कश्मीरी पंडितों के लिए क्या ज़रूरी – पुनर्वास या फ़िल्म?

दैनिक समाचार

भाजपा समर्थक विवेक अग्निहोत्री ने The Kashmir Files नाम की एक फ़िल्म बनाई जिसमें साल 1990 में कश्मीरी पंडितों के ऊपर हुए जुल्मों को दिखाया गया है

यह फ़िल्म ₹200 करोड़ से अधिक का कारोबार कर चुकी है। भाजपा नेता इस फ़िल्म को दिल्ली और अन्य राज्यों में टैक्स फ्री करने की अपील कर रहे हैं लेकिन वो केंद्र से फ़िल्म पर GST हटाने की माँग नहीं कर रहे हैं।

पूरा देश कश्मीरी पंडितों के ऊपर हुए ज़ुल्म से क्रोधित है लेकिन क्या यह फ़िल्म उनकी समस्याओं का समाधान है? क्या फ़िल्म देखने से उनको उनका घर वापिस मिल जाएगा?

लगभग 31 वर्षों से विस्थापित कश्मीरी पंडितों के परिवार पुनर्वास पाकर खुश होंगे या फ़िल्म की बढ़ती कमाई देखकर?

इन 31 वर्षों में करीब 16 साल केंद्र में काँग्रेस की सरकार रही और 15 साल भाजपा की (वाजपेयी जी + मोदी), लेकिन किसी ने भी कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का कोई प्रयास नहीं किया।

कश्मीरी पंडितों के दर्द पर बनी फ़िल्म से विवेक अग्निहोत्री ने 200 करोड़ कमा लिए लेकिन जब एक पत्रकार ने पूछा कि क्या वो इसमें से कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ रकम देंगे, तो उसने साफ़ मना कर दिया कि अभी तो कोई कमाई ही नहीं हुई है।

अगर विवेक अग्निहोत्री हकीकत में देश को उनके दर्द से अवगत कराना चाहते हैं तो फ़िल्म को Youtube पर डाल दें ताकि देश की जनता उनका दर्द समझ सके। बाकि अगर पैसा कमाना ही उद्देश्य है तो बात अलग है।

पूरा देश चाहता है कि कश्मीरी पंडितों के परिवार भी वापिस अपने पुराने घरों में जाएँ और उसके लिए केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए क्योंकि कश्मीर फिलहाल केंद्र शाषित प्रदेश है। हम सब भी उसमें अपना यथासंभव योगदान देंगे जैसे हर मुश्किल में देते हैं।

वैसे अगर एक परिवार के पुनर्वास की लागत ₹10 लाख हो तो फ़िल्म की कमाई से लगभग 2000 कश्मीरी पंडितों के परिवारों का पुनर्वास हो जाता। इसलिए अपनी कमाई कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल करें, विवेक अग्निहोत्री की जेब भरने के लिए नहीं। बाकी निर्णय आपका।

उम्मीद है कि कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के विषय में ठोस कदम उठाए जाएँगे, ना कि उनके दर्द को बेचकर करोडों कमाए जाएँगे।
? जय हिंद ?

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