शिक्षा मंत्रालय ने ‘डिजिटल विश्वविद्यालय: विश्व स्तर की उच्च शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाना’ विषय पर गहन विचार-विमर्श के लिए वेबिनार का आयोजन किया

दैनिक समाचार

शिक्षा और कौशल क्षेत्र के लिए केंद्रीय बजट 2022 की घोषणाएं; पहुंच का विस्तार करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में सुधार करने, क्षमता निर्माण करने और डिजिटल शिक्षा इकोसिस्टम को मजबूत करने पर केंद्रित हैं। केंद्रीय बजट 2022 में घोषित पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन के तरीकों पर विचार-विमर्श और चर्चा करने के लिए, शिक्षा मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) ने अन्य मंत्रालयों के साथ ‘डिजिटल शिक्षा और कौशल के अमृत मंत्र के माध्यम से आत्मनिर्भरता’ पर एक वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार के तहत, 21 फरवरी, 2022 को ‘डिजिटल विश्वविद्यालय: विश्व स्तर की उच्च शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाना’ विषय पर एक सत्र आयोजित किया गया।         

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वेबिनार का उद्घाटन किया और इसमें शिक्षाविदों, सरकारी अधिकारियों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने भाग लिया। ‘डिजिटल विश्वविद्यालय: विश्व स्तर की उच्च शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाना’ विषय पर सत्र की अध्यक्षता श्री के. संजय मूर्ति, सचिव, उच्च शिक्षा श्री. के. राजारमन, सचिव, दूरसंचार विभाग ने संयुक्त रूप से की। सत्र के पैनल सदस्य थे –  डॉ. स्वाति पीरामल, वाइस चेयरपर्सन, पीरामल ग्रुप, प्रो. वी. कामकोटी, निदेशक आईआईटी मद्रास और प्रो. एम. जगदीश कुमार, अध्यक्ष, यूजीसी। सत्र का संचालन एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने किया।

डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना के व्यापक पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया, जिनमें शामिल थे – पीपीपी मोड में व्यापक शिक्षण- प्रौद्योगिकी (एडुटेक) इकोसिस्टम का निर्माण, डिजिटल प्लेटफॉर्म, अध्ययन सामग्री निर्माण, प्रभावी डिजिटल शिक्षा विज्ञान, सुदृढ़ संकाय प्रशिक्षण, वर्चुअल प्रयोगशालाओं और डिजिटल शिक्षण-शिक्षाप्राप्ति का मूल्यांकन आदि।

पैनल-सदस्यों ने बहुभाषी व सुलभ शिक्षा-प्राप्ति प्रबंधन प्रणाली, आकर्षक व तल्लीन करने वाला शैक्षिक अनुभव, मजबूत शैक्षिक समुदाय के निर्माण के लिए अग्रणी शिक्षार्थियों को जोड़ने तथा ऑनलाइन शिक्षा को कक्षा आधारित शिक्षण तरीके (फिजिटल) के साथ सम्मिश्रण करके प्रायोगिक तरीके से शिक्षा-प्राप्ति की आवश्यकता पर जोर दिया।

यह विश्वविद्यालय संकाय विकास, एसईडीजी में नामांकन, रोजगार क्षमता बढ़ाने वाले कौशल, क्षेत्रीय भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सामग्री, औपचारिक और गैर-औपचारिक (पूर्व शिक्षा को मान्यता देना) शिक्षण आदि में मौजूद अंतर को समाप्त कर सकता है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग डिजिटल शिक्षा के सन्दर्भ में भविष्य के शिक्षण-शिक्षाप्राप्ति प्रक्रिया की पुनर्कल्पना में जवाबदेही प्रावधानों के साथ एक निगरानी संस्था के रूप में नहीं बल्कि एक क्षमता-प्रदाता के रूप में कार्य करेगा।

शिक्षण- प्रौद्योगिकी (एडुटेक) में बढ़ती मांग के साथ और एक सर्व-समावेशी डिजिटल शिक्षण-शिक्षाप्राप्ति इकोसिस्टम बनाने के लिए भारत के वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में उपलब्ध अवसर वास्तव में उत्साह बढ़ाते हैं, जिनमें डिजिटल यूनिवर्सिटी इकोसिस्टम तथा भारत सरकार की विभिन्न पहलों जैसे भारतनेट, राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय, राष्ट्रीय अकादमी संग्रहालय, क्रेडिट अकादमी बैंक, स्वयं, एनईएटी और इंटर्नशिप, राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा संरचना, राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच के एकीकरण शामिल हैं।  

डिजिटल यूनिवर्सिटी के लिए विस्तृत रोडमैप और कार्यान्वयन योजना जैसे नियामक रूपरेखा, केंद्र व शाखा पर आधारित एचईआई की पहचान, अकादमिक नेतृत्व के लिए दिशा-निर्देश और संकाय के प्रशिक्षण को आने वाले समय में अंतिम रूप दिया जाएगा।

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