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शिक्षा

हमारे देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है, बेरोजगार उन लोगों को कहा जाता है, जो लोग कार्य करने के योग्य होते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें कोई भी काम करने को नहीं मिलता है, जिससे उन्हें अपना जीवन जीने में कठिनाइयां होती हैं, क्योंकि इन लोगों के पास पैसे नहीं होते हैं।

श्रम मंत्रालय के एक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में उच्च शिक्षा के प्रसार के साथ ही स्नातकों में बेरोजगारी बढ़ी है. इससे भी बड़ा विरोधाभास शायद यह है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों में बेरोजगारी दर, निरक्षरों की तुलना में ज्यादा है.

शिक्षित नौजवानों में बेरोजगारी की दर ज्यादा होने की एक व्याख्या यह कह कर भी की जा सकती है कि देश में उच्च शिक्षा के स्तर पर गुणवत्ता का व्यापक अभाव है और मौजूदा प्रणाली रोजगार की नयी स्थितियों के अनुरूप स्नातक तैयार कर पाने में एक हद तक असफल साबित हो रही है. उच्च शिक्षा के स्तर पर गुणवत्ता के अभाव को इंगित करनेवाले सर्वेक्षण हाल के समय में लगातार आये हैं. सच्चाई का अंश दोनों ही व्याख्याओं में है.

नैशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस(एनएसओ) द्वारा जारी किए गए पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे के अनुसार शहरी महिलाओं, जिन्होंने मिडल स्कूल एजुकेशन या फिर सेकंडरी स्कूल या उससे उच्च शिक्षा हासिल की है, उनमें बेरोजगारी की दर 4 गुना तक बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी यही पैटर्न दिखाई दे रहा है हालांकि यहां तिरछापन कम है।

साल 2017-18 में महज 2.1% अशिक्षित शहरी पुरुष बेरोजगार थे, लेकिन कम से कम 9.2% सेकंडरी एजुकेशन हासिल कर चुके पुरुषों के पास नौकरी नहीं थी। शहरी महिलाओं में यह अंतर और बड़ा था। जहां 0.8% अशिक्षित महिलाओं के पास नौकरी नहीं थी वहीं 20% सेकंडरी या उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाएं भी बेरोजगार थीं।

बेरोजगारी की दर केवल शिक्षा के स्तर पर ही नहीं बढ़ी बल्कि यह समय के साथ भी बढ़ी है। शुक्रवार को एनएसओ द्वारा जारी किए गए डेटा में 2004-5, 2009-10 और 2011-12 का डेटा भी शामिल है, हालांकि इसमें कहा गया है कि पिछले आंकड़ों की तुलना 2017-18 के आंकड़ों के साथ नहीं की जानी चाहिए क्योंकि सर्वे के तरीके में भी कुछ अंतर है। भले ही चार साल के दौरान सटीक आंकड़ों में तुलना न किया जा सके लेकिन अगर बड़े स्तर पर देखा जाए तो यह साफ हो जाता है कि शिक्षा के स्तर के साथ बेरोजगारी में भी वृद्धि हुई है। यह आश्चर्य की बात नहीं है, हमने कुछ समय के लिए शिक्षित बेरोजगारी की बढ़ती घटना के बारे में जाना है। यह सिर्फ एक आधिकारिक पुष्टि है।

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