कुछ लोग नेता तो बन जाते हैं लेकिन इतिहास उन्हें मालूम नहीं होता। क्या आपको मालूम है कि जिस दिन जम्मू कश्मीर से 4 लाख से. अधिक ब्राह्मण हिन्दुओं को भगाया गया वह तारीख थी 19 जनवरी 1990, उस दिन केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री थे, जनता दल गठबंधन की सरकार थी। असली राष्ट्रवादी बीजेपी के समर्थन से सरकार बनी थी और चल रही थी।
उस समय अलगाववादी नेता मुफ़्ती मुहम्मद सईद देश के गृहमंत्री थे जिनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती हैं। उस समय जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बीजेपी नेता जगमोहन थे। उस समय वहां राज्यपाल शासन था जो कि केंद्र सरकार के अधीन होता है।
अब जरा आप गौर कीजिए कि जम्मू कश्मीर से हिन्दुओं को भगाए जाने का आरोप किस पर लगनी चाहिये ?
सरकार किसकी थी…..?
राज्यपाल किसका था………..?
एक्शन किसको लेना था…….?
किसकी जिम्मेदारी थी……….?
ब्राह्मण हिन्दुओं को सुरक्षा देना किस सरकार की जिम्मेदारी थी….?
फिर भी अगर कोई इसका आरोप कांग्रेस पर ही लगाए तो समझ लें कि वह जानबूझ कर अंजान है या पब्लिक को बेवकूफ बना रहा हे ।
याद है न..
गृहमंत्री की बेटी किडनैप हो गयी थी !!!
राजा नही फकीर है, देश की तकदीर है के नारे के साथ वीपी के जनता दल ने 140 सीटें जीत ली। कांग्रेस अब भी 195 सीट के साथ पहले नम्बर पर रही। लेकिन कहाँ 415 और कहाँ 195.. देश ने कांग्रेस को बैकसीट लेने का आदेश दिया था।
तो 85 सीटो वाली भारतीय जनता पार्टी ने वीपी को समर्थन दिया। वामपन्थी दल भी उसके साथ आये। वीपी पीएम बन गए, और भाजपा ने सरकार की चाभी घुमानी शुरू की।
पंजाब इस वक्त जल रहा था। कश्मीर में छिटपुट आतंकवादी घटनायें शुरू हो गयी थी। कुछ पुलिस अफसर, कुछ आईबी अफसर, एक जज मारे जा चुके थे। ये ज्यादातर मक़बूल भट मामले से जुड़े लोग थे। इस वक्त कश्मीर में असंतोष था, पर आतंकवाद शुरू न हुआ था।
वीपी ने शपथ ली, और मुफ़्ती मोहम्मद सईद जो कि कांग्रेस से जनता दल में गए थे, गृह राज्यमंत्री बने। शपथ की खुमारी उतरी न थी, कि एक फोन आया- “जनाब आपकी बेटी किडनैप हो गयी है”
सईद की बेटी डॉक्टरी पढ़ रही थी। कालेज गयी थी, वापस आ रही थी। रास्ते में मिनी बस रुकवाई गयी, लड़की को एक मारुति में बिठाया गया.. और फुर्र।
मांग क्या है किडनैपरों की?? कुछ नही, बस 5 लड़के छोड़ दीजिए। ये लड़के जो कुछ तोड़फोड़ और आतंकी मामलों में पकड़े गए हैं।
सरकार की शपथ 1989 के दिसम्बर में हुई थी। आते ही हफ्ते में ही किडनैप से स्वागत हुआ। हाथ पैर फूल गए, करना क्या है, किसी को न सूझे। अफरातफरी मच गई।
दुनिया जानती है कि भारत सरकार लौंडों की धमकी में नही आती। पर ये कोई सरकार नही थी। चुनाव जीते सांसदों का झुंड था। गृहमंत्री की बीवी का रो रोकर बुरा हाल था। बेचारा चाहता था कि बेटी फटाफट घर आये। बाकी जिसे छोड़ना है, छोड़ दो।
