राजेंद्र त्रिपाठी
2nd World war के बाद हम Bypolar World में रह रहे थे, जहां एकतरफ USSR था तो दूसरी तरफ अमेरिका.
90 आते आते USSR बिखर गया और फिर दुनिया में अमेरिका की बादशाहत चलने लगी…..
पिछले 30 साल हमने एक Unipolar दुनिया मे गुजारे हैं!
Unipolar दुनिया मे सारे बड़े संस्थान, जैसे UN, UNSC, WHO, मीडिया, IMF, World Bank….. सब अमेरिका की मुट्ठी में थे….अमेरिका ने अपना प्रभुत्व बनाने के लिए कई देशों को अपना Protectorate बनाया….उन्हें अपने पाले में रखने के लिए इन देशों को support देने की बात की.
अमेरिका ने NATO को फैलाया और इसका इस्तेमाल किया कई देशों पर आक्रमण करने में,……जब मन किया, कोई भी बहाना बनाया और किसी भी देश को निबटा दिया!!
ना कोई सवाल पूछ सकता था, न कोई action होता!
लेकिन पिछले 3 दशकों में कुछ बदलाव हुए हैं…..,
चीन का एक Alternate World Power के रूप में उदय हुआ है….
रूस फिर से ताकतवर हुआ है, जिसका श्रेय पुतिन के करिश्माई नेतृत्व को जाता है…..
वहीं भारत भी एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है…..
वहीं BRICS और SCO जैसे संगठन बने, जिनमे अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का कोई स्थान नही!
हम धीरे धीरे Multi Polar दुनिया बनते जा रहे हैं!!
अब आइये रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर….रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है…ये सही है या गलत है, इस पर हम फिलहाल बात नही करेंगे; यहां इस घटना को एक Watershed Moment समझिये, और इसके पड़ने वाले प्रभावों को देखिए.
जब रूस ने हमला किया, तो सबसे ज्यादा कड़ी प्रतिक्रिया आयी NATO और अमेरिका से….उन्होंने रूस पर हर तरह के Sanctions लगा दिए, और ये उम्मीद लगाई कि दुनिया उनका अनुसरण करेगी, जैसे करती आ रही थी…..
लेकिन UNSC, UNGA में उनका ये Myth टूट गया…… BRICS और SCO देशो ने, या तो रूस का समर्थन किया या फिर Abstain किया…..
ये एक बहुत बड़ा कारण है जिसकी वजह से NATO देश इस युद्ध मे नही उतरे….क्योंकि उनके पास अब जनसमर्थन नही है…और शायद वो किसी बड़े देश से लड़ने की ताकत भी नही रखते…..
रूस कोई सीरिया, लीबिया, अफ़ग़ानिस्तान या इराक़ तो है नही!!
यूक्रेन को बलि का बकरा बनाया गया!!
जिसकी वजह से अब कई देशों की आंखें खुली हैं…..जिनमे NATO देश, जापान और ताइवान भी हैं!
अब इन्हें भी लगने लगा है कि अमेरिका इन्हें Protect नही कर सकता, और अब इन्हें अपनी सुरक्षा खुद करनी पड़ेगी!
ये देश अब nuclear हथियार भी खरीदेंगे, Missiles भी लेंगे, और अपने Air डिफेंस भी मजबूत करेंगे!
जर्मनी ने अपने डिफेंस बजट में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी की है!!
उसके अलावा अन्य यूरोपीय देश जैसे स्वीडन, रोमानिया, लातविया, फ़िनलैंड, नीदरलैंड और UK ने भी अपने डिफेंस बजट बढ़ाने की बात की है…..
इसका अर्थ जानते हैं आप?
इसका अर्थ ये हुआ कि अब दुनिया को अमेरिका पर विश्वास नही रहा!!
आप जापान का statement पढिये, उन्होंने कहा है कि “अमेरिका को अब ये साफ करना चाहिए कि वो किसी बुरी स्थिति में जापान या ताइवान को कैसे बचाएगा?”
इस वजह से यूरोप के जानेमाने डिफेंस Manufacturers BAE Systems(UK), Rheinmetall (Germany) और France के Thales के shares आसमान छू रहे हैं…..
अब यूरोप के देश और जापान आने वाले सालों में कई सौ Billion USD खर्च करने वाले हैं!!
रूस पर लगे sanctions की वजह से एक Alternative Financial System बनाने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी.
