चाइनीज कम्पनी पेटीएम की बजाय भारतीय ऐप रुपे को तवज्जो क्यों नहीं?

दैनिक समाचार

क्या आपने भी रेलवे टिकट ऑनलाइन बुक की है……, सबसे तेज ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए दो ही रास्ते हैं या तो आप आईआरसीटीसी की वेबसाइट/एप से बुक कराइए या पेटीएम से……..।
व्यवहार में देखा गया है कि आईआरसीटीसी की अपेक्षा पेटीएम से टिकट जल्दी बुक होते हैं बार बार रिफ्रेश भी नहीं करना पड़ता और लिंक फेल जैसी समस्या भी नही आती, रिफंड पॉलिसी भी बेहतर है। ऐसी सुविधाओं के कारण ही पेटीएम रेलवे की खुद की संस्था आईआरसीटीसी से कहीं आगे निकल गया है।
लेकिन पेटीएम ही क्यों? क्या आपने कभी यह सोचा ? देश में पेटीएम और मोदी को राइज एक साथ हुआ। मोदी सरकार ने ही अप्रैल 2015 में पेटीएम और भारतीय रेलवे के साथ एक समझौता करवाया गया, जिसमें पेमेंट वॉलेट टिकटिंग से संबंधित transactions के लिए स्वीकार्य किया गया।
इस समझौते से एक चाइनीज अधिपत्य वाली कंपनी बड़े पैमाने पर बिना स्पष्ट बैंकिंग लाइसेंस लिए भारत के नागरिकों के धन का आरहण और वितरणं करने का अधिकार दे दिया गया।
यह जिम्मेदारी रुपे को दी जानी चाहिए थी, लेकिन देश में ही तैयार किये गए रुपे पेमेंट गेटवे को यह जिम्मेदारी नहीं दी गयी। पेमेंट गेटवे वह माध्यम है, जो इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रांसफर में बैंकों की मदद करता है।
हम विश्व के चौथे ऐसे देश हैं, जिसके पास अपना खुद का पेमेंट गेटवे है। रुपे को 2014 से पहले ही तैयार कर लिया गया था। सरकार चाहती तो इसे कैशलेस अर्थव्यवस्था में लोगों को सुविधा देने के सबसे बड़े टूल के रूप में प्रयोग ला सकती थी, पर सरकार एक चाइनीज अधिपत्य वाली कंपनी पेटीएम पर भरोसा दिखाया।
जब आरोग्य सेतु जैसा ऐप बनाया जा सकता है, तो रेलवे टिकट की बिक्री के लिए upi ऐप्प क्यों नहीं डेवलप किया गया !

रेलवे के टिकट बिक्री में रोज करोडों नहीं, अरबों का ट्रांजेक्शन होता है और जहाँ तक जानकारी है कि रेलवे अपना पैसा लेने में यदि एक दिन की भी देरी करेगी, तो इस पेमेंट गेटवे मे पड़े पैसे का ब्याज ही करोडों रुपए हो जाएगा, जिसका इस्तेमाल कर यह चाइनीज आधिपत्य वाली यह कंपनी सीधे चीन को फायदा पहुंचायेगी।

पेटीएम को ऐसे एक्सक्लूसिव राइट्स दिए जाने पर वित्तीय सुरक्षा से संबंधित कुछ विशेषज्ञों ने इस पर लगातार सवाल खड़े किए कि यदि paytm इतने बड़े लेवल पर काम कर रहा है तो भारत में लेन-देन संबंधित आर्थिक जानकारियां अलीबाबा तक बहुत आसानी से पहुंच सकती है। कल वही हुआ, जिसका डर था। RBI की एनुअल जांच में पाया गया कि कंपनी के सर्वर चाइना-बेस्ड फर्म के साथ जरूरी जानकारी शेयर कर रहे थे, जो इनडायरेक्टरी तौर से पेटीएम पेमेंट्स बैंक में हिस्सेदारी रखते हैं। आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 11 मार्च को नए ग्राहकों को लेने से इसलिए रोक दिया था, क्योंकि उसने भारत के नियमों के उल्लंघन में डेटा को विदेशों में सर्वरों में फ्लो करने की अनुमति दी थी और अपने ग्राहकों को ठीक से सत्यापित नहीं किया था।

मीडिया में इस पूरे घोटाले को दबाने हेतु ही एक फालतू सी मूवी कश्मीर फाइल्स विवाद को उभारा गया, ताकि असलियत पर लोगों का ध्यान न जाए।

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