले 75 साल में क्यों नहीं हुआ? यह हो तो सकता था। जब हमने 7 साल में कर दिया, तो 75 साल में भी हो सकता था। क्यों नहीं हुआ? आप सोच कर देखिए कि अगर आज 75 साल पहले देश के अंदर इतनी शानदार शिक्षा की व्यवस्था हो जाती और हमारे गरीबों के बच्चों को भी इतनी अच्छी शिक्षा 75 साल पहले से मिलनी चालू हो जाती, तो आज देश कहां से कहां पहुंच जाता। गरीबी दूर हो जाती और लोग अनपढ़ नहीं रहते। हमारे 75 साल खराब हो गए।

हमारा मकसद है कि देश से भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए और अच्छे स्कूल व अस्पताल बनने चाहिए- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक बड़ा एलान करते हुए कहा कि देश पहले ही अपने 75 साल खो चुका है। हमें राजनीति नहीं करनी है। हमारे लिए देश महत्वपूर्ण है। अगर देश की कोई भी सरकार, चाहे वो भाजपा की हो, चाहे कांग्रेस की या किसी भी पार्टी की हो, वो अपने-अपने राज्य के अंदर दिल्ली जैसी शिक्षा व्यवस्था करना चाहती है, तो हम मनीष सिसोदिया को कुछ दिनों के लिए उनको लोन पर दे देंगे। दिल्ली में अस्पताल और मोहल्ला क्लीनिक भी बड़े अच्छे हो गए। अगर देश की कोई भी सरकार अपने राज्य में अस्पताल व मोहल्ला क्लीनिक अच्छे करना चाहती है, तो हम थोड़े दिन के लिए सत्येंद्र जैन को उनको लोन पर दे देंगे। हमारा मकसद यह नहीं है कि हम हर जगह पर चुनाव लड़कर जीतें। हम नेपोलियन नहीं है। हमारा मकसद देश है और देश आगे बढ़ना चाहिए। अगर दूसरी पार्टियों की सरकारें अपने-अपने राज्य में शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करना चाहती हैं, तो हम उनकी मदद करेंगे। हम चाहते हैं कि सारा देश आगे बढ़े। हमारे सामने देश है। हम चाहते हैं कि देश से भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए और सबको अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। अच्छे अस्पताल और अच्छे स्कूल बनने चाहिए, यह हमारा मकसद है। आज हम एलान कर रहे हैं कि कोई भी राज्य हमसे मदद मांगेगा, हम उनको मदद करने के लिए तैयार हैं।

अगर मैं गरीबों के बच्चों को फ्री शिक्षा दे रहा हूं, तो इससे बड़ा देशभक्ति और राष्ट्र निर्माण का काम और क्या हो सकता है-अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मैं देख रहा हूं कि देश के कई बड़े-बड़े नेता मिलकर कह रहे हैं कि केजरीवाल आतंकवादी है। मेरे को थोड़ी हंसी भी आई। मैं उन सब को कहना चाहता हूं कि जिसको आप लोग आतंकवादी बोल रहे हो, आज वो आतंकवादी देश को 12430 कमरे स्कूलों के समर्पित करता है। आज वो आतंक ऐसे स्कूल बना रहा है, जिसमें एक-एक डेस्ट पर बैठ कर गरीबों और अमीरों के बच्चे पढ़ रहे हैं। आज वो आतंकवादी भगत सिंह और बाबा साहब के सपने पूरा कर रहा है। नेताओं को सबसे बड़ा डर और किसी चीज से नहीं लगता है। उनको सबसे बड़ा डर स्कूलों से लगता है। अगर शानदार स्कूल बन गए, अच्छे स्कूल बन गए, तो नेताओं को जातपात और धर्म के नाम पर वोट मिलने बंद हो जाएंगे। हमारे इन स्कूलों के अंदर कट्टर देशभक्त बच्चे तैयार होंगे। हम स्कूल नहीं बना रहे हैं, हम देश भक्त बनाने की फैक्ट्रियां बना रहे हैं, यहां से बच्चे देशभक्त बन कर निकलेंगे। पांच से दस साल बाद जब ये बच्चे बाहर निकलेंगे, तब ये बच्चे किस आधार पर वोट देंगे। ये धर्म और जाति के नाम पर वोट नहीं देंगे, बल्कि देश के विकास के नाम पर वोट दिया करेंगे। इसलिए कोई नेता स्कूल नहीं बनाना चाहता है। ये लोग कहते हैं कि केजरीवाल सबकुछ फ्री करता जा रहा है। मैं पूछना चाहता हूं कि अगर मैं दिल्ली में सरकारी स्कूल शानदार बना रहा हूं, जहां पर गरीबों के बच्चों को शानदार शिक्षा मिल रही है और अगर मैं उनको फ्री में शिक्षा दे रहा हूं, तो इससे बड़ा देशभक्ति और राष्ट्र निर्माण का काम और क्या हो सकता है? बच्चों को तो फ्री में शिक्षा मिलनी चाहिए। गरीबों को अगर मैं अस्पतालों में फ्री में इलाज दे रहा हूं और शानदार सरकारी अस्पताल बना रहे हैं, तो इससे अच्छा पुण्य का काम क्या हो सकता है। भगत सिंह ने इंकलाब जिंदाबाद का एक नारा दिया था। आज मैं एक नारा दे रहा हूं, इंकलाब जिंदाबाद, शिक्षा क्रांति जिंदाबाद।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो कहते हैं, उससे ज्यादा करके दिखाते हैं- मनीष सिसोदिया

