देश व्यापी आंदोलन क्यों??

दैनिक समाचार

भारत की आजादी के पूर्व और स्वतंत्र भारत मे श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए श्रमिक संगठनों ने अनेक श्रम कानून संघर्ष कर बनवाए और लागू करवाए थे। श्रम हितों के 44 कानूनों को केंद्र सरकार ने समाप्त करके 4 श्रम संहिताओं को कॉर्पोरेट के हित में बिना श्रम संगठनों से चर्चा किए बहुमत का उपयोग कर श्रमिकों पर थोप दिए हैं। बड़े पैमाने पर निजीकरण किया जा रहा है । देश के सभी प्रमुख केंद्रीय संगठन इसका विरोध कर रहे हैं और इस कानून को वापस लेने की मांग को लेकर 28 एवं 29 मार्च को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने वाले हैं। जिसमें 10 करोड़ से अधिक श्रमिकों के शामिल होने की संभावना है।
बहुजन संवाद यूट्यूब चैनल पर 14 मार्च को शाम 6 बजे उक्त मुद्दों पर चर्चा होगी। चर्चा में शामिल होंगे श्रमिक नेता –
● हेमन्त नन्दन ओझा,मजदूर नेता,सामाजिक कार्यकर्ता
● प्रेमनाथ राय, महामंत्री, सेण्टर आफ इण्डियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू ) उ.प्र.
●असित कुमार सिंह, सचिव, एटक, कानपुर
●चन्द्रशेखर, महामंत्री,एटक, उप्र
● जवाहरलाल विश्वकर्मा, राष्ट्रीय सचिव,अखिल भारतीय विद्युत कामगार महासंघ।
● डॉ सुनीलम किसान नेता

  • संचालन डॉ. आनंदप्रकाश तिवारी

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