शिक्षा के विनाश की ओर…..

दैनिक समाचार

Madhuvandutt Chaturvedi

हरिद्वार में उपराष्ट्रपति बैंकिया नायडू ने खुलकर शिक्षा के भगवाकरण की वकालत की है और प्रश्न रखा है कि इसमें बुराई क्या है !

उधर कर्नाटक में बोम्मई सरकार भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कर रही है.

मैं निजी तौर पर सभी धर्मों की , विश्व के सभी दार्शनिकों की, बड़े नेताओं, लेखकों की सभी पुस्तकें पढ़ने का हामी हूँ.

श्रीमद्भागवत गीता की तमाम टीकाएँ मैंने पढ़ी हैं और उनमें से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा मंडाले जेल में लिखी ‘श्रीमद्भागवत गीतारहस्य’ मुझे बहुत प्रिय है, लेकिन किसी भी धर्म की पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल करने के खिलाफ हूँ.

यह हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप के विपरीत बात है.

यह बात वैज्ञानिक सोच वाले समाज का निर्माण करने के लिए हमारी संविधान सभा के उस संकल्प के भी विपरीत है, जिसे राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के तौर पर संविधान में शामिल किया गया!

ऐसी बातों से ग़ैरहिन्दू विश्वास वाले भारतीय स्कूली शिक्षा से खुद को अलग रखकर समाज की मुख्यधारा से टूट सकते हैं.

अपरिपक्व मस्तिष्कों को स्कूल में गंभीर दार्शनिक पुस्तकों में या अवैज्ञानिक धार्मिक मान्यताओं में उलझाकर, खुद बहुसंख्यक समाज के बच्चों का भी ये सरकारें अहित करेंगी.

इस प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए, अन्यथा कारपोरेट लूट से आंखें मूंदे हुए एक ऐसी धर्मांध पीढ़ी का निर्माण होगा जो वैमनस्य , अज्ञान और अंधविश्वासों की अंधेरी गलियों में भटकेगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *