मोटी बुद्धि का आदमी भी यही बता सकता है कि 1947 के बाद 43 साल तक कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने की नौबत नहीं आई, क्योंकि कांग्रेस सरकार में थी.
1989 के आखिर में कांग्रेस केंद्र की सत्ता से बाहर हो गई और वीपी सिंह भाजपा के समर्थन से प्रधानमंत्री बने.
फिर ऐसा क्या हुआ जो 1990 की जनवरी में कश्मीरियों के साथ भीषण हिंसा हुई?
आर्मी थी फ्लैग मार्च का ऑर्डर नहीं था. ऑर्डर तब मिला जब राजीव गांधी ने संसद घेरी.
जब राजीव ने संसद घेरी उसके अगले दिन भाजपा ने भी अपनी ही सरकार को घेरा, तब आर्मी ने भी फ्लैग मार्च किया और हिंसा रुकी!
फाइल खुली है तो जरा ठीक से खुले खुलकर बात होनी चाहिए, जिम्मेदारियां तय होनी चाहिए.
जिन्हें न याद आता हो उन्हें पता करना चाहिए कि दूरदर्शन से राष्ट्रीय प्रसारण में रात्रि 8.40 पर क्या समाचार प्रसारित हुए थे? देश को क्या सूचना दी गयी थी?
“द कश्मीर फाइल्स” फ़िल्म का बहुत हल्ला मचा है, सब एक दूसरे को सलाह दे रहे है कि फ़िल्म जरूर देखना ताकि पता चले कि पंडितों का कैसे कत्ल, बलात्कार, विस्थापन हुआ…..??
एक सलाह है-
जब फ़िल्म देखना तो उसमें गौर करना कि उसमे ये निम्न सीन फिल्माए गए है कि नही-
◆जब कश्मीरी पंडित विस्थापित/कत्ल/बलत्कृत हो रहे थे, तब अटल/आडवाणी /जोशी सहित पूरी भाजपा और संघ वीपी सरकार को समर्थन देकर किस तरह कत्ल का तमाशा देख रही थी….!!
◆कत्लेआम के बाद संघी राज्यपाल जगमोहन कैसे कश्मीर को जलाकर आतन्कवाद की नर्सरी बना रहा था!
◆पांच साल केंद्र की अटल सरकार और इधर 8 साल से मोदी सरकार ने कितने कश्मीरी पंडितों को बसा दिया, या उनकी बेहतरी के लिए क्या किया..?
◆यह भी देखना कि आर्टिकल 370 हटने के बाद, पिछले साल मोदी सरकार में बचे खुचे पण्डित क्यो कश्मीर से भाग गए?
◆ यह भी देखना कि संघियो/भाजपाईयो ने देशभर में कश्मीरी पंडितों के नाम पर हुतिया बनने योग्य हुतियो की संख्या में कब कब और कैसे इजाफा किया…??
यदि फ़िल्म में इतने सीन फिल्माए गए होंगे, तो ठीक अन्यथा यह भी सम्भव है कि यह फ़िल्म भी एक प्रचार है, जो कश्मीरी पंडितों के नाम पर हुतियो को सेंटिमेंट में लेकर उनकी संख्या में इजाफा करने के लिए बनाई गई हो..