इस दौरान डिप्टी सीएम एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कोविड के लॉकडाउन के बावजूद इस कार्य को पूरा करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों और पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर समेत सभी को बधाई दी और कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल के बारे में कहा जाता है कि ये जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं, लेकिन आज जो हो रहा है, उससे यह कहा जा सकता है कि सीएम अरविंद केजरीवाल जो कहते हैं, उससे ज्यादा करके दिखाते हैं। आप सबने सुना होगा कि जब सरकारी काम शुरू होता है और मान लीजिए कि 100 कमरे बने हैं और 90 कमरे पूरा होते ही मान लिया जाता है कि काम हो गया। यहां पर उल्टा है। इस पूरे प्रोजेक्ट का जब शिलान्यास हुआ, उस समय पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने योजना बनाई थी कि इस फेस में 11 हजार क्लास रूम बनाए जाएंगे, लेकिन हमने उससे ज्यादा 12430 क्लास रूम बनाकर तैयार कर लिए हैं। यह एक सुखद घटना है। 2015 में मुझे शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिली थी। मुझे याद है कि मैं नरेल के एक स्कूल में गया था। वहां एक बच्चे ने बहुत भावुक टिप्पणी की थी। उसका बयान आज भी मुझे याद है। मैं उससे कहा था कि बेटा अच्छे से पढ़ना, तुम देश के भविष्य है। इस पर उसने कहा था कि देश का भविष्य हम थोड़े हैं। देश का भविष्य तो प्राइवेट स्कूलों में पढ़ता है। हम तो टूटे-फूटे टेंट वाले स्कूलों मे ंपढ़ते हैं। आज 2022 है। देश के किसी भी प्राइवेट स्कूल से बेहतर हमारे दिल्ली के सरकारी स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर आप साक्षात देख रहे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि वो बच्चा अब 12वीं पास कर गया होगा और मेरी बात को सुन रहा होगा। उसे अब नहीं लग रहा होगा कि हम देश के भविष्य नहीं हैं। अब दिल्ली के हर बच्चे के अंदर यह आत्मविश्वास भर रहा होगा कि हम देश के भविष्य हैं। हमारा परिवार, हमारी सरकार, हमारे मुख्यमंत्री, हमारे शिक्षा मंत्री, हमारे मंत्री, इस बात की चिंता करते हैं कि हम देश के भविष्य हैं और देश का भविष्य ठीक से संवारा जाए, आज यह स्कूल की बिल्डिंग उसी दिशा में उठाया जा रहा एक कदम है।

हम ऐसे स्कूल बनाएं, जहां से बच्चे निकल कर आईआईटी, नीट में जाएं और देश की तरक्की में योगदान दें- मनीष सिसोदिया

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम अक्सर 21वीं सदी के भारत की बात करते हैं। आज हमें ग्लोबल टेक्नोलॉजी के युग में सारी दुनिया से कंपीटिशन करना है। हमें अपने बच्चों की पढ़ाई का स्तर ऐसा रखना है कि 21वीं सदी की दुनिया के देशों में हमारे बच्चे मुकाबला कर सकें। लेकिन सोच कर देखिए कि 2015 तक जिन स्कूलों में शिक्षक पढ़ाने को मजबूर थे, उनको हम टेंट वाले स्कूल बोलते थे। हम सोचते थे कि हम वहां पर देश का भविष्य तैयार कर रहे हैं, जबकि नहीं कर रहे थे। इसलिए कड़ी मेहनत से सीएम अरविंद केजरीवाल के मार्ग दर्शन में दिल्ली में शिक्षा का बजट दोगुना किया गया और पिछले सात साल लगातार दिल्ली सरकार, देश की एकमात्र सरकार है, जो शिक्षा पर अपने कुल बजट का 25 फीसद बजट शिक्षा पर खर्च करती है। आज हमें यह स्कूल देख कर गर्व होता है। इन स्कूलों में अब गुणवत्ता की लैब मिल रही है। यहां से जो बच्चे पढ़कर आगे बढ़ रहे हैं, उनको देखकर गर्व हो रहा है। आज हमारे बच्चे आईआईटी और नीट की परीक्षा क्लीयर कर रहे हैं, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। इंजीनियर बिल्डिंग बनाते हैं और शिक्षक और बच्चे मिलकर उस बिल्डिंग को स्कूल बनाते हैं। आज बिल्डिंग तैयार है और अब हमारे शिक्षकों और बच्चों को मिलकर इसको स्कूल बनाना है। हमें ऐसे स्कूल बनाना है, जहां से बच्चे निकल कर आईआईटी, नीट में जाएं, दुनिया की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी मे जाएं। आईआईएम में पढ़ाई करें और उसके बाद देश की तरक्की में योगदान दें और नए-नए रोजगार दें।

