अगले पांच वर्षों में तिलहन के अंतःफसलीकरण के तहत 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र लाया जाएगा

दैनिक समाचार

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, कपड़ा तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि मोटे अनाजों पर जोर के साथ, भारत योग जैसी अपनी जड़ों के पास वापस लौट रहा है। 

श्री गोयल ने कहा, ‘‘मोटे अनाजों का गौरव वापस लाने से देश तीन क्षेत्रों- खाद्य, पोषण तथा अर्थव्यवस्था में आत्म निर्भर बनेगा। ‘‘

कृषि क्षेत्र में आम बजट 2022 के सकारात्मक प्रभाव पर प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद, श्री गोयल ने ‘स्मार्ट कृषि: मोटे अनाजों का गौरव वापस लाना, खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ना’ पर आयोजित एक वेबीनार को संबोधित किया।

उन्होंने भारत को मोटे अनाजों का अग्रणी निर्यातक बनाने के लिए 4 मंत्र दिए। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘ 1) राज्य मोटे अनाजों पर फोकस के साथ फसल विविधिकरण के लिए कर्नाटक के फल मॉडल की सफलता को दोहरा सकते हैं, 2) मोटे अनाजों के जैव प्रतिबलीकरण की गुणवत्ता तथा सहायता सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए कृषि स्टार्ट अप्स के साथ गठबंधन, 3) परिवारों में मोटे अनाजों के स्वास्थ्य एवं पोषण लाभों के बारे में जागरुकता सृजित करने के लिए अभियान आरंभ करना तथा 4) ब्रांड इंडिया मिल्लेट को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय लोकसंपर्क”।

इस बात पर जोर देते हुए कि भारत सभी 9 सामान्य मोटे अनाजों का उत्पादन करता है, श्री गोयल ने बताया कि भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक तथा दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने सुधार संबंधी कदम उठाये हैं जिनसे किसानों से एमसपी-केएमएस 2021-22 में खाद्यान्नों की सबसे अधिक खरीद हुई तथा इससे 64 लाख किसानों को लाभ पहुंचा तथा आरएमएस 2021-22 से लगभग 48 लाख किसानों को लाभ पहुंचा।

केंद्र सरकार के प्रयास की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि 10 राज्यों के 100 जिलों में तिलहन खेती के लिए लगभग 4 लाख हेक्टेयर चावल पंक्तियों का उपयोग किया जाना है। इसके अतिरिक्त, तिलहन के 230 उच्च ऊपज देने वाले जिलों की पहचान की गई है। अगले पांच वर्षों में तिलहन के अंतःफसलीकरण के तहत लगभग 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र लाया जाएगा।

श्री गोयल ने कहा, ‘आज भारत आत्मनिर्भर बनने के मार्ग पर अग्रसर है। इस मिशन में, सरकार सर्वश्रेष्ठ फसलों के साथ एक आत्मनिर्भर किसान की छवि प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्ट कृषि का अर्थ है किसानों के लिए एक अनुकूल बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए एक नए युग में तेजी से जाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. टी मोहापात्र ने अपनी प्रस्तुति के दौरान कहा कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि फसल उपरांत मूल्य वर्धन, घरेलू उपभोग को बढ़ाने तथा मोटे अनाज के उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय रूप से ब्रांडिंग करने के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

मोटे अनाजों की वैश्विक स्थिति: क्षेत्र तथा उत्पादन भूभाग-वार (2019)

क्षेत्रक्षेत्र (लाख हेक्टेयर) उत्पादन (लाख टन) 
अफ्रीका489423
अमेरिका53193
एशिया162215
यूरोप820
ऑस्ट्रेलिया तथा  न्यूजीलैंड 612
भारत138173
विश्व718863
  • भारत > 170 लाख टन का उत्पादन करता है (एशिया का 80 प्रतिशत तथा वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत)
  • वैश्विक औसत यील्ड: 1229 किग्रा/हेक्टे, भारत (1239 किग्रा/हेक्टे)

भारतीय कदन्न (मोटा अनाज) अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) के निदेशक श्री विलास टोनापी ने ‘वर्ष 2023 के अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के लिए ब्लूप्रिंट’ की चर्चा की जिसके बाद राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) की निदेशक डॉ. हेमलता ने ‘मोटा अनाज उत्पादों के पोषण मूल्यों’ का उल्लेख किया तथा इंडियन फेडेरेशन ऑफ कुलीनरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मंजीत गिल ने ‘मोटा अनाज उत्पाद व्यंजन विकास तथा लोकप्रियकरण’ के बारे में ज्ञान साझा किया। एनआईएफटीईएम के निदेशक डॉ. सी अनंत रामकृष्णन ने ‘मोटा अनाज मूल्य वर्धित उत्पादों को बढ़ावा’ देने पर चर्चा की तो सीईए के अध्यक्ष डॉ. अतुल चतुर्वेदी ने ‘खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता का मामला’ पर चर्चा की। एसओपीए के अध्यक्ष देविश जैन ने ‘सोयाबीन में आत्मनिर्भरता’ विषय को संबोधित किया जबकि गोदरेज एग्रोवेट के एमडी डॉ. बलराम सिंह यादव का भाषण ‘ऑयल पाम के भविष्य’ पर केंद्रित था।

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