सरकार को समर्थन देती भाजपा मूकदर्शक बनी थी। वीपी राजी हो गए।
लेकिन कश्मीर में मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने किसी को छोड़ने से इनकार कर दिया। तो केंद्र से दो मंत्री श्रीनगर गए- आरिफ मोहम्मद खान और इंदर कुमार गुजराल। फारुख को मनाया गया।
मांगे गए अपराधी छोड़ दिये गए।
सरजमीने हिंदुस्तान की सर्वशक्तिमान सरकार ऐसे आसानी से घुटनों पर आ जायेगी किसने सोचा था। कश्मीर के छोकरो ने न सोचा था, उनके पाकिस्तानी हैंडलर्स ने भी न सोचा था।
तो छुड़ाए गए लड़को का हीरो वेलकम हुआ। किडनैपर्स भी हीरो बन गए। कल के चवन्नी छाप शोहदे, अब मशहूर “फ्रीडम फाइटर” थे, मुजाहिद थे। छोड़े गए लड़कों में एक मुश्ताक अहमद जरगर था।
रुबाइया कांड के बाद कश्मीर में प्रदर्शनों में तेजी आ गयी, और आतंकवाद में भी। कई प्रो इंडिया नेता, धार्मिक लीडर्स मार दिए गए। ये नेता हिन्दू थे, मुस्लिम भी। सरकार का क्रेकडाउन हुआ। अर्धसैनिक बलों ने प्रदर्शन करती भीड़ पर गोली चलाई। गांवकदल ब्रिज पर 40 लोग मारे जाने की खबर ने गुस्सा भड़का दिया।
अब संघ ने मामला हाथ मे लिया। जगमोहन राज्यपाल बनाकर भेजे गए। पंडितों से कश्मीर खाली कराया गया। ताकि इसके बाद कश्मीरियों को “सबक सिखाया” जा सके।
सबक सिखाया या नही, वो मुझे नही पता। पता यह है कि वीपी सरकार मन्दिर- मंडल के चक्कर मे गिर गयी। कश्मीरी पंडित कभी घर न लौट सके।
मुश्ताक अहमद जरगर अर्धशिक्षित कश्मीरी लड़का था। कश्मीर में शुरुआती छुटपुट शान्ति भंग की घटनाओं में लिप्त था, पकड़ा गया था।रुबाइया कांड में छूट गया। सो अब हीरो बन गया।
बहुत लड़को को प्रेरित किया, अपने गैंग में जोड़ा। नरसिंहराव सरकार आ चुकी थी। 1992 में उसे फिर पकड़ लिया गया। जेल डाला गया। जहां उसे अगली भाजपा सरकार के इंतजार में आठ साल गुजारने पड़े।
तो नई शताब्दी की शुभ वेला में IC814 का अपहरण किया गया। घुटना टेक सरकार सत्ता में थी। 150 भारतीय के बदले 3 आतंकी छोड़े गए। देसी जेम्स बॉन्ड, और विदेशी मंत्री जसवंत तीन आतंकी प्लेन में बिठाकर कंधार ले गए।
उन तीन में एक मुश्ताक अहमद जरगर भी था। दुनिया की सर्वशक्तिमान, देशप्रेमी, मजबूत सरकार को एक नही, दो दो बार ठेंगा दिखाने का रिकार्ड सिर्फ मुश्ताक अहमद जरगर के नाम है।
कंधार की धुंध में गायब होने के बाद वो मुजफ्फराबाद बस गया।
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।
तो उन तीन आतंकियों में मसूद अजहर जरा ज्यादा फेमस हुआ। क्योकि उसने जल्द ही हमारी सन्सद को अपना थैंक्यू भेजा। लेकिन मुश्ताक अहमद जरगर भी कम नही था।
उसके लड़के मुम्बई हमले में शामिल थे। वही हमला जिसमे करकरे मारे गए। लेकिन आतंकी गोलियों से नही, श्राप से। श्राप वाली बाई वही, जो भोपाली मूर्खों ने संसद में भेजा है।
जरगर, अवश्य ही उनका और उनकी सरकार का तीसरी बार कृतज्ञ हुआ होगा।
हरामियों इस कश्मीर फाईल्स को नहीं दिखाओगे….
Dr bn singh