हमारे स्कूलों में स्मार्ट क्लास भी हैं और अब हम धीरे-धीरे डिजिटल क्लास रूम की तरफ बढ़ रहे हैं- मनीष सिसोदिया

डिप्टी सीएम ने कहा कि हमने स्कूलों में पढ़ाने के तौर तरीके भी बदले हैं। हमने पाठ्यक्रम तक बदला है। आज दिल्ली के लाखों बच्चे इस संकल्प के साथ इन स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं कि आगे चलकर हम नौकरी ढूंढने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनेंगे। क्योकि देश में बेरोजगारी, गरीबी और अर्थ व्यवस्था को आगे बढ़ाने की समस्या है। इसको ठीक करना है, तो हमारे इन शानदार स्कूलों में पढने वाले बच्चों की सोच भी इतनी शानदार होनी चाहिए कि नौकरी मिले तो उसको भी शान से करेंगे और नौकरी नहीं मिलेगी तो नौकरी मांगने के लिए नहीं भटकते रहेंगे, बल्कि कुछ ऐसा करेंगे कि वो नौकरी देने वाले बनेंगे। जिन स्कूलों का उद्घाटन हुआ है, वो अब स्मार्ट क्लास तो भी हैं और अब वो धीरे-धीरे डिजिटल क्लास रूम की तरफ भी बढ़ रहे हैं। इस पर मैं काम कर रहा हूं। पिछले बजट में हमने घोषणा की थी कि 4 से 5 साल के अंदर हम धीरे-धीरे अपने सभी क्लास रूम को आधुनिक डिजिटल क्लास रूम में बदल देंगे। बच्चे अब डिजिटल फार्मेट में पढ़ सकेंगे। आज दिल्ली में दुनिया की सबसे आधुनिक क्लास रूम हैं। कोविड के संकट काल में भी हम सुबह 7 बजे निर्माण साइट पर जाकर ऐसे देखते थे, जैसे अपना घर बनाया जा रहा है। हमने इतने अपनेपन से इन स्कूलों को बनाया है। यह सिर्फ स्कूल की बिल्डिंग नहीं है, यह देश के भविष्य के निर्माण की जगह है। यहीं देश का भविष्य लिखा जाना है। डिप्टी सीएम ने शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि सरकार का काम अच्छी बिल्डिंग बनाकर कर देना था, शिक्षकों को दुनिया की सबसे आधुनिक सुविधा युक्त क्लास रूम बनाकर देना था। आज दुनिया की सबसे अच्छी क्लासरूम आपके हाथ में है। अब आपके हाथ में जो बच्चे हैं, इनको विश्व का सबसे बेहतर नागरिक बनाएं। इसके लिए हमने बिजनेस ब्लास्टर्स कार्यक्रम शुरू किया है। हमारे शिक्षकों को जिम्मेदारी लेनी होगी कि हमारा कोई भी बच्चा अब इस मानसिकता के साथ नहीं जाएगा कि हमारे हाथ में डिग्री आ गई है और अच्छी नौकरी करने वाला बन गया है। अब वो इस मानसिक से जाएगा कि मैं यह डिग्री लूंगा और अब नौकरी देने वाला बनूंगा। हमारा हर एक बच्चा अच्छा नागरिक बनकर जाएगा, यह जिम्मेदारी शिक्षकों को लेनी है। बच्चों के अभिभावाकों के अंदर भी इतना विश्वास हो कि हमने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ाया तो कोई बात नहीं, अब हमारे दिल्ली के सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूलों से कहीं ज्यादा शानदार हो गए हैं। इस साल 3.70 लाख बच्चे बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में आए हैं। उनके माता-पिता भी गर्व करते हैं कि हमारे बच्चों का भविष्य बहुत शानदार तरीके से इन स्कूलों में संवारा जा रहा है।

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