आज ही रूस की बैंकों ने चीन के Unionpay पर switch कर लिया है…क्योंकि अमेरिका के वीसा और मास्टरकार्ड ने, रूस में सेवाएं देने से मना कर दिया है!
रूस को Swift से भी बाहर कर दिया गया है, तो अब जाहिर है कि रूस alternative देखेगा ही…..
इसमे चीन का CIPS एक हद तक सहायता कर सकता है…..लेकिन Long Term में एक बड़ा सिस्टम जरूरी होगा….हो सकता है BRICS और SCO के देश, कोई नया system बना लें….
शायद उन्हें बनाना ही पड़ेगा, क्योंकि Sanctions ने उन्हें एक सबक दिया है, कि आत्मनिर्भरता जरूरी है!
कल को हो सकता है ADB या IMF को टक्कर देने के लिए BRICS की बैंक का Scope बढ़ा दिया जाए, और Funding दे दी जाए…..ताकि इन देशों को Western Financial Institutions की तरफ मुंह देखना ही ना पड़े!
बाकी UNGA और UNSC तो वैसे ही बेकार हैं, रूस और चीन के पास वीटो है, ये चाहें तो पत्ता भी ना हिले वहां!
WHO पर चीन ने वैसे ही अधिग्रहण कर लिया है!
उन्हें समझ आ गया है, कि हर चीज weaponize की जा सकती है…..आपका ATM कार्ड से लेकर आपका स्मार्टफोन….. कुछ भी कभी भी बन्द किया जा सकता है!
यहां ये भी जानना interesting है, कि रूस पर हर तरह की बंदिश लगाने वाले देशो ने, उसके तेल और गैस पर कोई sanction नही लगाया है…..क्योंकि उन्हें सबसे सस्ता रूस से ही मिलता है……
क्या हो अगर रूस अपने तेल और गैस को weaponize कर ले??
वैसे भी रूस पर इतने sanctions लग गए हैं, लेकिन वहां की सरकार ने अभी तक कोई भी Panic नही दिखाया है….
अगर आप उनके पिछले 5-7 साल के Financial और Strategic कदमो को देखें, तो पाएंगे कि शायद रूस इस दिन की तैयारी कई सालों से कर रहा था…..they were waiting and preparing for this day for so long!
आज रूस से हर तरह की कंपनियां पलायन कर रही हैं…..चाहे IT हो, मीडिया हो, manufacturing हो, Oil एंड एनर्जी हो…..सब रूस छोड़ कर जा रही हैं……
अब यहां सवाल ये है कि इसमे फायदा किसका होगा???
जो जगह western कंपनियों ने खाली कर दी है, वो चीन और भारत भर देंगे….फायदा इन्ही को मिलेगा!
और जब ये सब देश, एक parallel system बना लेंगे, उस पर व्यापार करना शुरू कर देंगे…..तो जाहिर है इनकी currency डॉलर तो नही ही होगी…..!
रूस को अगर चीन या भारत से कुछ directly खरीदना होगा तो डॉलर की जरूरत नही पड़ेगी…ये लोग रूबल के साथ युआन या रुपए का exchange करेंगे…..और जब ये देश ऐसा करना शुरू कर देंगे, तब सबसे बड़ा नुकसान होगा डॉलर का….जिसकी वजह से अमेरिका का प्रभुत्व और टूटेगा!
कुल मिलाकर कहानी ये है कि अगले 5-10 साल बड़े ही interesting होंगे…..क्योंकि हम दुनिया को बदलते देखेंगे..आपको अप्रत्याशित गठजोड़ दिखाई दे सकते हैं……आपको रूस, चीन, भारत एक साथ दिख सकते हैं…….वहीं इजराइल, अरब, ईरान भी किसी खास जरूरत के लिए एक ग्रुप में दिखाई दे सकते हैं…..आप OIC में भारत का डंका बजते हुए भी देख सकते हैं!
दुनिया मे 3 ही बड़े धंधे हैं…..हथियार, फार्मा और एनर्जी (Oil, Gas,and EV)….जो भी इन पर कंट्रोल करता है, वो दुनिया चलाता है…..अमेरिका और उसके साथी अब तक इन सभी पर एकाधिकार रखते थे…..लेकिन अब ये कंट्रोल Multiple Players के पास जा रहा है….आगे वही चलाएंगे दुनिया!